Wednesday, April 29, 2020

73. अलविदा मक़बूल

सिनेमा हॉल का दरवाज़ा बंद था। खुलने के निर्धारित समय से ज्यादा वक़्त हो चला था। तभी एक गेटकीपर बाहर आया, उससे मैंने पूछा कि बहुत ज्यादा देर हो रही है, मूवी शुरू में देर क्यों है? उसने बताया कि थोड़ी देर हो जाएगी क्योंकि फिल्म के प्रोमोशन के लिए इस फिल्म के लोग आए हुए हैं। सुनते ही वहाँ उपस्थित सभी लोग मेरे साथ ही उस गेट के बाहर इकत्रित हो गए। मन में बहुत उत्सुकता थी कि एक झलक कलाकारों को देख लूँ। यूँ भी मैं सिनेमा की बेहद शौक़ीन रही हूँ और फर्स्ट डे और कभी-कभी तो फर्स्ट डे फर्स्ट शो भी देखती थी। साथ देखने वाला कोई न भी हो परवाह नहीं, अकेले जाकर देखती थी। अब भीड़ भी बढ़ गई और मैं खड़े-खड़े थक भी गई। जैसे ही सोचा कि जाकर थोड़ी देर बैठूँ, कि हॉल का गेट खुला और ढ़ेर सारे लोग बाहर निकलने लगे। देखी कि भीड़ के साथ अर्जुन रामपाल और उनके साथ इरफ़ान खान आ रहे हैं। बाकी और कौन-कौन थे साथ में, किसी पर मेरी नज़र नहीं ठहरी, क्योंकि ये दोनों ही मेरे पसंदीदा कलाकार हैं। जैसे ही मैं इरफ़ान को देखी तो बेटी को ज़रा जोर से बोली कि देखो मक़बूल आ रहा है। कुछ लोग मेरी बातों पर हँस भी दिए। मैं बस मक़बूल को देखती रही, और वे सामने से मुस्कुराते हुए गुजर गए। अर्जुन तो हैण्डसम हैं ही लेकिन इरफ़ान की खूबसूरती देख कर मैं दंग रह गई। कत्थई रंग का सूट पहने हुए, घुंघराला सुनहरा बाल, बड़ी-बड़ी आँखें और मुस्कुराता चेहरा, लंबा छरहरा बदन। रील के चेहरे से ज्यादा ख़ूबसूरत रियल का चेहरा।यह बात है 2013 की, फिल्म का नाम 'डी-डे', दिल्ली के साकेत स्थित सेलेक्ट सिटी मॉल का पी वी आर सिनेमा हॉल।   
सन 2004 में एक फिल्म आई थी 'मक़बूल', जिसमें मक़बूल का किरदार इरफ़ान खान ने निभाया था। बड़ी अच्छी लगी थी फिल्म। यूँ अब फिल्म की कहानी याद नहीं, बस इतना याद है कि क्राइम पर आधारित फिल्म थी और इरफ़ान के साथ तब्बू के कुछ सीन याद रह गए मुझे। मुझे उनका असली नाम कभी याद नहीं रहता है, तो जब भी इरफ़ान कि कोई फिल्म आई और देखने जाना हो तो कोई पूछे कि फिल्म में कौन-कौन एक्टर है, तो मैं मक़बूल ही बोलती हूँ। इरफ़ान की लगभग सभी फिल्में देखी है मैंने और अब भी मक़बूल ही बोलती हूँ, जाने क्यों।   
7 जनवरी 1967 को जयपुर, राजस्थान में जन्मे इरफ़ान खान हिन्दी और अंग्रेजी सिनेमा तथा टेलीविजन के बहुत कुशल अभिनेता थे। बॉलीवुड तथा हॉलीवुड में इरफ़ान एक जाना पहचाना नाम है। इरफ़ान को 'हासिल' फिल्म के लिए सन 2004 में फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार मिला है। सन 2008 में बेस्ट ऐक्टर इन सपोर्टिंग रोल का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला है। अभिनय के लिए सन 2011 में इरफ़ान पद्मश्री से सम्मानित हो चुके हैं। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2012 में फिल्म 'पान सिंह तोमर' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला है। सन 2017 में फिल्म 'हिन्दी मीडियम' के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला है। 
सन 2018 में जब इरफ़ान को न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर हुआ था तब इरफ़ान ने अपने प्रशंसकों के लिए एक बेहद भावुक नोट लिखा था -
