Sunday, November 12, 2023

106. 'टाइगर 3'

''वक़्त नहीं लगता वक़्त बदलने में।'' - यह बहुत बड़ा सच है। यह पंक्ति सलमान खान और कैटरीना कैफ़ अभिनीत फ़िल्म 'टाइगर 3' का डायलॉग है।  फ़िल्म के सन्दर्भ में नहीं बल्कि जीवन के सन्दर्भ में यह बहुत बड़ा सच है। वक़्त कितनी तेज़ी से बदलता है; आश्चर्य होता है जब पीछे मुड़कर देखती हूँ। यूँ लगता है मानो पलक झपका और मैं कहाँ से कहाँ पहुँच गई। अपने जीवन में तमाम उतार-चढ़ाव वक़्त के साथ मैंने देखा। हाँ, सिनेमा भी बहुत देखती रही, जब से सिनेमा देखने की उम्र हुई। सिनेमा की शौक़ीन मैं, अब भी ख़ूब मन से सिनेमा देखती हूँ। 

मैं फ़िल्म समीक्षक नहीं हूँ, तो उस दृष्टि से सलमान-शाहरुख की फ़िल्में नहीं देखती। मनोरंजन के लिए देखती हूँ, क्योंकि ये दोनों मेरे पसन्दीदा अभिनेता हैं। इनकी फ़िल्मों में मुझे न फ़िल्म की पटकथा से मतलब होता है, न कहानी से न व्यर्थ के दिमाग़ी घोड़े दौड़ाने से। बस सिनेमा इंजॉय करती हूँ; भले ही अकेले जाऊँ पर देखती ज़रूर हूँ। सलमान-शाहरुख का सिनेमा पहले दिन देखना हमेशा से मेरे लिए ख़ुशी का दिन होता है। 

फ़िल्म 'टाइगर 3' आज दीपावली के दिन सिनेमा हॉल में रिलीज़ हुई। जैसे ही सलमान पर्दे पर आए, तालियाँ और सीटियाँ बजनी शुरू हो गईं। अब अपनी उम्र के लिहाज़ से मैं तो ऐसा नहीं कर सकती थी, पर तालियों-सीटियों को ख़ूब इंजॉय की। सलमान के एक डायलॉग ''जब तक टाइगर मरा नहीं तब तक टाइगर हारा नहीं'' पर पूरा सिनेमा हॉल तालियों से गूँज गया। सलमान के हर एक्शन सीन पर तालियाँ बजती रहीं। फ़िल्म में जब शाहरुख खान (छोटी भूमिका) सलमान की मदद के लिए आते हैं, तब भी सीटी और तालियों की गड़गड़ाहट गूँजने लगी। मुझे याद आया शाहरुख खान की फ़िल्म 'पठान' में सलमान (छोटी भूमिका) शाहरुख की मदद के लिए आते हैं, तो ऐसे ही हॉल में सीटी और तालियाँ गूँजी थीं। 

'टाइगर 3' की कहानी के अन्त में जब यह पता चलता है कि पकिस्तानी प्रधानमन्त्री को उनके अपने ही लोग हत्या करने वाले होते हैं, तो हिन्दुस्तान के रॉ एजेन्ट अर्थात सलमान उनको बचाते हैं, तब पाकिस्तानी छात्राओं द्वारा हिन्दुस्तान का राष्ट्रगान 'जन गण मन' का धुन बजाया जाता है। राष्ट्रगान का धुन शुरु होते ही सिनेमा हॉल का हर दर्शक खड़ा हो गया। यह सचमुच बहुत सुखद लगा। काश! हर देश एक दूसरे का यूँ ही सम्मान करे और कहीं कोई युद्ध न हो।  

मैं सोच रही हूँ कि अगर हर देश और वहाँ का हर देशवासी, चाहे राजनेता हो या आम नागरिक, अमन की चाह रखे तो कभी दो देश के बीच युद्ध नहीं होगा। परन्तु यह सम्भव ही नहीं। सिनेमा देखकर भले हम ताली बजाएँ या सीटी, लेकिन देश की सीमा पर हर दिन जवान मारे जा रहे हैं। कितने ही रॉ एजेन्ट मारे जाते हैं, जिन्हें अपना देश स्वीकार नहीं करता है। अमन की बात करने वाला भी अपने अलावा दूसरे धर्म को प्रेम से नहीं देखता है। आज जिस तरह कई देश आपस में युद्ध कर रहे हैं, वह दिन दूर नहीं जब तीसरा विश्व युद्ध शुरु हो जाएगा। फिर न धर्म बचेगा न देश न दुनिया।

