Monday, November 24, 2025

130. हैंडसम ही-मैन हीरो धर्मेंद्र

धर्मेंद्र मेरे बचपन के समय के सबसे हैंडसम, ही-मैन, हीरो थे। ब्लैक एंड व्हाइट फ़िल्म से रंगीन फ़िल्म तक के सफ़र में मुझे सबसे आकर्षक अभिनेता धर्मेंद्र ही लगते थे। हालाँकि उस ज़माने में भी बहुत अच्छे-अच्छे अभिनेता हुए; लेकिन मेरे लिए ख़ूबसूरती में नंबर वन धर्मेंद्र ही रहे। मेरे अनुसार धर्मेंद्र के बाद मेरी पीढ़ी के सलमान खान ने आकर्षण में उनका स्थान लिया है। 


धर्मेंद्र का जन्म 8 दिसम्बर 1935 को पंजाब के लुधियाना ज़िले में साहनेवाल गाँव में हुआ। धर्मेंद्र फ़िल्मफेयर पत्रिका के राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित नए प्रतिभा पुरस्कार के विजेता थे। पुरस्कार विजेता होने के कारण फ़िल्म में काम करने के लिए वे पंजाब से मुंबई गए; लेकिन फ़िल्म नहीं बनी। वर्ष 1960 में 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' फ़िल्म से धर्मेंद्र ने फ़िल्मी करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने हर प्रकार की फ़िल्मों में काम किया है। कुछ फ़िल्में तो सुपर हिट भी हुईं। नायक, खलनायक, जाँबाज़ सिपाही, भावुक इंसान, कॉमेडियन इत्यादि सभी रोल में धर्मेंद्र ने शानदार अभिनय किया है।


धर्मेंद्र की जोड़ी सभी साथी कलाकारों के साथ बहुत अच्छी लगती है। रफ़ी के गाए गीत के साथ धर्मेंद्र का अभिनय बहुत कमाल का कॉम्बिनेशन लगता है। धर्मेंद्र और मीना कुमारी के प्रेम के रिश्ते काफ़ी गहरे थे। मीना कुमारी ने धर्मेंद्र को बेइन्तहाँ प्यार किया, उनके करियर को ऊँचाई दिलाई; लेकिन धर्मेंद्र ने रिश्ता नहीं निभाया। जाने किसकी नज़र लग गई और यह रिश्ता टूट गया। धर्मेंद्र का हेमा मालिनी के साथ प्रेम सम्बन्ध शुरू हुआ और 1980 में उन्होंने शादी की। मीडिया के अनुसार पहले से विवाहित धर्मेंद्र ने हेमा मालिनी से शादी के लिए अपना धर्म बदला; क्योंकि पहली पत्नी प्रकाश कौर ने तलाक़ नहीं लिया। 

धर्मेंद्र ने लगभग 300 फिल्में की हैं। उन्होंने फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में क़दम रकह और कई सारी फ़िल्में बनाईं। वे राजनीति में भी सक्रिय रहे। वे भारतीय जनता पार्टी से बीकानेर निर्वाचन क्षेत्र के सांसद थे। वर्ष 1997 में उन्हें हिन्दी सिनेमा में योगदान के लिए फ़िल्मफेयर लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला। वर्ष 2012 में उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया। इसके अलावा अलग-अलग बहुत सारे सम्मान उन्हें मिले थे। 

मुझे धर्मेंद्र की सीरियस फ़िल्में ज़्यादा पसन्द आती हैं। बंदिनी, दिल ने फिर याद किया, फूल और पत्थर, मझली दीदी, जीवन मृत्यु, ड्रीम गर्ल, हक़ीक़त, अनपढ़ इत्यादि फ़िल्में मुझे पसन्द हैं। लाइफ़ इन ए मेट्रो उनकी दूसरी पारी की फ़िल्म थी, जो मुझे बेहद पसन्द आई थी। शोले हर समय की सुपरहिट फ़िल्म है; लेकिन मुझे कभी भी पसन्द नहीं आई। 

भोपाल में मेरे एक मित्र थे सुनील मिश्र, जो लेखक, कवि, संस्कृतिकर्मी, फ़िल्म क्रिटिक थे, जिनका देहान्त 2021 में हुआ। उन्हें धर्मेंद्र इतने पसन्द थे कि उन्होंने धर्मेंद्र के लिए फेसबुक पर धर्म-छवि के नाम से एक पेज बनाया था। धर्मेंद्र के हर जन्मदिन पर वे उनसे मिलने जाते थे। धर्मेंद्र को वे पापाजी कहते थे। मैंने एक बार उनसे कहा कि धर्मेंद्र को तो पापाजी कह सकते; लेकिन हेमा मालिनी इतनी सुन्दर हैं, उन्हें कोई मम्मी जी कैसे कह सकता है। उन्होंने हँसकर कहा कि वे हेमा को मम्मी नहीं बोलते हैं। सुनील जी को शोले बहुत पसन्द थी और मुझे नापसन्द। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं दोबारा शोले देखूँ। मैं दोबारा शोले देखी; लेकिन अब भी अच्छी नहीं लगी। जाया भादुड़ी इस फ़िल्म में मुझे बहुत अच्छी लगीं। सुनील जी ने शोले के अच्छे लगने के ढेरों कारण बताए, फिर भी मुझे शोले पसन्द नहीं आई। मैंने मान लिया की फ़िल्म की समझ मुझमें नहीं, जो देखने में मन को सुहाए मेरे लिए वही अच्छी फ़िल्म है।  हेमा की ख़ूबसूरती के अलावा उनकी एक्टिंग मुझे कभी भी अच्छी नहीं लगी।

कुछ दिन पहले जब धर्मेंद्र बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हुए, तो मीडिया ने उनकी मृत्यु की ख़बर प्रसारित कर दी। संवेदनहीन मीडिया पर किसी भी ख़बर के लिए भरोसा करना मुश्किल है। सत्य की पड़ताल किए बिना ख़बरों का प्रसारण मीडिया के लिए आम बात है। एक बात है कि जीवित रहते हुए मृत्यु की ख़बर से पूरा देश कितना ग़मगीन हुआ यह धर्मेंद्र ने देखा। उन्होंने यह भी देखा कि ग़लत ख़बर फैलाने वालों पर लोगों का आक्रोश किस तरह फूटा। उनके लिए सभी का प्यार और फ़िक्र देखकर उन्हें अपने लोगों और अपने चाहने वालों पर गर्व हुआ होगा। 

तीन पीढ़ियों का ही-मैन और फिल्म इंडस्ट्री में अपने ज़माने का सबसे आकर्षक हीरो आज इस संसार से विदा हो गया। मेरे पहले पसन्दीदा हीरो को हार्दिक श्रद्धांजलि!

-जेन्नी शबनम (24.11.2025)
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