''हम जो उम्मीद करते हैं उसे पूरा करने के लिए ज़िन्दगी किसी दबाव में नही है, जो हम चाहें वो हमें मिले ही अप्रत्याशित घटनाएँ हमें बड़ा करती है जो कि पिछले दिनों का मेरा हाल रहा है। डायग्नोसिस में न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर का पाता लगाने के बाद इसे स्वीकार करना काफी मुश्किल है। लेकिन आस पास मौजूद प्यार और ताकत है जिसे मैं अपने भीतर महसूस करता हूँ, इससे उम्मीद जगी है। मुझे देश से बाहर जाना पड़ रहा है और मैं हर किसी से गुजारिश करता हूँ कि वे अपनी दुआएँ भेजते रहें। अफवाहों की बात करें तो न्यूरो हमेशा दिमाग के बारे में नहीं होता और रिसर्च के लिए गूगल करना सबसे आसान तरीका है। जो मेरे शब्दों का इंतज़ार कर रहे हैं, उम्मीद है कि मैं ढ़ेर सारी कहानियाँ लेकर लौटूँगा।' 
इरफ़ान अपनी बीमारी के इलाज़ के लिए लन्दन गए थे। जब वहाँ से लौटे और अंग्रेजी मीडियम फिल्म किया, तो मुझे लगा कि वे पूर्णतः स्वस्थ हो चुके हैं, क्योंकि मेरा अनुमान था कि कई कैंसर ठीक भी हो जाते हैं और चिकित्सा के लिए लन्दन के अस्पताल अच्छे माने जाते हैं। 'अंग्रेजी मीडियम' फिल्म अब उनकी आखिरी फिल्म हो गई है। लॉकडाउन के कारण यह फिल्म सिनेमा हॉल तक न जा सकी और ऑनलाइन रिलीज़ हुई। 'हिन्दी मीडियम' की ही तरह 'इंग्लिश मीडियम' भी हिन्दी और अंगरेजी भाषा की विषमताओं पर आधारित बहुत ही संवेदनशील फिल्म है। इरफ़ान अपनी इस फिल्म की सफलता जो सिनेमा हॉल में मिलती, न देख पाए। इरफ़ान का आखिरी ट्वीट 12 अप्रैल को, जिसे उन्होंने अपनी अंतिम फिल्म 'अंग्रेजी मीडियम' के ऑन लाइन रिलीज़ होने पर किया था - ''मिस्टर चम्पक की मनःस्थिति : अंदर से प्यार, कोशिश करूँगा कि बाहर से दिखा सकूँ।' (''Mr. Champak's state of mind : Love from the inside, making sure to show it outside.'')   
इरफ़ान एक कलाकार के रूप में गज़ब का अभिनय करते हैं। आँखों से भाव को अभिव्यक्त करने में उन्हें महारत हासिल है। जिस भी किरदार में होते हैं जीवंत कर देते हैं, चाहे वह पान सिंह हो या मक़बूल हो। उनकी सभी फिल्में और उनका अभिनय बेहतरीन है। हिन्दी फिल्मों में मक़बूल, रोग, पान सिंह तोमर, लंच बॉक्स, हिन्दी मीडियम, अंग्रेजी मीडियम आदि है जो बहुत सफल है और मुझे बेहद पसंद है।  टी वी पर चाणक्य, भारत एक खोज आदि धारावाहिक में वे काम कर चुके हैं। हिन्दी फिल्म हो या अंगरेजी या टी वी का धारावाहिक, सभी में उनका अभिनय बहुत उत्कृष्ट रहा है और उन्होंने हर जगह अपनी छाप छोड़ी है।   
आज इरफ़ान की मृत्यु की ख़बर पढ़कर स्तब्ध रह हूँ। अभी 4 दिन पहले 25 तारीख को उनकी माँ गुजर गई थीं, परन्तु कोरोना के कारण देशव्यापी लॉकडाउन की वज़ह से इरफ़ान अपनी माँ की अंतिम यात्रा में शामिल न हो पाए थे। कल उनकी तवियत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया और आज ही ज़िन्दगी से बिना जंग किए मौत के साथ वे इस दुनिया से चले गए। सिर्फ फ़िल्मी दुनिया या उनके अपनों के लिए नहीं बल्कि उनके चाहनेवालों और प्रशंसकों के लिए बहुत बड़ा सदमा है। ऐसा सदमा जो हमें इरफ़ान को कभी भूलने न देगा। उनकी फिल्में, उनके किरदार, उनका अभिनय, उनकी आँखें, उनकी आँखों की भाषा, उनकी हँसी, उनकी अदाकारी सब कुछ यहाँ हमारे लिए वे छोड़ गए हैं। जब चाहे इन फिल्मों या धारावाहिक में उन्हें अभिनय करते हुए हम देख सकते हैं, पर इस बात का दुःख हमेशा रहेगा कि अब उनकी कोई नई फिल्म नहीं आएगी और अब के बाद हम में से कोई भी उन्हें कभी भी नहीं देख पाएगा। 

