रात के लगभग 8 बजे थे। प्राइवेट नर्सिंग होम में एक स्त्री को इमरजेंसी में भर्ती कराया गया और उसका अल्ट्रासाउंड हो रहा था। स्त्री लगातार दर्द से रो रही थी और बीच-बीच में अँगरेज़ी में डॉक्टर से कुछ-कुछ पूछ रही थी।डॉक्टर ने कान में आला लगाकर बच्चे की धड़कन सुनने की कोशिश की।तभी भ्रूण ने चिल्लाकर कहा ''डॉक्टर, मुझे मार डालो, मैं इस दुनिया में नहीं आना चाहती, मेरी हत्या कर दो।'' डॉक्टर ने कहा ''ऐसा क्यों कह रही हो, तुम 3 महीने की हो चुकी हो, अब ये मुमकिन नहीं और ऐसा मैं क्यों करूँ?'' भ्रूण ने बेहद कातर स्वर में कहा ''डॉक्टर, आप नहीं जानतीं मेरी माँ की स्थिति, मुझे बचाने के लिए वे कितनी पीड़ा सह रही हैं, जबकि वे जानती भी नहीं कि मैं कन्या-भ्रूण हूँ।'' डॉक्टर हतप्रभ! वह स्त्री न तो ग़रीब परिवार की दिख रही, न अशिक्षित, धड़ाधड़ अँगरेज़ी में मेडिकल टर्म के शब्द बोल रही है और किसी तरह बच्चे को बचा लेने के लिए अनुरोध कर रही है। डॉक्टर समझ नहीं पा रही कि एक शिक्षित संपन्न माँ की कन्या-भ्रूण क्यों दुनिया में आना नहीं चाहती है?
भ्रूण ने बताया कि जब उसकी माँ को पहली बार यह पता चला कि वह पेट से है, तो ख़ुश होकर अपने पति को बताने गई। दो झन्नाटेदार चाँटा गाल पर। माँ सहम गई। उसका पति चिल्लाने लगा कि बच्चा पैदा करने किसने बोला, उसने बच्चा पैदा करने के लिए शादी नहीं की है। उसे रोज़ उसका बदन चाहिए न कि बच्चा। बहुत रोई माँ। दूसरे दिन जब ऑफ़िस गई तो सभी ने पूछा- ''अरे फिर से ये क्या हो गया तुमको, गाल पर चोट के निशान।'' माँ ने बताया कि वह फिर से बाथरूम में फिसल गई, बहुत स्लीपरी है न बाथरूम। कई बार चोट के नीले निशान तथा हाथ और चेहरे पर खरोंच भी देखा था सभी ने, पर हर बार माँ यही कहती कि कभी सीढ़ी से गिर गई, कभी रास्ते पर हड़बड़ी में चलते हुए गिर गई, कभी पड़ोस के शिशु ने नाखून से नोच दिया। वह कैसे कहती कि उसका पति जिससे उसने प्रेम विवाह किया है, हर रात उसमें शैतान उतर आता है।
दूसरे दिन शाम को माँ के ऑफ़िस से लौटने के बाद उसका पति उसे डॉक्टर के पास ले गया और लिंग जाँच कराया, तो पता चला कि कन्या है। रात को उसके पति ने जबरन शराब पिलाई और उसमें नींद की 8-10 गोलियाँ डाल दीं। रात में तबीयत बिगड़ने पर किसी डॉक्टर के पास ले गया और हमल गिरवा दिया। सुबह जब उसकी नींद खुली वह समझ गई कि उसका बच्चा नहीं रहा। फिर वही नियम, घर का काम-काज, ऑफ़िस, और फिर वही रातें जिनमें उसे ख़रीदी हुई वेश्या बन जाना होता है, जिसका फ़र्ज़ है ग्राहक को ख़ुश करना।
इस बार जब गर्भ रह गया तो माँ ने किसी को नहीं बताया। किसी तरह 3 महीना गुज़र गया। जिसमें से एक महीना वह अपने सास-ससुर के पास रही; क्योंकि सास अस्वस्थ थी और अच्छी परिचारिका होने के कारण पति ने वहाँ भेज दिया था। सास को पता चल गया कि वह पेट से है। ख़ुशी में ख़ूब लड्डू बाँटे और पोता ही जनने की धमकी दे डाली। बेटे को बताया तो बेटा ख़ुश हुआ और पत्नी को उलाहना दिया कि तुमने मुझे क्यों नहीं बताया। माँ सोची कि शायद इस बार सब ठीक हो गया है। सास भी वारिस का मुँह देखने साथ यहाँ आ गई। आज शाम को पति बोला कि चलो डॉक्टर को दिखा लो और जो भी सावधानी चाहिए, पता कर लो। माँ चली गई डॉक्टर के पास।फिर उसके पति ने डॉक्टर से पता कर लिया कि गर्भ में इस बार भी कन्या है। घर आकर माँ को बहुत मारा और पेट के बल धक्का दे दिया। सास खड़ी होकर तमाशा देखती रही। तभी उसके पति का एक दोस्त घर आया, उसने देखा कि माँ नीचे पड़ी कराह रही है और रक्त बह रहा है। दोस्त को देखते ही उसका पति बोला कि माँ सीढ़ी से गिर गई है और फिर झट से माँ को उठाया और गाड़ी में लेकर यहाँ आया।
भ्रूण ने कहा ''मैं कन्या हूँ न! इतने से मार से मैं खत्म नहीं हो पाई, दोस्त अंकल के कारण मैं बच गई। लेकिन दूसरे के भरोसे कितने दिन मैं बचूँगी। अगर बच भी गई, तो माँ रोज़ ऐसे ही पिटेगी, नहीं सह पाती हूँ ये सब देखना।'' डॉक्टर ने भ्रूण को बहुत समझाया कि 3 महीने की तुम हो चुकी हो और ऐसा करना पाप है और अपराध भी। भ्रूण ने कहा कि आप नहीं कर सकतीं, पर दूसरे डॉक्टर तो यह करते ही हैं। किसी डॉक्टर ने ही तो बताया था कि माँ के पेट में कन्या है, तभी तो माँ के साथ इतना क्रूर बर्ताव हुआ है।माँ को जब उसका पति मार रहा था तो बोला ''अगर पैदा ही करना है, तो लड़का पैदा करो, मेरा वंश तो चलेगा। लड़की की रखवाली हर वक़्त कौन करेगा, कहीं रेप-वेप हो गया तो किसको मुँह दिखाएँगे, लड़की पैदा करके क्या दहेज में अपनी सारी संपत्ति किसी ग़ैर को दे दूँ?''
