Friday, January 15, 2021

83. मेरी दूसरी पुस्तक 'प्रवासी मन' (हाइकु संग्रह) का लोकार्पण

जनवरी 7, 2021 को मेरी दूसरी पुस्तक 'प्रवासी मन' (हाइकु-संग्रह) प्रकाशित हुई। मेरी पहली पुस्तक ‘लम्हों का सफ़र‘ (कविता-संग्रह) का लोकार्पण 7 जनवरी 2020 में पुस्तक मेले में हुआ था। सुखद यह है कि आज के दिन मेरी बेटी का जन्मदिन है और इसी दिन मेरी दोनों पुस्तकें एक साल के अन्तराल में आई हैं।  


मेरी बेटी और मैं
 
10 जनवरी 2021 को विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर 'हिन्दी हाइकु' एवं 'शब्द सृष्टि' के संयुक्त तत्वाधान में गूगल मीट और फेसबुक पर आयोजित पहला ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मलेन हुआ, जिसमें मेरी पुस्तक 'प्रवासी मन' का लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम में देश-विदेश के हाइकुकार एवं साहित्यकार सम्मिलित हुए। श्री रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु', डॉ. कुमुद बंसल, डॉ. कुँवर दिनेश सिंह और डॉ. हसमुख परमार ने हिन्दी हाइकु पर अपने वक्तव्य दिए। डॉ. पूर्वा शर्मा ने इसका संचालन किया। मेरे लिए ख़ास बात यह रही कि मैं पहली बार ऑनलाइन लाइव कार्यक्रम में सहभागी हुई। मेरे अतिरिक्त अनिता ललित, अनिता मण्डा, कमला निखुर्पा, डॉ कविता भट्ट, कृष्णा वर्मा, डॉ. शैलजा सक्सेना, भावना सक्सैना, शशि पाधा, रचना श्रीवास्तव, रमेश कुमार सोनी, सुदर्शन रत्नाकर, ज्योत्स्ना प्रदीप, ऋताशेखर मधु, प्रियंका गुप्ता, डॉ. सुरंगमा यादव, डॉ. शिवजी श्रीवास्तव शामिल हुए।
               
'प्रवासी मन' मेरा प्रथम हाइकु-संग्रह है, जिसमें 1060 हाइकु हैं। दस साल में जितने भी हाइकु लिखी हूँ, सभी को क्रमानुसार इसमें शामिल किया है। पुस्तक में 120 पृष्ठ हैं। यह संग्रह अयन प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित हुआ है। 
 
मेरे हाइकु लेखन और इसे पुस्तक के रूप में प्रकाशित होने के सफ़र की कहानी बहुत रोचक है। एक साल लगे मुझे पहला हाइकु लिखने में और 10 साल लगे अपने 'प्रवासी मन' को पुस्तक रूपी घर देने में। 

हाइकु ऐसे / चंद लफ़्ज़ों में पूर्ण / ज़िन्दगी जैसे! 

ओशो (आचार्य रजनीश) की पुस्तकों और प्रवचनों में ज़ेन, बाशो, हाइकु इत्यादि की चर्चा रहती है। उनको पढ़ते-पढ़ते हाइकु पढ़ना मुझे अच्छा लगने लगा; पर इस विधा में कभी लिखूँगी यह मैंने कभी सोचा न था। 