अलविदा मक़बूल!  

- जेन्नी शबनम (29. 4. 2020)  

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45 comments:

Shah Nawaz said...

इरफान एक बेहतरीन एक्टर थे, हिंदी फिल्म जगत में उनकी कमीं हमेशा रहेगी।

रेखा श्रीवास्तव said...

एक काबिल कलाकार सबका प्रिय था । खो देने का सदमा बहुत बड़ा है । ईश्वर उन्हें शांति प्रदान करे

डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल said...

बहुत अच्छा और मन से लिखा है आपने.

दिगम्बर नासवा said...

इरफ़ान अपनी अलग पहचान और माँझे हुए अभिनय के कारण हमेशा ज़िंदा रहेंगे हर दिल में ...

राजीव तनेजा said...

सिनेमा को अपूर्णीय क्षति

Divik Ramesh said...

बहुत अच्छा और मार्मिक लिखा है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।

Sunil "Dana" said...

अद्भुत अभिनेता थे इरफान । अभी तो बहुत अभिनय बाकी था देखने को । जल्दी चले गए । ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे ।

Ravindra Singh Yadav said...

नमस्ते,

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरूवार 30 अप्रैल 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर = RAJA Kumarendra Singh Sengar said...

जीवन की यही अनिश्चितता हमें संबल देती है. ये कलाकार लोग तो किसी न किसी रूप में जीवित रहते ही हैं. बस इसे एहसास किये जाने की आवश्यकता है.

विश्वमोहन said...

आँसुओं के सैलाब में तैरती और नयनो पर टँकी उस अद्भुत छवि को नमन!!!

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

इरफ़ान वाक़ई एक बेहतरीन कलाकार और इन्‍सान थे

रेखा श्रीवास्तव said...

एक बेहतर कलाकार और अपने अभिनय के कीर्तिमान स्थापित करके आगे बढ़ रहे थे । ये कला के क्षेत्र में अपूर्णीय क्षति है । ईश्वर उनके घर वालों को धैर्य दे और उनकी आत्मा को शांति !

Sweta sinha said...

एक प्रतिभासंपन्न कलाकार का असमय क ल कलवित होना बेहद दुखद है।

सुभाष नीरव said...

