Monday, March 8, 2021

84. माँ के बिना महिला दिवस

2017
हर साल की तरह आज पूरी दुनिया में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस उत्साह और उमंग के साथ मनाया जा रहा है। आज मेरी माँ का फ़ोन नहीं आया, अब आएगा भी नहीं। अब किसी भी महिला दिवस पर उनका संबोधन, भाषण एवं चर्चा नहीं सुन पाऊँगी। अतीत में उनके द्वारा दी गई बधाइयों, शुभकामनाओं और उनके साथ जिए पलों की यादों के साथ मेरा आज का यह महिला दिवस बीतेगा। 
  
लगभग 49 वर्षों से मेरी माँ प्रतिभा सिन्हा भारतीय महिला फेडरेशन (NFIW) से जुड़ी रहीं। विगत 2 वर्षों से जब अत्यधिक बीमार हो गईं, तब से महिला दिवस के अवसर पर उनकी शारीरिक सक्रियता कम हुई; परन्तु मानसिक और सामाजिक रूप से अंत तक जुड़ी रहीं। भारतीय महिला फेडरेशन की बिहार इकाई (बिहार महिला समाज) की कार्यकर्ता और नेत्री होने के नाते हर महिला दिवस पर उतना ही उत्साहित रहती थीं और हमेशा सोचती रहीं कि शायद एक दिन चलने में समर्थ हो जाएँ, तो पुनः सक्रिय हो जाएँगी। पर 30 जनवरी 2021 को दिन के 3 बजे वह सदा के लिए चली गईं; साथ चली गई बिहार महिला समाज और बतौर सामाजिक कार्यकर्त्ता हर महिला के दुःख-दर्द में शामिल रहने वाली एक कर्मठ, जुझारू और बुद्धिजीवी महिला। 
  
मम्मी द्वारा लिखित (अस्वस्थ होने के कारण ठीक से नहीं लिख सकीं)
 
22 नवम्बर 1972 में मेरी माँ बिहार महिला समाज की सदस्य और फिर भागलपुर ज़िला की सचिव बनीं। बाद में वे राज्य सचिव बनीं। वे छह बार भारतीय महिला फेडरेशन की राष्ट्रीय परिषद की सदस्य रही हैं। भागलपुर में महिलाओं के हित के लिए बनाए गए संगठन 'महिला कोषांग' में नियमित रूप से जाती रहीं और महिलाओं की समस्याओं को सुलझाने का प्रयत्न करती रहीं। 31 दिसम्बर 2008 को मोक्षदा बालिका इंटर स्कूल, भागलपुर से प्राचार्य के पद से रिटायर हुईं। अवकाश प्राप्ति के बाद वे अस्वस्थ हो गईं; परन्तु 2017 तक अपने सभी कार्यों का सम्पादन एवं निर्वहन सुचारू रूप से करती रहीं। उनकी बहुत इच्छा थी कि जब तक जीवित रहें, तब तक महिलाओं के लिए कार्य करती रहें। लेकिन शारीरिक अस्वस्थता ने उनकी क्रियाशीलता को अन्तिम 2 साल के लिए विराम दे दिया।   
सामाजिक कार्यों में विशेषकर स्त्री-अधिकार के लिए वे सदैव संघर्षरत रहीं। व्यक्तिगत जीवन में भी उन्हें काफ़ी संघर्षों का सामना करना पड़ा; इसके बावजूद वे अपनी राह पर अडिग रहीं। कम उम्र की विधवा और उस पर से समाज सेवी महिला के साथ समाज का व्यवहार बहुत अनुचित होता है; मेरी माँ के साथ यह होता रहा। परन्तु समाज में ऐसे भी लोग हैं जो इस कड़वी सच्चाई को जानते-समझते हुए सदैव सहयोग का हाथ बढ़ाते हैं। भारतीय महिला फेडरेशन, भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी, शिक्षक संघ, पेंशनर समाज, समाज सेवी संगठनों, सहकर्मियों, मित्रों का साथ और सहयोग माँ को मिलता रहा; जिससे वे प्राचार्य के साथ-साथ समाज सेवा के कार्य में अनवरत जुटी रहीं। 
वर्ष 1972 से मेरी सहभागिता भारतीय महिला फेडरेशन से रही; भले ही उन दिनों मुझे इसकी समझ नहीं थी। जब भी महिला समाज की गोष्ठी, सम्मेलन, धरना, प्रदर्शन होता मैं अपनी माँ के साथ जाती थी। विवाहोपरान्त मेरी उपस्थिति काफ़ी कम हो गई, पर जब भी मौक़ा मिला मैं सम्मिलित होती रही। 8 मार्च 2017 में मैं अन्तिम बार अपनी माँ के साथ अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर शामिल हुई थी। अब यह सब यादें बनकर मेरे साथ आजीवन रहेंगी। आज महिला दिवस पर न सिर्फ़ मुझे या परिवार के सदस्यों को, बल्कि उनके उन तमाम साथियों को उनकी अनुपस्थिति खलेगी जिनके साथ उन्होंने कई दशकों तक कार्य किया है और महिला दिवस मनाया है।   
मम्मी! तुम जहाँ जा चुकी हो, जानती हूँ मेरी आवाज़, मेरी पुकार, मेरी पीड़ा, मेरा अवसाद, मेरी ख़ुशी, मेरी बधाई, मेरी शुभकामनाएँ तुम तक नहीं पहुँचेगी। तुम्हारे कार्यों और संघर्षों को यादकर दुनिया की सभी महिलाओं को तुम्हारी तरफ़ से महिला दिवस की बधाई और शुभकामनाएँ देती हूँ। तुमको अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई मम्मी! 
  

