7 जनवरी 2021 को मेरी दूसरी पुस्तक 'प्रवासी मन' (हाइकु-संग्रह) प्रकाशित हुई है। मेरी पहली पुस्तक ‘लम्हों का सफ़र‘ (कविता-संग्रह) का लोकार्पण 7 जनवरी 2020 में पुस्तक मेले में हुआ था। सुखद यह है कि आज के दिन मेरी बेटी का जन्मदिन है और इसी दिन मेरी दोनों पुस्तकें एक साल के अंतराल में आईं हैं।
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'प्रवासी
मन' मेरा प्रथम हाइकु-संग्रह है, जिसमें 1060 हाइकु हैं। दस साल में जितने
भी हाइकु लिखी हूँ सभी को क्रमानुसार इसमें शामिल किया है।
पुस्तक में 120 पृष्ठ हैं। यह संग्रह अयन प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित हुआ है।
मेरे हाइकु लेखन और इसे पुस्तक के रूप में शाया होने के सफ़र की कहानी भी बहुत रोचक है।
एक साल लगे मुझे पहला हाइकु लिखने में और 10 साल लगे अपने प्रवासी मन को पुस्तक रूपी घर देने में।
हाइकु ऐसे / चंद लफ़्ज़ों में पूर्ण / ज़िन्दगी जैसे!
ओशो (आचार्य रजनीश) की पुस्तकों और प्रवचनों में ज़ेन, बाशो, हाइकु इत्यादि की चर्चा रहती है।
उनको पढ़ते-पढ़ते हाइकु पढ़ना मुझे अच्छा लगने लगा; पर इस विधा में कभी लिखूँगी यह मैंने कभी सोचा न था।
विख्यात साहित्यकार एवं अवकाशप्राप्त प्राचार्य आदरणीय रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' जी ने सन 2010 मेरी कोई कविता अंतर्जाल पर पढ़ी। मुझमें हाइकु-लेखन की संभावना दिखी उन्हें, तो उन्होंने मुझसे संपर्क किया। हाइकु से सम्बन्धित लेख पढ़ने को दिए तथा इसे लिखना समझाया।अब किसी नियम के तहत कुछ लिखना मेरे बस में तो था ही नहीं। इतने कम शब्दों में मन के भाव को पाबन्दी के साथ पिरोना मुझे लगा असंभव है, नहीं लिख पाऊँगी। श्री काम्बोज जी ने मुझे अपनी छोटी बहन माना और हर संभव प्रयास किया कि मैं सिर्फ़ हाइकु ही नहीं बल्कि साहित्य की हर विधा में पारंगत हो सकूँ। उन्होंने मुझसे हाइकु लिखवाने का जैसे प्रण लिया हो। वे मुझे प्रोत्साहित करते थे कि बहन आप लिख सकती हैं, आपमें क्षमता है, आप लिख लेंगी। वे आश्वस्त थे कि मैं एक दिन हाइकुकार बनूँगी।
मैं शर्मिन्दा थी कि ढेरों रचनाएँ लिखी, पर 5+7+5 वर्णक्रम की तीन पंक्तियों की नन्ही-सी कविता क्यों नहीं लिख पा रही हूँ। अंततः 24 मार्च 2011 को ट्रेन में सफ़र के दौरान बाहर का दृश्य देखते हुए अचानक मन में शब्द व भाव जन्म लेने लगे और मैंने कई हाइकु लिख दिए। मुझे लगा जैसे मैंने वैतरणी पार कर ली हो। काम्बोज भैया को अति उत्साह से फ़ोन किया। मुझसे अधिक वे मेरी सफलता पर प्रसन्न हुए। अंततः मैं हाइकु-लेखन की परीक्षा में उतीर्ण हो गई। मेरा प्रथम हाइकु, जो मैंने लिखा -
लौटता कहाँ / मेरा प्रवासी मन / कोई न घर!
