आज एक ग़ज़ल बार-बार गुनगुनाने को मन कर रहा है "एक ब्राह्मण ने कहा है कि साल अच्छा है...।" ज्योतिषियों के अनुसार आज की तिथि 10.11.12 अंक के बढ़ते क्रम के अनुसार होने के कारण बहुत शुभ है और यह दिन उनके लिए ज़्यादा सौभाग्यशाली है, जिनका जन्म आज हुआ है या आज होगा। यह तारीख़ इस सदी की ऐसी तारीख़ है जो दुबारा नहीं आएगी। हाँ! यह सच है कि कोई ख़ास तारीख़ हमारे जीवन में ख़ास महत्व रखती है। यों तो हर बीता लम्हा दुबारा नहीं आता, पर हर लम्हा ख़ास होते हुए भी ख़ास नहीं होता, आम दिनों-सा हर दिन बीत जाता है। लेकिन ख़ास तारीख़ का हमें इन्तिज़ार रहता है। ख़ास तारीख़ पर देश ही नहीं दुनिया के तमाम ज्योतिष अपनी-अपनी भविष्यवाणी करते हैं। शुभ क्या-क्या है और क्या-क्या हो सकता है, ये तो कोई नहीं जानता, लेकिन शुभ-अशुभ जानना हर कोई चाहता है। शुभ-दिन, शुभ-घड़ी, शुभ-तिथि, शुभ-साल, शुभ शुभ शुभ...!
हर कोई अपने लिए शुभ चाहता है और दूसरों को शुभ का सन्देश देता है। लेकिन शुभ-अशुभ की ठीक-ठीक व्याख्या न कोई ज्योतिष कर पाता है न कोई इंसान निर्धारित कर सकता है। एक ही घड़ी-नक्षत्र में जन्म लिए हुए दो व्यक्ति का जीवन दो दिशा में चला जाता है। कोई सुख-सुविधा से परिपूर्ण जीवन पाता है, तो कोई आजीवन कष्ट में जीवन यापन करता है। कोई बिना लड़े दुनिया जीत लेता है, तो कोई जीवटता से लड़ते हुए न सिर्फ जंग हारता है बल्कि जीवन भी हार जाता है। किसी की पूरी ज़िन्दगी काँटों भरी राह पर चलते हुए गुज़रती है, तो किसी की राहों में सिर्फ़ फूल ही फूल बिछे होते हैं। तमाम जद्दोजहद के बाद भी किसी का जीवन बिना जिए ख़त्म हो जाता है, तो कोई जीवन ख़त्म करने के सारे उपाय करके भी जीवन ढोता रहता है।किसी के जीवन में सिर्फ़ अँधेरा-ही-अँधेरा होता है, तो कोई अँधेरों में ख़ुद को ही जलाकर रोशनी करना सीख जाता है। आख़िर ऐसी तक़दीर कैसे? किसने बनाई? अगर तक़दीर बदल सकती है, तो फिर ऐसी तक़दीर मिली ही क्यों? बहुत सारे क्यों हैं, इस क्यों के निवारण के लिए ज्योतिष के पास जाना होगा।
ज्योतिषियों ने कहा कि पिछले जन्म के पाप-पुण्य इस जन्म की तक़दीर का निर्धारण करते हैं। किसी का जन्म सम्पन्न परिवार में होगा या विपन्न, कौन किस जाति में जन्म लेगा, किसका जीवन आनन्ददायक होगा और कौन आजीवन कष्ट भोगेगा, इन सबका कारण पिछले जन्म का किया गया हमारा कर्म है। मृत्यु के बाद स्वर्ग में जाना या नरक में, इसका निर्धारण भी इस जन्म का हमारा कर्म करेगा। अगर हमारे तक़दीर में कोई कमी है, तो उसके निवारण का उपाय इन ज्योतिषियों के पास है।
हमारी कुण्डली में यह निर्दिष्ट होता है कि कौन सा ग्रह हम पर क्या असर डालेगा और क्या करने से किसी ख़ास ग्रह के प्रकोप से बचा जा सकता है। जीवन में अकस्मात् कोई घटना घट जाए जो बुरी हो या कोई बुरी घटना न घटे इसके लिए एक नहीं कई उपाय हैं। जैसे अलग-अलग मरज़ के लिए अलग-अलग डॉक्टर, वैसे ही अलग-अलग मरज़ के लिए अलग-अलग उपाय।