''डॉक्टर, आप ही बताइए क्या ऐसे घर में मेरा जन्म लेना मुनासिब है? अगर इन सब के बाद बच गई, तो जन्म के बाद जाने क्या हो? जाने कब कौन हवस का शिकार बना ले। हर वक़्त बदन के अंदर झाँकती नज़रों से कहाँ बच पाऊँगी। इन सबसे गुज़रते हुए बड़े होने पर अगर कोई मन को भा जाए, तो क्या पता मुझे इसकी क्या सज़ा मिले, मुमकिन है हमदोनों को मौत के घाट उतार दिया जाए। ये भी संभव है कि किसी के इसरार पर इंकार करूँ तो तेज़ाब से जलाकर मुझे विकृत कर दे। अगर इन सब हादसों से बच जाऊँ और विवाह की बात हो, तो दहेज की जुगाड़ में माँ-बाप के अवसाद की वज़ह बनूँगी और फिर मेरा मन कुण्ठाग्रस्त हो जाएगा। अगर ये भी सही सलामत निपट जाए तो क्या मालूम और ज़्यादा दहेज के लिए जला दी जाऊँ, चरित्रहीन बताकर निष्काषित कर दी जाऊँ, मुझे आत्महत्या करने के लिए विवश होना पड़े। यह भी मुमकिन है कि किसी की धूर्तता से मैं भी माँ-सी बन जाऊँ, जिसे इस आरोप में बार-बार प्रताड़ित किया जाए कि पेट से क्यों हुई या पेट में कन्या-भ्रूण क्यों?''
''डॉक्टर, मुझे नहीं जीना ऐसी दुनिया में, मुझे नहीं बनना अपनी माँ की तरह और न चाहती हूँ ऐसी ख़ौफ़नाक ज़िन्दगी, जिसमें हर पल अपने अस्तित्व को बचाने के लिए वार और आघात सहूँ। लोगों के तिरस्कार और घृणा की पात्र बनूँ। भ्रूण से लेकर जन्म होने और उसके बाद मृत्यु तक तमाम उम्र ख़ौफ़ के साए में जियूँ। अपने जीवन के वास्ते दूसरों की मेहरबानी के लिए याचना करती रहूँ और एक-एक दिन यह सोचकर व्यतीत करूँ कि चलो आज तो सुरक्षित रही। जानती हूँ मुझे मार ही दिया जाना है, चाहे तुम मारो या दूसरी डॉक्टर। माँ के साथ मैं भी हर वक़्त डरी होती हूँ कि कब क़त्ल कर दी जाऊँ। पल-पल मृत्यु की प्रतीक्षा बहुत ख़ौफ़नाक होती है। मैं नहीं आना चाहती ऐसे घृणित और डरावने संसार में।''
''डॉक्टर, तुम ही सोचो दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती को पूजने वाले भी अपने लिए कन्या नहीं चाहते। यह माना जाता है कि बिना ईश्वर-कृपा कुछ नहीं होता, फिर तो ईश्वर की इच्छा से ही कन्या-भ्रूण भी माँ के गर्भ में आती है न! पर अब लगता है कि शायद ईश्वर के हाथ में जीवन-मृत्यु नहीं, डॉक्टर चाहे तो परखनली द्वारा भ्रूण को जन्म दे-दे और जब चाहे किसी को मृत्यु। मैं जन्म नहीं लेना चाहती डॉक्टर, मुझे मार दो।''
जो डॉक्टर पाप-पुण्य और कानून की बात सुनाकर क़त्ल करने से मना कर रही थी, उसी ने पैसे से पाप को पुण्य में बदल दिया। भ्रूण की मृत्यु-याचना के कारण नहीं; बल्कि स्त्री के पति के पैसे से उसने पुण्य कमाया। डॉक्टर ने कसाई बनकर माँ के बदन से भ्रूण को निकाला। एक चीख और फिर निःस्तब्धता! स्त्री और मानवता फिर से हारी, पुरुष जीत गया।
- जेन्नी शबनम (8.3.2006)
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