विख्यात साहित्यकार एवं अवकाशप्राप्त प्राचार्य आदरणीय रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' जी ने वर्ष 2010 में मेरी कोई कविता अन्तर्जाल पर पढ़ी।मुझमें हाइकु-लेखन की सम्भावना उन्हें दिखी, तो उन्होंने मुझसे सम्पर्क किया। हाइकु से सम्बन्धित लेख पढ़ने को दिए तथा इसे लिखना समझाया।अब किसी नियम के तहत कुछ लिखना मेरे बस में तो था नहीं। इतने कम शब्दों में मन के भाव को पाबन्दी के साथ पिरोना मुझे लगा असम्भव है, नहीं लिख पाऊँगी। काम्बोज जी ने मुझे अपनी छोटी बहन माना और हर सम्भव प्रयास किया कि मैं सिर्फ़ हाइकु ही नहीं, बल्कि साहित्य की हर विधा में पारंगत हो सकूँ। उन्होंने मुझसे हाइकु लिखवाने का जैसे प्रण लिया हो। वे मुझे प्रोत्साहित करते थे कि बहन आप लिख सकती हैं, आपमें क्षमता है, आप लिख लेंगी। वे आश्वस्त थे कि मैं एक दिन हाइकुकार बनूँगी। 

मैं शर्मिन्दा थी कि मैंने ढेरों रचनाएँ लिखीं, पर 5+7+5 वर्णक्रम की तीन पंक्तियों की नन्ही-सी कविता क्यों नहीं लिख पा रही हूँ। अंततः 24 मार्च 2011 को ट्रेन में सफ़र के दौरान बाहर का दृश्य देखते हुए अचानक मन में शब्द व भाव जन्म लेने लगे और मैंने कई हाइकु लिख दिए। मुझे लगा जैसे मैंने वैतरणी पार कर ली हो। काम्बोज भैया को अति उत्साह से फ़ोन कियामुझसे अधिक वे मेरी सफलता पर प्रसन्न हुए। अंततः मैं हाइकु-लेखन की परीक्षा में उत्तीर्ण हो गई। मेरा प्रथम हाइकु, जो मैंने लिखा - 

लौटता कहाँ / मेरा प्रवासी मन / कोई न घर! 

काम्बोज भैया के आदेश, निर्देश, मार्गदर्शन, सहयोग, प्रेरणा, प्रोत्साहन और स्नेह का परिणाम है कि मैंने न सिर्फ़ हाइकु लिखना सीखा; बल्कि ताँका, सेदोका, चोका, हाइगा, माहिया भी लिखे। काम्बोज भैया की छत्र-छाया में मैंने बहुत सीखा है और उनके आशीष का प्रतिफल है कि मेरी रचनाएँ देश-विदेश का सफ़र करती हैं। काम्बोज भैया की आजीवन कृतज्ञ रहूँगी, जिन्होंने अति व्यस्ततम समय में भी इस पुस्तक की भूमिका को लिखने के साथ पुस्तक प्रकाशन से सम्बन्धित सारे कार्य बड़े भाई के रूप में किए हैं। एक हाइकुकार के रूप में काम्बोज भैया ने मुझे स्थापित किया है। काम्बोज भैया न सिर्फ़ मेरे बड़े भाई हैं; बल्कि साहित्य के सफ़र में मेरे गुरु भी हैं। यह पुस्तक मैं उन्हें समर्पित की हूँ। 

आदरणीया डॉ. सुधा गुप्ता जी हाइकु-जगत् के लिए आदर्श हैं। सुधा गुप्ता जी ने मुझे शुभकामनाएँ एवं आशीष दिया; जो हस्तलिखित है और उसी रूप में पुस्तक में शामिल है।
  
सुधा गुप्ता जी का हस्तलिखित सन्देश
 
आदरणीय रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु‘ जी, जिनसे मैंने हाइकु लिखना सीखा; ने मेरी इस पुस्तक की भूमिका लिखी है। गद्य कोश में भूमिका प्रकाशित है, जिसका लिंक है- 

- डॉ. जेन्नी शबनम (14.1. 2021)  
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33 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

पुस्तक के पेरकाशन पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बिटिया को जन्मदिन के अवसर पर शुभाीशीष
और आपको बधाई हो।

सुशील कुमार जोशी said...

बधाई और मंगलकामनाएं। सफ़र जारी रहे इसी तरह लेखन का।

Pushpa mehra said...


जेन्नी जी 'प्रवासी मन' हाइकु संग्रह के प्रकाशन -प्रसारण हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार हो |

पुष्पा मेहरा

Sudershan Ratnakar said...

