'मरजीना' क्षणिका-संग्रह जेन्नी शबनम, दिल्ली की यह कृति जीवन के यथार्थ से जुड़ी विविध पक्षों को बड़ी ख़ूबसूरती के साथ प्रस्तुत करती है। कवयित्री की यह तीसरी पुस्तक है जो सच्ची और अच्छी भावनाओं का सुंदर दस्तावेज़ है, जिसमें एक कोमल भाव-भूमि की प्रस्तुति है, अपनी संस्कृति और अतीत के वैभव के लिए अटूट आस्था और विश्वास है तथा एक सकारात्मक दृष्टिकोण है जो आज हाथ से फिसलता जा रहा है। इनका यह काव्य-संग्रह एक दिशा बनाता है कि जहाँ हम जन्मे हैं, जिसकी मिट्टी में पलकर बड़े हुए हैं वह भूमि हमारे लिए सर्वोपरि है।
'मरजीना' शब्द ही अपने आप में बहुत ही अच्छा और ख़ूबसूरत है, जिसे लोग काफ़ी पसंद करते हैं। यह मज़बूत व्यक्तित्व को दर्शाता है। यह शब्द अरबी भाषा के 'मर्जान' से बना है जिसका अर्थ ही छोटा मोती है। संग्रह का हर मोती कवयित्री ने सागर की गहराई से चुन-चुनकर लाया है। जेन्नी शबनम जी को विद्यालयी जीवन से ही लिखने-पढ़ने तथा सर्जनात्मक कार्यों में अभिरुचि रही है। इनको इनकी माता का आशीर्वाद रहा है, उन्हें भी हिन्दी के प्रति काफ़ी रुचि थी।
भावनाओं की दृष्टि से 'मरजीना' की काव्यधारा जब विभिन्न तटों का स्पर्श करती हुई बहती है, तो रास्ते में जो ठहराव मिलते हैं वो इन खण्डों में विभक्त हैं- 'रिश्ते', 'स्टैचू बोल दे', 'जी चाहता है', 'अंतर्मन', 'सवाल', 'स्वाद/बेस्वाद', 'इश्क़', 'कहानी', 'समय-चक्र', 'सच', 'घात', 'बेइख़्तियार', 'औरत', 'साथी', 'तुम', 'समय' और 'चिन्तन'।
इनकी पहली क्षणिका 'मरजीना' से है-
"मन का सागर दिन-ब-दिन और गहरा होता जा रहा
दिल की सीपियों में क़ैद मरजीना बाहर आने को बेकल
मैंने बिखेर दिया उन्हें कायनात के वरक़ पर।''
हिन्दी साहित्य में क्षणिकाएँ भी बेहद प्रचलित हैं। क्षण की अनुभूति को शब्दों में पिरोकर साहित्यिक रचना ही क्षणिका होती है, अर्थात मन में उपजे गहन विचार को कम शब्दों में इस प्रकार बाँधना कि कलम से निकले हुए शब्द सीधे पाठक के हृदय में उतर जाए। इसे हम छोटी कविता भी कह सकते हैं। जीवन अनुभव जितना विराट और वैविध्य होगा क्षणिकाएँ उतनी ही अधिक प्रभावी होगी।
कवयित्री बड़ी सरलता से क्षणिका का सहारा लेती हुई समाज को सन्देश दे रही है जो जीवन के व्यावहारिक पक्ष से सम्बंधित सिद्धांत, नीति अथवा अनुभवसिद्ध तथ्य की पुष्टि करते हैं। इससे जीवन की सच्ची परिस्थितियों का मार्मिक अनुभव व्यक्त होता है-
"ख़ौफ़ के साये में ज़िन्दगी को तलाशती हूँ
ढेरों सवाल हैं पर जबाव नहीं
हर पल हर लम्हा एक इम्तिहान से गुज़रती हूँ
ख़्वाहिशें इतनी कि पूरी नहीं होती
कमबख़्त, ये ज़िन्दगी मौक़ा नहीं देती।"
जीवन अनुभवों की गहराइयों में उतरकर कविता रचती कवयित्री में संक्षिप्तिकरण की अद्भुत क्षमता है। नारी जीवन की अनेक विडंबनाओं, आशाओं, निराशाओं, मन के भावचित्रों, अनुभूतियों, कल्पनाओं और यथार्थों का जो वर्णन मानवीय सम्बन्धों के माध्यम से व्यक्त की हैं, इस प्रकार है-
"स्त्री की डायरी उसका सच नहीं बाँचती
स्त्री की डायरी में उसका सच अलिखित छपा होता है
इसे वही पढ़ सकता है, जिसे वह चाहेगी
भले ही दुनिया अपने मनमाफ़िक़
उसकी डायरी में हर्फ़ अंकित कर ले।"
x x x x
"रिश्तों की कशमकश में ज़ेहन उलझा है
उम्र और रिश्तों के इतने बरस बीते
मगर आधा भी नहीं समझा है
फ़क़त एक नाते के वास्ते
कितने-कितने फ़रेब सहे
घुट-घुटकर जीने से बेहतर है
तोड़ दें नाम के वह सभी नाते
जो मुझे बिल्कुल समझ नहीं आते।"
इन पंक्तियों में एक गहन अनुभूति पीड़ा व संवेदना निहित है तथा रिश्तों की विसंगतियों और मज़बूरियों में निजी जीवन की आहुति दे दी जाती है। इसमें आंतरिक सन्त्रास, अंतर्द्वंद्व और घुटन की अभिव्यक्ति है जो सामाजिक जीवन के प्रति विद्रोह को स्पष्ट करता है। हमारा जीवन एक अनबुझ पहेली है। इसमें कई तरह के सवाल हैं जो अनेक अर्थों को प्रतिपादित करता है। जीवन समाप्त हो जाता है, पर सवाल रह जाते हैं-