इरफान कलाकार ही ऐसे थे, अपने अभिनय से सबका दिल जीत लेने वाले। आपने उन को याद करते हुए एक अच्छा संस्मरणात्मक लेख लिखा।

Pallavi saxena said...

Kal aur aaj Rishi ji aur Irfan bhai Film industry k do bade log aur ek bada loss jiski bharpai ab kabhi nahi ho sakti 😔😔 om shanti🙏🏼😔

HINDI AALOCHANA said...

मार्मिक और जीवंत स्मरण.....अलविदा मकबूल
-- राजीव रंजन गिरि


Marmagya - know the inner self said...

कल इरफ़ान के मौत की खबर आयी। आज ऋषि कपूर के मौत की खबर आयी। सिनेमा जगत और दर्शक अपने दोनों ही कलाकारों के देहांत से आहत हैं। इरफ़ान एक मंजे हुए कलाकार थे। उनकी कई फिल्मों की जो चर्चा होती है , उसमें उनकी अभिनय की दृष्टि से एक और कामयाब फिल्म "मदारी" की चर्चा करना लोग भूल जाते हैं। व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार पर पर इस फिल्म ने जिस तरह चोट की है , वैसी फ़िल्में कम बनी हैं। ऋषि कपूर पर चर्चा अगली बार !
ब्रजेन्द्र नाथ

रचना दीक्षित said...

ऐसे कलाकारों के लिए शब्दों का अभाव सा हो जाता है एक दमदार आवाज़ बोलती आंखें ही बहुत कुछ कह जाती हैं। सदैव अभिनय की आवश्यकता नहीं होती बस नज़र भर देखना ही काफी होता है।

Sudershan Ratnakar said...

मेरे पसंदीदा कलाकारों में इरफ़ान खान थे। एक बेहतरीन कलाकार एक बेहतरीन इन्सान ।खबर सुनते ही आँखों में आंसू उमड़ आए। आपके संस्मरणात्मक आलेख ने भावुक कर दिया।बहुत अच्छा लिखा है।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

विनम्र श्रद्धांजलि।

Sadhana Vaid said...

इरफ़ान अनंत संभावनाओं से युक्त बहुत ही क्षमतावान कलाकार थे ! उनके असमय निधन से रिक्त होने वाला यह स्थान कितने समय के बाद भर पायेगा कहना मुश्किल है ! ऋषि कपूर का जाना भी उनके प्रशंसकों को स्तब्ध कर गया ! दोनों लोकप्रिय कलाकारों को हार्दिक श्रद्धांजलि !

रवीन्द्र प्रभात said...

मेरे पसंदीदा अभिनेता रहे हैं इरफान, बहुत अच्छी प्रस्तुति रही आपकी। इरफान को विनम्र श्रद्धांजलि।

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger Shah Nawaz said...

इरफान एक बेहतरीन एक्टर थे, हिंदी फिल्म जगत में उनकी कमीं हमेशा रहेगी।

April 29, 2020 at 9:48 PM Delete
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हाँ शाह नवाज़ जी! इरफ़ान की कमी सभी को महसूस होती रहेगी. बहुत उम्दा अभिनेता थे वो.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger रेखा श्रीवास्तव said...

एक काबिल कलाकार सबका प्रिय था । खो देने का सदमा बहुत बड़ा है । ईश्वर उन्हें शांति प्रदान करे

April 29, 2020 at 9:48 PM Delete
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इरफ़ान के नाम से फिल्म देखते थे, इतना अच्छा अभिनेता था. अब भी यकीन नहीं होता कि वह अब नहीं रहा.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल said...

बहुत अच्छा और मन से लिखा है आपने.

April 29, 2020 at 9:58 PM Delete
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धन्यवाद आपका.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger दिगंबर नासवा said...

इरफ़ान अपनी अलग पहचान और माँझे हुए अभिनय के कारण हमेशा ज़िंदा रहेंगे हर दिल में ...