काम्बोज भैया के आदेश, निर्देश, मार्गदर्शन, सहयोग, प्रेरणा, प्रोत्साहन और स्नेह का परिणाम है कि मैंने न सिर्फ़ हाइकु लिखना सीखा; बल्कि ताँका, सेदोका, चोका, माहिया भी लिखे। काम्बोज भैया की छत्र-छाया में मैंने बहुत सीखा है और उनके आशीष का प्रतिफल है कि मेरी रचनाएँ देश-विदेश का सफ़र करती रहती हैं।
काम्बोज भैया की आजीवन कृतज्ञ रहूँगी, जिन्होंने अति व्यस्ततम समय में भी इस पुस्तक की भूमिका को लिखने के साथ ही पुस्तक प्रकाशन से सम्बन्धित सारे कार्य बड़े भाई के रूप में किए हैं।
एक हाइकुकार के रूप में काम्बोज भैया ने ही मुझे स्थापित किया है।
काम्बोज भैया न सिर्फ मेरे बड़े भाई हैं; बल्कि साहित्य के सफ़र में मेरे गुरु भी हैं।
यह पुस्तक मैं उन्हें समर्पित की हूँ।
आदरणीया डॉ. सुधा गुप्ता जी हाइकु-जगत् के लिए आदर्श हैं। सुधा गुप्ता जी ने मुझे शुभकामनाएँ एवं आशीष दिया है; जो हस्तलिखित है और उसी रूप में पुस्तक में शामिल है।
आदरणीय रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु‘ जी, जिनसे मैंने हाइकु लिखना सीखा; ने मेरी इस पुस्तक की भूमिका लिखी है। गद्य कोश में भूमिका प्रकाशित है, जिसका लिंक है -
- डॉ. जेन्नी शबनम (14. 1. 2021)
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16 comments:
पुस्तक के पेरकाशन पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
बिटिया को जन्मदिन के अवसर पर शुभाीशीष
और आपको बधाई हो।
बधाई और मंगलकामनाएं। सफ़र जारी रहे इसी तरह लेखन का।
जेन्नी जी 'प्रवासी मन' हाइकु संग्रह के प्रकाशन -प्रसारण हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार हो |
पुष्पा मेहरा
हाइकु संग्रह ‘प्रवासी मन’के लिए आपको हार्दिक बधाई जेन्नी जी।काम्बोज जी ने इसकी सटीक बहुत ही सुंदर समीक्षा की है-जिसे पढ़ कर पता चलता है कि पुस्तक कितनी बेहतरीन है।उत्कृष्ट लेखन के लिए पुनः बधाई।
बहुत बधाइयां
आदरणीय रामचंद्र वर्मा'साहिल' जी की प्रतिक्रिया मेल से मिली. इसे यहाँ पोस्ट करने के लिए उन्होंने कहा है.
Ram Chandra Verma14:21 (15 minutes ago) to me आपके हाइकु-संग्रह की इशाअत पर आपको बहुत बहुत मुबारकबाद। यह 1060 हाइकूज़ पर मुश्तमिल संग्रह है, यह जान कर बहुत अच्छा लगा।बहुत ही ज़्यादा मेहनत का समर है यह । दूसरी बात, कि यह संग्रह भी आपके पहले कविता-संग्रह की तरह आपकी बेटी के यौमे-पैदाइश (जन्मदिन) पर ही शाया होकर आपको दस्तयाब हुआ, बहुत ही ख़ुशी की बात है। बेटी की उम्रदराज़ी और पुरनूर मुस्तक़बिल के लिये मेरी दिली दुआएँ। संग्रह से मुताल्लिक अपने तास्सुरात तो किताब का मुताअला करने के बाद ही आपको दे सकूंगा। किताब बेहद उम्दा होगी इसमें तो कोई शक की गुंजाइश ही नहीं है। आपकी शख़्सियत को तो पहले ही पहचान चुका हूँ।
आप सलामत रहें और इसी तरह लिखती रहें, यही दुआ देता हूँ।
रामचन्द्र वर्मा 'साहिल'
Very Nice your all post. I Love it.
रोमांटिक शायरी गर्लफ्रेंड के लिए
बहुत बधाई आपको!! आपके हाइकु संग्रह के लोकार्पण समारोह का मैं भी हिस्सा बनी इसकी प्रसन्नता है। आगे भी सफर जारी रहे इसके लिए ढेरों शुभकामनाएं !!
प्रवासी मन ,हाइकु संग्रह के लिए बहुत बधाई । हिंदी साहित्य की अब यह एक अच्छी धरोहर है।
आज जो आँख खुलते ही मेल पढ़े तो तुम्हारी ही और हाइकु संग्रह की सूचना तो फेसबुक से मिल ही गयी थी इस बारे में जो जानकारी मिल ब्लॉग पर तो मन बाग़ बाग़ हो गया। तुम्हारी इसा उपलब्धि के लिए मैं बहुत खुश हूँ। हाइकु के साथ तुम्हें मेरी पुस्तक के लिए संस्मरण भी लिखा था और अब तो ये रच बस गया है। जैसे बड़े भाई जैसे गुरु तुम्हें मिले वैसे ही अगर सबको मिल जाएं तो शायद कितनी प्रतिभाएं निखर कर सामने आये .. बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !
हार्दिक बधाई जेन्नी जी ! अनंत अशेष शुभकामनाएं ! साहित्याकाश में आपका सितारा ऐसे ही जगमगाता रहे यही कामना है !
साहिल जी का अशिर्वाद मिलना बहुत बड़ी बात है और मैं तो आप की कलम ✍️ का कायल हूँ ही
हार्दिक बधाई, जेनी।
असंख्य बधाइयां । आप जीवन में यूं ही प्रगति एवं प्रसिद्धि के सोपान चढ़ती रहें, यही शुभकामना है ।
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
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