हाइकु संग्रह ‘प्रवासी मन’के लिए आपको हार्दिक बधाई जेन्नी जी।काम्बोज जी ने इसकी सटीक बहुत ही सुंदर समीक्षा की है-जिसे पढ़ कर पता चलता है कि पुस्तक कितनी बेहतरीन है।उत्कृष्ट लेखन के लिए पुनः बधाई।

HINDI AALOCHANA said...

बहुत बधाइयां

डॉ. जेन्नी शबनम said...

आदरणीय रामचंद्र वर्मा'साहिल' जी की प्रतिक्रिया मेल से मिली. इसे यहाँ पोस्ट करने के लिए उन्होंने कहा है.


Ram Chandra Verma14:21 (15 minutes ago) to me आपके हाइकु-संग्रह की इशाअत पर आपको बहुत बहुत मुबारकबाद। यह 1060 हाइकूज़ पर मुश्तमिल संग्रह है, यह जान कर बहुत  अच्छा लगा।बहुत ही ज़्यादा मेहनत का समर है यह । दूसरी बात, कि यह संग्रह भी आपके पहले कविता-संग्रह की तरह आपकी बेटी के यौमे-पैदाइश (जन्मदिन) पर ही शाया होकर आपको दस्तयाब हुआ, बहुत ही ख़ुशी की बात है। बेटी की उम्रदराज़ी और पुरनूर मुस्तक़बिल के लिये मेरी दिली दुआएँ। संग्रह से मुताल्लिक अपने तास्सुरात तो किताब का मुताअला करने के बाद ही आपको दे सकूंगा। किताब बेहद उम्दा होगी इसमें तो कोई शक की गुंजाइश ही नहीं है। आपकी शख़्सियत को तो पहले ही पहचान चुका हूँ।
आप सलामत रहें और इसी तरह लिखती रहें, यही दुआ देता हूँ।

रामचन्द्र वर्मा 'साहिल'

Sagar said...

Very Nice your all post. I Love it.
रोमांटिक शायरी गर्लफ्रेंड के लिए

ऋता शेखर 'मधु' said...

बहुत बधाई आपको!! आपके हाइकु संग्रह के लोकार्पण समारोह का मैं भी हिस्सा बनी इसकी प्रसन्नता है। आगे भी सफर जारी रहे इसके लिए ढेरों शुभकामनाएं !!

रमेश कुमार सोनी said...

प्रवासी मन ,हाइकु संग्रह के लिए बहुत बधाई । हिंदी साहित्य की अब यह एक अच्छी धरोहर है।

रेखा श्रीवास्तव said...

आज जो आँख खुलते ही मेल पढ़े तो तुम्हारी ही और हाइकु संग्रह की सूचना तो फेसबुक से मिल ही गयी थी इस बारे में जो जानकारी मिल ब्लॉग पर तो मन बाग़ बाग़ हो गया।  तुम्हारी इसा उपलब्धि के लिए मैं बहुत खुश हूँ।  हाइकु के साथ तुम्हें मेरी पुस्तक के लिए संस्मरण भी लिखा था और अब तो ये रच बस गया है।  जैसे बड़े भाई जैसे गुरु तुम्हें मिले वैसे ही अगर सबको मिल जाएं तो शायद कितनी प्रतिभाएं निखर कर सामने आये .. बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !

Sadhana Vaid said...

हार्दिक बधाई जेन्नी जी ! अनंत अशेष शुभकामनाएं ! साहित्याकाश में आपका सितारा ऐसे ही जगमगाता रहे यही कामना है !

masoomshayer said...

साहिल जी का अशिर्वाद मिलना बहुत बड़ी बात है और मैं तो आप की कलम ✍️ का कायल हूँ ही

Madhu Rani said...

हार्दिक बधाई, जेनी।

जितेन्द्र माथुर said...

