Saturday, June 26, 2021

89. हाइकु-विचार

हाइकु-विचार 


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हाइकु एक ऐसी सूक्ष्म और भावपूर्ण कविता है, जिसका प्रभाव त्वरित पड़ता है। क्षणिक सोच और सोच का विस्तार इतना शीघ्र और गहन होता है कि शब्द के साथ ही उस रचना में निहित भाव चित्रित होकर सामने आने लगते हैं। जैसे हौले से छोटी-छोटी पंक्तियाँ, एक बड़ा सा सच आँखों के सामने साकार कर देती हैं। हाइकु की संरचना इतनी संक्षिप्त है कि किसी भाव, विचार या कल्पना को अभिव्यक्त करने के लिए ज़्यादा श्रम नहीं करना पड़ता और अगर ज़्यादा श्रम कर शब्दों को जोड़-तोड़ करें, तो उसका भाव प्रभावहीन हो जाता है। एक झटके में मन में जो भाव उत्पन्न हो जाए, उसे कलमबद्ध कर लेना चाहिए। हाइकु की एक सबसे ख़ास विशेषता है कि भाव का सिर्फ़ वर्णन नहीं करते, अपितु उस भाव का मन में चित्र-सा बन जाए, यह लाजिमी है। हाइकु जितना सहज हो और जितना कोमल भाव हो उतना ही प्रभावपूर्ण होता है। हाइकु की संरचना स्पष्टतः निर्देशित है, अतः उसमें वर्णों को कम ज़्यादा नहीं कर सकते। इसलिए शब्दों की पकड़ बहुत ज़रूरी है, ताकि निश्चित शब्दों में व्यक्त भाव अपने बिम्ब के साथ सहज रूप से संप्रेष्य हो सके  

 हिन्दी हाइकु का भविष्य निःसंदेह बहुत उज्जवल है; क्योंकि आकार में छोटा होने के कारण लिखना और पढ़ना दोनों सहज है हाइकु को परिभाषित करना हो तो कम शब्दों में कह सकते हैं कि गहन भाव की त्वरित अभिव्यक्ति जो शब्द सीमा में रह कर सम्पूर्णता पाती है।   


- जेन्नी शबनम (1. 9. 2014)

(रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु एवं डॉ. भावना कुँवर द्वारा संपादित पुस्तक 'हाइकु-काव्य : शिल्प एवं अनुभूति' 2015, पेज 261 में प्रकाशित) 
 
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8 comments:

  1. सही विचार । सरल परिभाषा

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  2. महत्वपूर्ण। बहुत ही सरल-सहज भाषा में विचार व्यक्त किया है। हार्दिक बधाई।

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  3. सुंदर विचार-बधाई।
    हाइकु की सहजता को लोग आसान समझ बैठते हैं जबकि यह कठिन साधना की विधा है।

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  4. बहुत हु सुन्दर हायकु विचार...
    सही कहा आपने हाइकु का भविष्य निःसंदेह बहुत उज्जवल है; क्योंकि आकार में छोटा होने के कारण लिखना और पढ़ना दोनों सहज है।
    बहुत सटीक।

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  5. सटीक विचार। बहुत सुंदर

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  6. आपकी व्याख्या उचित है जेन्नी जी लेकिन इस सुगम प्रतीत होने वाली विधा को साधने में निश्चय ही बड़ी साधना लगती है। आलेख उपयोगी है आपका। और आपने तो इस विधा को साधा ही है। इसमें रुचि लेने वाले आप ही से प्रेरणा ले सकते हैं।

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  7. आदरणीय रामचंद्र वर्मा 'साहिल' जी का मेल -


    Ram Chandra Verma
    18:42 (3 hours ago)
    to me

    जिस प्रकार नपे तुले शब्दों में और सटीक ढंग से आपने हाइकु को परिभाषित किया है इससे बेहतर इसकी व्याख्या और परिभाषा शायद नहीं हो सकती। बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ।
    'साहिल'

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  8. सहज-सरल शब्दों में एक सार्थक व्याख्या के लिए बहुत बधाई जेन्नी जी

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