
'लम्हों का सफ़र' को देखते ही मन ख़ुशी से झूम उठा। पुस्तक को हाथ में लेते ही एक अजीब-सा रोमांच और उत्साह महसूस हुआ। मेरी क्षमता, योग्यता और सृजन को जैसे मैंने हाथों में पकड़ रखा हो। यूँ मेरी 25 से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जो साझी पुस्तक है। लेकिन यह मेरा एकल कविता-संग्रह है, इसलिए भी शायद एक अलग एहसास हुआ मुझे। वर्षों से यह मेरी बहुप्रतीक्षित पुस्तक है, जिसका इंतज़ार मुझे तो था ही लेकिन मेरे मित्रो को मुझसे भी ज्यादा था।
मेरी पुस्तक 'लम्हों का सफ़र' जो मेरा प्रथम एकल कविता-संग्रह है, का लोकार्पण 7. 1. 2020 को विश्व पुस्तक मेला, दिल्ली में हुआ।
डॉ. राजीव रंजन गिरि जी, जो राजधानी कॉलेज में हिन्दी के प्रोफ़ेसर हैं, के हाथों पुस्तक लोकार्पित हुई।
'लम्हों का सफ़र' हिन्द युग्म प्रकाशन ने प्रकाशित किया है।
लोकार्पण से पूर्व हिन्द युग्म के स्टूडियो में सौरभ जी के साथ पुस्तक से सम्बंधित बातचीत हुई, जिसे फेसबुक पर लाइव प्रसारित किया गया।
लोकार्पण के बाद मैंने मेरी पुस्तक से कविता का पाठ किया।
प्रोफ़ेसर डॉ. राजीव रंजन गिरि जी, शायर अनिल पराशर जी एवं उनकी पत्नी शानू पराशर जी, लेखिका नीलिमा शर्मा जी, लेखक नीलोत्पल मृणाल जी, हास्य कलाकार विभोर चौधरी जी, लेखिका पारुल सिंह जी, लेखिका सपना बंसल जी, हिन्द युग्म के प्रकाशक शैलेश भारतवासी जी, हिन्द युग्म की सम्पादक ज्योति दुबे जी, हिन्द युग्म से संलग्न एवं कार्यरत मित्र, मेरी पुत्री परान्तिका दीक्षा व उसके मित्रों तथा उन सभी मित्रों का आभार जिनके कारण यह आयोजन सफल हुआ। आदरणीय रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' जी शामिल न हो सके, इसका मुझे अफ़सोस है; परन्तु उनकी शुभकामनाएँ सदैव मेरे साथ हैं।
लोकार्पण के इस सुखद अवसर पर मित्रों, लेखकों, पुस्तक प्रेमियों, दर्शकों तथा मेरी पुत्री और उसके मित्रों ने उपस्थित होकर मुझमें ऊर्जा का संचार किया है।
लोकार्पण के इस सुखद समय में मेरे साथ रहकर जिन लोगों ने मुझमें उमंग भरा है, मैं उन सभी की दिल से आभारी हूँ।
मुझे सम्मान व प्रेम देने तथा मुझमें विश्वास रखने के लिए सभी का दिल से धन्यवाद व आभार।



- जेन्नी शबनम (14. 1. 2020)
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