असंख्य बधाइयां । आप जीवन में यूं ही प्रगति एवं प्रसिद्धि के सोपान चढ़ती रहें, यही शुभकामना है ।

Jyoti khare said...

हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

पुस्तक के पेरकाशन पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

January 15, 2021 at 6:13 AM Delete
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बहुत धन्यवाद रूपचन्द्र जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बिटिया को जन्मदिन के अवसर पर शुभाीशीष
और आपको बधाई हो।

January 15, 2021 at 6:14 AM Delete
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शुभकामनाओं के लिए हृदय से आभारी हूँ रूपचन्द्र जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger सुशील कुमार जोशी said...

बधाई और मंगलकामनाएं। सफ़र जारी रहे इसी तरह लेखन का।

January 15, 2021 at 9:37 AM Delete
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आप सभी की शुभकामनाएँ यूँ ही मिलती रहे, तो सफ़र ज़रूर ज़ारी रहेगा. बहुत धन्यवाद सुशील जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger Pushpa mehra said...


जेन्नी जी 'प्रवासी मन' हाइकु संग्रह के प्रकाशन -प्रसारण हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार हो |

पुष्पा मेहरा

January 15, 2021 at 12:07 PM Delete
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बहुत बहुत धन्यवाद पुष्पा मेहरा जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger Sudershan Ratnakar said...

हाइकु संग्रह ‘प्रवासी मन’के लिए आपको हार्दिक बधाई जेन्नी जी।काम्बोज जी ने इसकी सटीक बहुत ही सुंदर समीक्षा की है-जिसे पढ़ कर पता चलता है कि पुस्तक कितनी बेहतरीन है।उत्कृष्ट लेखन के लिए पुनः बधाई।

January 15, 2021 at 1:22 PM Delete
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काम्बोज भाई का स्नेह ही है कि मेरे हाइकुओं को संग्रह कर पुस्तक का रूप मिला. आप सभी का प्रेम हमें ऊर्जावान बनाता है जिससे मेरा लेखन जारी है. आपके स्नेहाशीष के लिए हार्दिक धन्यवाद रत्नाकर जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger HINDI AALOCHANA said...

बहुत बधाइयां

January 15, 2021 at 2:27 PM Delete
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद राजीव जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger डॉ. जेन्नी शबनम said...

आदरणीय रामचंद्र वर्मा'साहिल' जी की प्रतिक्रिया मेल से मिली. इसे यहाँ पोस्ट करने के लिए उन्होंने कहा है.


Ram Chandra Verma14:21 (15 minutes ago) to me आपके हाइकु-संग्रह की इशाअत पर आपको बहुत बहुत मुबारकबाद। यह 1060 हाइकूज़ पर मुश्तमिल संग्रह है, यह जान कर बहुत अच्छा लगा।बहुत ही ज़्यादा मेहनत का समर है यह । दूसरी बात, कि यह संग्रह भी आपके पहले कविता-संग्रह की तरह आपकी बेटी के यौमे-पैदाइश (जन्मदिन) पर ही शाया होकर आपको दस्तयाब हुआ, बहुत ही ख़ुशी की बात है। बेटी की उम्रदराज़ी और पुरनूर मुस्तक़बिल के लिये मेरी दिली दुआएँ। संग्रह से मुताल्लिक अपने तास्सुरात तो किताब का मुताअला करने के बाद ही आपको दे सकूंगा। किताब बेहद उम्दा होगी इसमें तो कोई शक की गुंजाइश ही नहीं है। आपकी शख़्सियत को तो पहले ही पहचान चुका हूँ।
आप सलामत रहें और इसी तरह लिखती रहें, यही दुआ देता हूँ।

रामचन्द्र वर्मा 'साहिल'

January 15, 2021 at 2:43 PM Delete
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आदरणीय साहिल जी,
आपकी सराहनीय और प्रेरक प्रतिक्रिया मुझे मिलती रहती है, इसके लिए मैं हृदय से कृतज्ञ हूँ. यह एक संयोग ही रहा कि मेरी दोनों पुस्तक मेरी बेटी के जन्मदिन पर प्रकाशित हुई. स्नेहाशीष के लिए आपका बहुत बहुत आभार.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger Sagar said...