"सवालों का सिलसिला
तमाम उम्र पीछा करता रहा
इनमें उलझकर मन लहूलुहान हुआ
पाँव भी छिले चलते-चलते,
आख़िरी साँस ही आख़िरी सवाल होंगे।"
साहित्य में प्रेम का विषय हमेशा प्रासंगिक रहा है। यह सबसे शुद्ध और सबसे ख़ूबसूरत एहसास है जिसे प्राचीन काल से गाया जाता रहा है। इसकी अनुभूति से हमारा अनुभव रूपांतरित होता है और प्रत्येक वस्तु में दिव्यता तथा आध्यात्मिकता का आविर्भाव होता है। प्रेम स्वयं में व्यापक, विराट व शक्तिशाली अनुभूति है। इसके जागृत होते ही आत्मा की तत्काल अनुभूति हो जाती है। प्रेम की अनुभूति जाग्रत होने से पहले सबकुछ निर्जीव, आनंदरहित व जड़ है। किन्तु इसके जागृत होते ही सबकुछ प्रफुल्लित, दिव्य, चैतन्य और आलोकमय हो जाता है। इसलिए कवयित्री कहती है-
"अल्लाह ! एक दुआ क़बूल करो
क़यामत से पहले इतनी मोहलत दे देना
दम टूटे उससे पहले
इश्क़ का एक लम्हा दे देना।"
संग्रह की अन्य कविताएँ भी विविध भाव व्यक्त करतीं हैं। भावनाओं के अलावा काव्य सृजन के मामले में भी उत्कृष्ट हैं, भाषा में प्रवाह है तथा शिल्प-सौंदर्य है। कवयित्री को हार्दिक
बधाई
।-दयानन्द जायसवाल (18.10.2022)
प्रकाशक- अधिकरण प्रकाशन, दिल्ली
मो- 9716927587
कवयित्री जेन्नी शबनम- 9810743437
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14 comments:
'मरजीना' की बहुत सुंदर ,संतुलित समीक्षा।बहुत बहुत बधाई।
अच्छे लेखन,अच्छी क्षणिका संग्रह की सारगर्भित समीक्षा की हार्दिक बधाई।
आप दोनों को अनंत शुभकामनाएँ।
रमेश कुमार सोनी,रायपुर, छत्तीसगढ़
उत्कृष्ट संग्रह की उत्तम समीक्षा. हार्दिक बधाई.
एक सुंदर कृति की सटीक, सुंदर समीक्षा। हार्दिक बधाई जेन्नी जी। सुदर्शन रत्नाकर
बहुत सुन्दर। उत्कृष्ट लेखन के लिए हार्दिक बधाई।
एक अच्छे संग्रह की सार्थक समीक्षा हुई है | आप दोनों को बहुत बधाई
हार्दिक बधाई।
-उमेश महादोषी
Blogger शिवजी श्रीवास्तव said...
'मरजीना' की बहुत सुंदर ,संतुलित समीक्षा।बहुत बहुत बधाई।
April 21, 2023 at 8:57 AM Delete
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आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय शिवजी श्रीवास्तव जी.
Anonymous Anonymous said...
अच्छे लेखन,अच्छी क्षणिका संग्रह की सारगर्भित समीक्षा की हार्दिक बधाई।
आप दोनों को अनंत शुभकामनाएँ।
रमेश कुमार सोनी,रायपुर, छत्तीसगढ़
April 21, 2023 at 7:12 PM Delete
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बहुत बहुत धन्यवाद रमेश सोनी जी.
Blogger सहज साहित्य said...
उत्कृष्ट संग्रह की उत्तम समीक्षा. हार्दिक बधाई.
April 22, 2023 at 6:50 PM Delete
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आपका बहुत बहुत आभार काम्बोज भैया.
Anonymous Anonymous said...
एक सुंदर कृति की सटीक, सुंदर समीक्षा। हार्दिक बधाई जेन्नी जी। सुदर्शन रत्नाकर
April 23, 2023 at 5:38 PM Delete
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दिल से आभार रत्नाकर जी.
Anonymous Anonymous said...
बहुत सुन्दर। उत्कृष्ट लेखन के लिए हार्दिक बधाई।
April 23, 2023 at 6:17 PM Delete
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बहुत धन्यवाद.
Blogger प्रियंका गुप्ता said...
एक अच्छे संग्रह की सार्थक समीक्षा हुई है | आप दोनों को बहुत बधाई
April 28, 2023 at 11:40 AM Delete
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बहुत धन्यवाद प्रियंका जी.
Anonymous Anonymous said...
हार्दिक बधाई।
-उमेश महादोषी
May 17, 2023 at 3:34 PM Delete
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बहुत धन्यवाद उमेश महादोषी जी.
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