सलमान-शाहरुख मेरे हमउम्र हैं। इन्हें हीरो के रूप में देखकर लगता है कि वे अभी भी युवाओं को मात देते हैं, जबकि मुझ जैसे स्त्री-पुरुष इस उम्र में जीवन के अन्तिम पल की गिनती शुरु कर देते हैं। इन अभिनेताओं से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए और जीवन भरपूर जीना चाहिए। इन्हें देखकर लगता है मानो वक़्त बढ़ता रहा पर इनकी उम्र ठहर गई; अजर हैं ये। युवा सलमान-शाहरुख से उम्रदराज़ सलमान-शाहरुख को देख रही हूँ। बढ़ती उम्र के साथ ये और भी आकर्षक लगने लगे हैं। न सिर्फ़ सुन्दर व्यक्तित्व है इनका बल्कि बहुत उम्दा अभिनेता है। निःसंदेह सलमान-शाहरुख की बढ़ती उम्र उनकी फिल्मों और प्रशंसकों में कमी नहीं ला सकती। 

'टाइगर 3' हिट होगी या फ्लॉप मुझे नहीं मालूम, पर मेरे लिए सलमान-शाहरुख की हर फ़िल्म हिट होती है। मुझे सलमान-शाहरुख-सा कोई अभिनेता नहीं लगता। हालाँकि ढेरों अभिनेता हैं, जो बेहतरीन अभिनय करते हैं, लेकिन इन दोनों की बात ही और है मेरे लिए। इस वर्ष दीपवाली के अवसर पर टाइगर 3 का तोहफ़ा मिला है। उम्मीद है अगले साल ईद के अवसर पर 'टाइगर 4' ईदी के रूप में मिलेगा। 

सलमान की ऊर्जा यूँ ही अक्षुण्ण रहे और लगातार फ़िल्में करते रहें। टाइगर 3 के लिए बधाई और भविष्य के लिए शुभकामनाएँ! 

- जेन्नी शबनम (12.11.2023)

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11 comments:

जयकृष्ण राय तुषार said...

सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति

Udan Tashtari said...

अगर हर देश और वहाँ का हर देशवासी, चाहे राजनेता हो या आम नागरिक, अमन की चाह रखे तो कभी दो देश के बीच युद्ध नहीं होगा। काश ऐसा हो पाता-

Anonymous said...

अच्छा लिखा हैं..

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

व्वाह
ब्लॉग पर आपकी सक्रियता प्रशंसनीय है

और फ़िल्म के बारे में रोचक लिखा आपने
यद्यपि
बहुत वर्षों से फ़िल्मों में मेरी रुचि नहीं रही ।

बधाई
🌹🌻🌷

सहज साहित्य said...

अच्छी लगी मन की बात

Anonymous said...

बहुत सटीक विश्लेषण किया है आपने।बधाई।
जब अहम टकराते हैं तो युद्ध होता है। यह मिट जाए तो सर्वत्र शांति का साम्राज्य हो। सुदर्शन रत्नाकर

प्रियंका गुप्ता said...

आप फ़िल्म समीक्षक भले न हों, पर टाइगर 3 के बारे में आपके मनोभावों को पढ़ना सुखद लगा। सलमान और शाहरुख मुझे भी पसंद हैं। दिल से लिखे गए इस छोटे-प्यारे से आलेख के लिए आपको बहुत बधाई।

Sudha Devrani said...

बहुत खूब...
सुन्दर भावाभिव्यक्ति।

Anonymous said...

मन के सुन्दर भाव।

घुघुती said...

हार्दिक बधाई जेन्नी जी! आप वह नदी है जो तमाम छोटे-बड़े पत्थरों को लाँघती हुई आगे बढ़ती और पाट चौड़ा करती जाती है| कलम की धार पैनी रखिए| शुभकामनाएँ!

जितेन्द्र माथुर said...

फ़िल्म के विषय में आपने जो लिखा है, वह सीधा आपके दिल से निकला है। पढ़कर बहुत अच्छा लगा।