भागलपुर 2017
दिल्ली, 2018
 


 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
- जेन्नी शबनम (8.3.2021)
(अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस)
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27 comments:

कविता रावत said...

माँ का साथ हो तो बड़े-बड़े से दुरूह काम आसान हो जाते हैं
माँ की गहरी यादों में लिपटी आपकी पोस्ट भाव विह्वल कर गयी मन को

शुभकामनाएं आपको भी दिवस विशेष की

सहज साहित्य said...

मार्मिक , हृदयस्पर्शी

shail said...

आप वो मशाल वैचारिक रूप से ही सही, पकड़े हैं, पकड़ी रहें। बड़ों को हम उनके आदर्शों और विचारधारा में ही समाज और अपने अंदर सदा जीवित रख सकते हैं। नमन और नारी शक्ति दिवस पर बधाई और शुभकामनाएँ ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर।
महिला दिवस की बधाई हो आपको।

Kishor se milen said...

आपकी इन अनूठी यादों ने हमें अपनी माँ की याद भी दिला दी

Pallavi saxena said...

हृदयस्पर्शी रचना वैचारिक रूप से साथ होना भी बहुत मायने रखता है और वह इस तरह से हमेशा आपके साथ रहेंगी इससे बड़ी और अच्छी बात भला क्या हो सकती है।

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना said...

ए दिदिया! माई के असीस के शक्ति सदा संंग रहली ...
प्रतिभा जी के प्रतिभा के उत्तराधिकारी बाड़ेन नू!
ई हय शक्ति के निरंतरता बा । पार्थिव शरीर ना रहला से कवनो ढेर अंतर नइ खे परत ...शक्ति अमर ह ।

वीना श्रीवास्तव said...

महिला दिवस की शुभकामनाएं. मां की याद तो हमेशा ही आती है , मगर कुछ खास मौकों पर ज्यादा ही.

घुघुती said...

जेन्नी जी, माँ कलम की ताकत बनकर हमेशा आपके साथ हैं।

प्रियंका गुप्ता said...

माँ जहाँ भी होंगी वहीँ से आपको अपना आशीर्वाद देती रहेंगी | उनकी सक्रियता और कर्मठता के बारे में जान कर बहुत अच्छा लगा | मन भीग भी गया |
उनको मेरी विनम्र श्रद्धांजलि...|

अजय कुमार झा said...

आपने तो रुला दिया । माँ जैसा सच में ही कोई नहीं होता ।

ashok andrey said...

आदरणीय जैनी जी' हमने धरती पर ईश्वर को तो नहीं देखा है लेकिन माँ उस सत्ता की बहुत बड़ी ताकत है। वो हमें जिंदगी की हर पहचान से अवगत कराती है और उससे हमें अपनी पहचान बनाने में ताकत देती है।
मैं तो उसे हर छन सिर झुका करके सलाम करता हूँ।
अशोक आंद्रे

Hindi Kavita said...

आप की पोस्ट बहुत अच्छी है आप अपनी रचना यहाँ भी प्राकाशित कर सकते हैं, व महान रचनाकरो की प्रसिद्ध रचना पढ सकते हैं।

डॉ. जेन्नी शबनम said...


Ram Chandra Verma
Tue, 9 Mar, 08:12
to me

ईश्वर आपको दीर्घायु करे, स्वस्थ रखे और आपकी प्रतिभा दिनोदिन बढ़ती रहे,महिला दिवस पर आपके लिये यही कामना करता हूं।

साहिल

डॉ. जेन्नी शबनम said...

कविता रावत said...

माँ का साथ हो तो बड़े-बड़े से दुरूह काम आसान हो जाते हैं
माँ की गहरी यादों में लिपटी आपकी पोस्ट भाव विह्वल कर गयी मन को

शुभकामनाएं आपको भी दिवस विशेष की
March 8, 2021 at 4:05 PM
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माँ के जाने के बाद असहाय महसूस कर रही हू,लेकिन वक़्त के आगे सभी लाचार. आपने मेरी भावनाओं को समझा, हृदय से आभार कविता जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger सहज साहित्य said...

मार्मिक , हृदयस्पर्शी

March 8, 2021 at 11:20 PM Delete
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मेरी पीड़ा को समझने के लिए आपका आभार रामेश्वर काम्बोज भाई.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger shail said...