Very Nice your all post. I Love it.
रोमांटिक शायरी गर्लफ्रेंड के लिए

January 15, 2021 at 7:11 PM Delete
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धन्यवाद सागर जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger ऋता शेखर 'मधु' said...

बहुत बधाई आपको!! आपके हाइकु संग्रह के लोकार्पण समारोह का मैं भी हिस्सा बनी इसकी प्रसन्नता है। आगे भी सफर जारी रहे इसके लिए ढेरों शुभकामनाएं !!

January 15, 2021 at 8:42 PM Delete
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बहुत बहुत धन्यवाद ऋता जी. मेरे पुस्तक के लोकार्पण में आप शामिल हुईं, यह मेरे लिए ख़ुशी की बात है. आपको भी शुभकामनाएँ.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger रमेश कुमार सोनी said...

प्रवासी मन ,हाइकु संग्रह के लिए बहुत बधाई । हिंदी साहित्य की अब यह एक अच्छी धरोहर है।

January 16, 2021 at 7:10 AM Delete
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बहुत बहुत आभार रमेश जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Anonymous रेखा श्रीवास्तव said...

आज जो आँख खुलते ही मेल पढ़े तो तुम्हारी ही और हाइकु संग्रह की सूचना तो फेसबुक से मिल ही गयी थी इस बारे में जो जानकारी मिल ब्लॉग पर तो मन बाग़ बाग़ हो गया। तुम्हारी इसा उपलब्धि के लिए मैं बहुत खुश हूँ। हाइकु के साथ तुम्हें मेरी पुस्तक के लिए संस्मरण भी लिखा था और अब तो ये रच बस गया है। जैसे बड़े भाई जैसे गुरु तुम्हें मिले वैसे ही अगर सबको मिल जाएं तो शायद कितनी प्रतिभाएं निखर कर सामने आये .. बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !

January 16, 2021 at 8:18 AM Delete
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रेखा जी, आपका सान्निध्य मुझे मिला, यह मेरा सौभाग्य है. सच कहा काम्बोज भाई जैसे गुरु अगर सभी को मिल जाएँ तो निःसंदेह लेखन में धार पैदा हो जाए. काम्बोज भाई ने न जाने कितनी ही प्रतिभाओं को निखारा है, और यही उनकी बहुत बड़ी विशेषता है. आपका बहुत आभार.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger Sadhana Vaid said...

हार्दिक बधाई जेन्नी जी ! अनंत अशेष शुभकामनाएं ! साहित्याकाश में आपका सितारा ऐसे ही जगमगाता रहे यही कामना है !

January 16, 2021 at 11:21 AM Delete
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शुभकामनाओं के लिए बहुत धन्यवाद साधना जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger masoomshayer said...

साहिल जी का अशिर्वाद मिलना बहुत बड़ी बात है और मैं तो आप की कलम ✍️ का कायल हूँ ही

January 17, 2021 at 6:51 AM Delete
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स्नेहिल सराहना के लिए आभार अनिल जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger Madhu Rani said...

हार्दिक बधाई, जेनी।

January 21, 2021 at 9:21 AM Delete
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शुक्रिया मधु.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger जितेन्द्र माथुर said...

असंख्य बधाइयां । आप जीवन में यूं ही प्रगति एवं प्रसिद्धि के सोपान चढ़ती रहें, यही शुभकामना है ।

February 3, 2021 at 1:25 PM Delete
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शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद जितेन्द्र जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger Jyoti khare said...

हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं

February 4, 2021 at 1:55 PM Delete
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हार्दिक आभार ज्योति खरे जी.

Aaj ki taja khabar 2021 said...

Sir आपने बहुत अच्छे से information Explain कि हैं। Very Nice post