अक्सर सुना है कि ये बुरा वक़्त और ये अच्छा वक़्त है। अब बुरा में क्या-क्या होगा ये कैसे पता चले। जीवन सहजता-सरलता से चलता रहे, तो अच्छा वक़्त और जीवन में ज़रा भी बाधा या विघ्न आए तो बुरा वक़्त। कभी भी कोई ज्योतिष स्पष्टतः यह नहीं बताता कि अच्छा या ख़राब में क्या-क्या शामिल किया जाए। कई बार जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जब लगता कि जीवन बस अब यहीं ख़त्म; लेकिन वही कारण किसी दूसरे के लिए महत्वपूर्ण नहीं होते, और उनके हिसाब से ये जीवन के अंत की वज़ह नहीं हो सकते। कई बार बिलकुल सामान्य-सी लगने वाली घटना किसी का जीवन पूरी तरह से बदल देती है, तो वही घटना किसी के लिए अर्थहीन होती है। कोई अनहोनी किसी का सम्पूर्ण जीवन बदल देती है, तो कई बार कोई अनहोनी किसी को उसके राह से डिगा नहीं पाती है।
मुमकिन है हमारी संवेदनाएँ इन सब के लिए ज़िम्मेदार हों। मगर ज्योतिष? क्या किसी मनुष्य में इतनी ताक़त है कि वह भविष्य के बारे में बता सके? किसी अँगूठी में इतनी क्षमता है कि ईश्वर द्वारा लिखी हुई तक़दीर को हमारी इच्छा और कामना के अनुरूप बदल सके? क्या कोई तिथि शुभ-अशुभ होती है? अगर होती है, तो इसकी जानकारी रखने वाला क्यों नहीं स्पष्ट रूप से बता देता कि क्या-क्या शुभ होगा और क्या-क्या अशुभ। अगर अशुभ होने के संकेत मिले, तो उसे शुभ में बदलने के उपाय समय रहते ही कर लिए जाएँ; फिर इस पृथ्वी पर कोई असंतुष्ट न रहेगा। मुमकिन है ऐसा इसलिए नहीं करते होंगे कि अगर सभी सुखमय हो जाएँ, तो दुखी मन कहाँ से आए, जिन्हें राहत देने के लिए इन भविष्यवक्ताओं के बाज़ार क़ायम रहे। स्वार्थ की पूर्ती के लिए अगर इन पर भरोसा कर एक-आध अँगूठी पहन ली जाए तो इसमें बुरा क्या है। ऐसी सोच... घोर अनर्थ... आख़िर ये भी तो जीविका के साधन हैं और जीवन यापन का सभी को अधिकार है। भला इसमें ग़लत क्या है? अब कोई ज्योतिष तो किसी के पीछे नहीं पड़ता कि भई अपना भविष्य जान लो। लोग अपनी इच्छा से आते हैं ताकि जीवन सँवार सकें, अब इसमें बेचारे ज्योतिषियों का क्या दोष?
यों अब भविष्यवाणी पर ब्राह्मणों का एकाधिकार नहीं रहा। समय के साथ सब कुछ बदल गया है। जो भी चाहे ज्योतिष शास्त्र पढ़कर इस पेशा को अपना सकता है और धन अर्जित कर सकता है। बस इतना कोई बता दे आज के दिन क्या-क्या अच्छा होगा और आने वाली कौन सी ख़ास तारीख़ क्या-क्या ख़ास ख़ुशियाँ देंगी। इस सदी के इस अनोखे दिन में दुनिया में क्या-क्या ख़ास होने वाला है, ये जानने का इन्तिज़ार है। वैसे भी आज का दिन अच्छा है, तो भई शुभ-शुभ बोलो! अब ब्राह्मण ने कहा है तो मान लेते हैं कि आज का दिन शुभ है। आज का दिन शुभ हो!
- जेनी शबनम (10.11.12)
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2 comments:
होनी तो अदृश्य शक्ति के हाथों में है , संकेत मिलते हैं कभी कभी- पर कोई तय नहीं कर सकता
बढिया,
बहुत बढिया
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