April 29, 2020 at 10:20 PM Delete
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हम सभी के दिलों में उनकी एक अलग ही छाप है. वे हम सभी के दिलों में सदा रहेंगे.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger राजीव तनेजा said...

सिनेमा को अपूर्णीय क्षति

April 29, 2020 at 10:24 PM Delete
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हाँ राजीव जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger Divik Ramesh said...

बहुत अच्छा और मार्मिक लिखा है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।

April 29, 2020 at 11:10 PM Delete
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आभार दिविक रमेश जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...


Blogger Sunil "Dana" said...

अद्भुत अभिनेता थे इरफान । अभी तो बहुत अभिनय बाकी था देखने को । जल्दी चले गए । ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे ।

April 29, 2020 at 11:29 PM Delete
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मुझे तो अब भी यकीन नहीं होता कि वह अब नहीं रहा. बहुत अद्भुत कलाकार था.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger Ravindra Singh Yadav said...

नमस्ते,

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरूवार 30 अप्रैल 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

April 30, 2020 at 12:07 AM Delete
______________________________________

धन्यवाद.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर = RAJA Kumarendra Singh Sengar said...

जीवन की यही अनिश्चितता हमें संबल देती है. ये कलाकार लोग तो किसी न किसी रूप में जीवित रहते ही हैं. बस इसे एहसास किये जाने की आवश्यकता है.

April 30, 2020 at 12:18 AM Delete
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हाँ, जीवन की अनिश्चितता संबल भी देती है और दुःख भी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger विश्वमोहन said...

आँसुओं के सैलाब में तैरती और नयनो पर टँकी उस अद्भुत छवि को नमन!!!

April 30, 2020 at 4:26 AM Delete
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इरफ़ान की बातें उनकी आँखों बोलती थी, अद्भुत था वो.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

इरफ़ान वाक़ई एक बेहतरीन कलाकार और इन्‍सान थे

April 30, 2020 at 6:15 AM Delete
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जी हाँ, काजल कुमार जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger रेखा श्रीवास्तव said...

एक बेहतर कलाकार और अपने अभिनय के कीर्तिमान स्थापित करके आगे बढ़ रहे थे । ये कला के क्षेत्र में अपूर्णीय क्षति है । ईश्वर उनके घर वालों को धैर्य दे और उनकी आत्मा को शांति !

April 30, 2020 at 8:24 AM Delete
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हाँ, सचमुच अपूरणीय क्षति है हम जैसे सिनेमाप्रेमियों के लिए. गज़ब का अभिनय था उनका.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger Sweta sinha said...

एक प्रतिभासंपन्न कलाकार का असमय क ल कलवित होना बेहद दुखद है।

April 30, 2020 at 9:05 AM Delete
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जैसे हतप्रभ हो गए हम सभी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger सुभाष नीरव said...

इरफान कलाकार ही ऐसे थे, अपने अभिनय से सबका दिल जीत लेने वाले। आपने उन को याद करते हुए एक अच्छा संस्मरणात्मक लेख लिखा।

April 30, 2020 at 9:57 AM Delete
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आभार सुभाष नीरव जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger Pallavi saxena said...

Kal aur aaj Rishi ji aur Irfan bhai Film industry k do bade log aur ek bada loss jiski bharpai ab kabhi nahi ho sakti 😔😔 om shanti🙏🏼😔

April 30, 2020 at 10:09 AM Delete
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दोनों ही अद्भुत अभिनेता थे. अपूरणीय क्षति है यह.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger HINDI AALOCHANA said...

मार्मिक और जीवंत स्मरण.....अलविदा मकबूल
-- राजीव रंजन गिरि


April 30, 2020 at 11:14 AM Delete
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धन्यवाद राजीव जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger Marmagya - know the inner self said...