आप वो मशाल वैचारिक रूप से ही सही, पकड़े हैं, पकड़ी रहें। बड़ों को हम उनके आदर्शों और विचारधारा में ही समाज और अपने अंदर सदा जीवित रख सकते हैं। नमन और नारी शक्ति दिवस पर बधाई और शुभकामनाएँ ।

March 8, 2021 at 11:33 PM Delete
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शैल जी, आप सही कह रही हैं कि माँ के विचारधारा को अपनाए रखकर उनकी यादों को ख़ुद में जीवित रख सकती हूँ. हृदय से आपका आभार.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर।
महिला दिवस की बधाई हो आपको।

March 9, 2021 at 6:22 AM Delete
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आपका बहुत आभार रूपचन्द्र शास्त्री जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger Kishor se milen said...

आपकी इन अनूठी यादों ने हमें अपनी माँ की याद भी दिला दी

March 9, 2021 at 9:25 AM Delete
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अब हमारी माएँ हमारी यादों में ही जीवित रहेंगी. ख़ुशी हुई कि मेरे लेखन से आपको भी अपनी माँ याद आ गई. आभार किशोर जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger Pallavi saxena said...

हृदयस्पर्शी रचना वैचारिक रूप से साथ होना भी बहुत मायने रखता है और वह इस तरह से हमेशा आपके साथ रहेंगी इससे बड़ी और अच्छी बात भला क्या हो सकती है।

March 9, 2021 at 1:12 PM Delete
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हाँ पल्लवी जी. यूँ लगता है जैसे मैं अब अपनी माँ की प्रतिरूप हो गई हूँ. शुक्रिया आपका.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना said...

ए दिदिया! माई के असीस के शक्ति सदा संंग रहली ...
प्रतिभा जी के प्रतिभा के उत्तराधिकारी बाड़ेन नू!
ई हय शक्ति के निरंतरता बा । पार्थिव शरीर ना रहला से कवनो ढेर अंतर नइ खे परत ...शक्ति अमर ह ।

March 9, 2021 at 11:05 PM Delete
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हाँ, ई त सच हई कि माई के उत्तराधिकारी हम बन गेली, लेकिन उनका जेतना प्रतिभा हमरा में न हई. तइयो कोसिस त करबई कि उनकरा के अपना में जिन्दा रखियई. सांत्वना के शब्द ला धन्यवाद कौशलेन्द्र जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger वीना श्रीवास्तव said...

महिला दिवस की शुभकामनाएं. मां की याद तो हमेशा ही आती है , मगर कुछ खास मौकों पर ज्यादा ही.

March 10, 2021 at 9:44 AM Delete
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जिन कार्यों से माँ ज़्यादा जुड़ी थीं, उन अवसरों पर और भी ज़्यादा याद आती है. धन्यवाद वीना जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

घुघुती said...

जेन्नी जी, माँ कलम की ताकत बनकर हमेशा आपके साथ हैं।
March 10, 2021 at 2:57 PM
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हाँ, सच कहा. मेरी माँ अब मुझमें जीवित रहेगी मेरी क़लम की ताक़त बनकर. आभार आपका.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger प्रियंका गुप्ता said...

माँ जहाँ भी होंगी वहीँ से आपको अपना आशीर्वाद देती रहेंगी | उनकी सक्रियता और कर्मठता के बारे में जान कर बहुत अच्छा लगा | मन भीग भी गया |
उनको मेरी विनम्र श्रद्धांजलि...|

March 13, 2021 at 8:22 PM Delete
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माँ बहुत कर्मठ थी और आजीवन संघर्षरत रही फिर भी सहनशील रही. बस यही दुःख है कि अलविदा के दो शब्द बोल कर नहीं गई मुझे. मुझे समझने के लिए आभार प्रियंका जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger अजय कुमार झा said...

आपने तो रुला दिया । माँ जैसा सच में ही कोई नहीं होता ।

March 17, 2021 at 1:43 PM Delete
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माँ थी और मैं दूर भी थी तो दुःख नहीं होता था, लेकिन जब चली गई तब जीवन सँभलना मुश्किल हो रहा है. मेरी दुःख को आपने समझा, धन्यवाद अजय जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger ashok andrey said...

आदरणीय जैनी जी' हमने धरती पर ईश्वर को तो नहीं देखा है लेकिन माँ उस सत्ता की बहुत बड़ी ताकत है। वो हमें जिंदगी की हर पहचान से अवगत कराती है और उससे हमें अपनी पहचान बनाने में ताकत देती है।
मैं तो उसे हर छन सिर झुका करके सलाम करता हूँ।
अशोक आंद्रे

April 4, 2021 at 12:22 PM Delete
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सही कहा आपने. ईश्वर की सत्ता तो मैं नहीं मानती लेकिन माँ ज़रूर इतनी शक्ति रखती है कि संतान को जन्म देने के बाद दुनिया में ख़ुद को बनाए रखने की सीख भी देती है और शिक्षा भी. मुझे समझने के लिए आपका हृदय से आभार अशोक आंद्रे जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...


Blogger Admin said...

आप की पोस्ट बहुत अच्छी है आप अपनी रचना यहाँ भी प्राकाशित कर सकते हैं, व महान रचनाकरो की प्रसिद्ध रचना पढ सकते हैं।

April 18, 2021 at 7:38 PM Delete
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शुक्रिया.