न जाने आज बहुत आलस सा लग रहा था। रोज़ की तरह 7 बजे उठकर नियमित क्रमानुसार सारे कार्य करने का मन भी नहीं हुआ। सब छोड़कर एक कप चाय के साथ एक हिन्दी अखबार लेकर पढने बैठी। अखबार में अधिकांशतः नकारात्मक खबरें होती हैं, मगर देश दुनिया की थोड़ी सकारात्मक खबरें भी मिल जाती हैं, जैसे कि कुछ नई उम्मीद, कुछ अनोखा ज्ञान, कुछ अजूबे, कुछ शिक्षा, देश दुनिया की प्रगति की कुछ बातें आदि-आदि।


एक दिन मैं कहीं जा रही थी, तो बगल से एक छोटी गाड़ी शायद टाटा इंडिका थी, गुज़री जिसपर कार की तरफ से लिखा हुआ था कि अगर किसी ने मुझे छुआ भी तो जान ले लूँगी। अब कोई गाड़ी तो ऐसा न कहेगी, गाड़ी के मालिक की मंशा इससे स्पष्ट होती है। दिल्ली में इतनी ज्यादा गाड़ियाँ हैं कि जरा-सा टकरा जाना तो आम बात है। यूँ यह भी है कि कोई जानबूझ कर अपनी या दूसरे की गाड़ी का नुकसान नहीं पहुँचाता है, फिर भी दुर्घटना हो जाती है। क्या ऐसे में हत्या कर दी जाएगी?
निःसंदेह भरत की स्थिति बेहद चिंताजनक है। सबसे ज्यादा अराजकता राजनीतिक पार्टियों के गुंडों द्वारा की जाती है। उन्हें किसी का डर नहीं। मंदिर और गाय के नाम पर इंसानों की बलि चढ़ाते उन्हें देर नहीं लगती और न दंगा फैलाते देर लगती है। गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा और बढ़ती जनसंख्या के कारण आज के युवा इन सब के लिए सहज उपलब्ध हो जाते हैं। इन गर्म खूनों को जरा-सी हवा देने की देर है कि लहलहा कर जलते हैं और राख के ढेर की तरह भरभरा कर भस्म होते हैं।
आमिर खान की पत्नी हो या नसीरुद्दीन शाह या हम, हम सभी का डर वाज़िब है। देश के हुक्मरान इस हालात को क्यों नज़र अंदाज़ कर रहे हैं, यह अब तक समझ न आया। अगर उन लोगों को डर नहीं हैं तो फिर अराजकता के इस वातावरण को ख़त्म हो जाना चाहिए था। राम राज्य तो एक दिन में आ जाता है। अब तक तो देश में राम राज्य आ जाना चाहिए था।
- जेन्नी शबनम (22. 12. 2018)
______________________________________________________________