कल इरफ़ान के मौत की खबर आयी। आज ऋषि कपूर के मौत की खबर आयी। सिनेमा जगत और दर्शक अपने दोनों ही कलाकारों के देहांत से आहत हैं। इरफ़ान एक मंजे हुए कलाकार थे। उनकी कई फिल्मों की जो चर्चा होती है , उसमें उनकी अभिनय की दृष्टि से एक और कामयाब फिल्म "मदारी" की चर्चा करना लोग भूल जाते हैं। व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार पर पर इस फिल्म ने जिस तरह चोट की है , वैसी फ़िल्में कम बनी हैं। ऋषि कपूर पर चर्चा अगली बार !
ब्रजेन्द्र नाथ

April 30, 2020 at 11:41 AM Delete
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जी ब्रजेन्द्र जी. मदारी बिल्कुल ही अलग तरह के फिल्म है. वैसे इरफ़ान की हर फिल्म कुछ न कुछ वैचारिक सोच की होती थी. उनकी अंतिम फिल्म में हमारे शिक्षा प्रणाली पर एक गंभीर सवाल है जो उन्होंने मजाकिया अंदाज में किया. इन दोनों अभिनेताओं का जाना बहुत दुखद है.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger रचना दीक्षित said...

ऐसे कलाकारों के लिए शब्दों का अभाव सा हो जाता है एक दमदार आवाज़ बोलती आंखें ही बहुत कुछ कह जाती हैं। सदैव अभिनय की आवश्यकता नहीं होती बस नज़र भर देखना ही काफी होता है।

April 30, 2020 at 12:19 PM Delete
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इरफ़ान की यही तो ख़ासियत थी, बिना बोले आँखें सब कह देती थी. और उनकी संवाद अदायगी तो बस कमाल ही है.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger Sudershan Ratnakar said...

मेरे पसंदीदा कलाकारों में इरफ़ान खान थे। एक बेहतरीन कलाकार एक बेहतरीन इन्सान ।खबर सुनते ही आँखों में आंसू उमड़ आए। आपके संस्मरणात्मक आलेख ने भावुक कर दिया।बहुत अच्छा लिखा है।

April 30, 2020 at 12:27 PM Delete
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इरफ़ान की मृत्यु पर मुझे भी बहुत रुलाई आई. किसी की भी असमय मृत्यु बहुत तकलीफ देती है.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

विनम्र श्रद्धांजलि।

April 30, 2020 at 5:34 PM Delete
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आभार शास्त्री जी.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger Sadhana Vaid said...

इरफ़ान अनंत संभावनाओं से युक्त बहुत ही क्षमतावान कलाकार थे ! उनके असमय निधन से रिक्त होने वाला यह स्थान कितने समय के बाद भर पायेगा कहना मुश्किल है ! ऋषि कपूर का जाना भी उनके प्रशंसकों को स्तब्ध कर गया ! दोनों लोकप्रिय कलाकारों को हार्दिक श्रद्धांजलि !

April 30, 2020 at 7:30 PM Delete

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इरफ़ान का स्थान अब कहाँ भर पाएगा साधना जी. बहुत ही अलग तरह के अभिनेता थे. ऋषि कपूर भी कमाल के अभिनेता थे. एक साथ दोनों का जाना स्तब्ध कर गया.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

Blogger रवीन्द्र प्रभात said...

मेरे पसंदीदा अभिनेता रहे हैं इरफान, बहुत अच्छी प्रस्तुति रही आपकी। इरफान को विनम्र श्रद्धांजलि।

May 2, 2020 at 1:37 PM Delete

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शुक्रिया रवीन्द्र जी. इरफ़ान मेरे पसंदीदा अभिनेता हैं. इसीलिए उनकी मृत्यु पर खुद को रोक नहीं पाई और उनकी यादों को लिख लिया.

प्रियंका गुप्ता said...

एक महान कलाकार पर लिखे इस आत्मीय से संस्मरणात्मक आलेख पढ़ कर मन एक बार फिर उनकी अदाकारी की यादों में चला गया | बहुत अच्छा लगा इसे पढना |