सिनेमा हॉल का दरवाज़ा बंद था। खुलने के निर्धारित समय से ज़्यादा वक़्त हो चला था। तभी एक गेटकीपर बाहर आया, उससे मैंने पूछा कि बहुत ज़्यादा देर हो रही है, मूवी शुरू होने में देर क्यों है? उसने बताया कि थोड़ी देर हो जाएगी, क्योंकि फ़िल्म के प्रोमोशन के लिए इस फ़िल्म के लोग आए हैं। सुनते ही वहाँ उपस्थित सभी लोग मेरे साथ उस गेट के बाहर एकत्रित हो गए। मन में बहुत उत्सुकता थी कि एक झलक कलाकारों को देख लूँ। मैं सिनेमा की बेहद शौक़ीन रही हूँ और फर्स्ट डे और कभी-कभी तो फर्स्ट डे फर्स्ट शो भी देखती हूँ। साथ देखने वाला कोई न भी हो परवाह नहीं, अकेले जाकर देखती हूँ।
भीड़ काफ़ी बढ़ गई। मैं खड़े-खड़े थक गई, तो सोचा कि जाकर थोड़ी देर बैठूँ। तभी हॉल का गेट खुला और ढेर सारे लोग बाहर निकलने लगे। देखा कि भीड़ के साथ अर्जुन रामपाल और उनके साथ इरफ़ान खान आ रहे हैं। बाक़ी और कौन-कौन थे साथ में, किसी पर मेरी नज़र नहीं ठहरी, क्योंकि ये दोनों मेरे पसन्दीदा कलाकार हैं। जैसे ही मैंने इरफ़ान को देखा, तो बेटी को ज़रा ज़ोर से बोली कि देखो मक़बूल आ रहा है। कुछ लोग मेरी बातों पर हँस दिए। मैं मक़बूल को देखती रही और वे सामने से मुस्कुराते हुए गुज़र गए। अर्जुन तो हैण्डसम हैं ही लेकिन इरफ़ान की ख़ूबसूरती देखकर मैं दंग रह गई। कत्थई रंग का सूट पहने हुए, घुंघराला सुनहरा बाल, बड़ी-बड़ी आँखें और मुस्कुराता चेहरा, लंबा छरहरा बदन। रील के चेहरे से ज़्यादा ख़ूबसूरत रियल चेहरा। यह बात है 2013 की, फ़िल्म का नाम 'डी-डे', दिल्ली के साकेत स्थित सेलेक्ट सिटी मॉल का पी.वी.आर. सिनेमा हॉल।
वर्ष 2004 में एक फ़िल्म आई थी 'मक़बूल', जिसमें मक़बूल का किरदार इरफ़ान खान ने निभाया था। बड़ी अच्छी लगी थी फ़िल्म। यों अब फ़िल्म की कहानी याद नहीं, इतना याद है कि क्राइम पर आधारित फ़िल्म थी और इरफ़ान के साथ तब्बू के कुछ अच्छे सीन थे। मुझे उनका असली नाम कभी याद नहीं रहता। जब भी इरफ़ान की कोई फ़िल्म देखने जाना हो और कोई पूछे कि फ़िल्म में कौन एक्टर है, तो मैं मक़बूल बोलती हूँ। इरफ़ान की लगभग सभी फ़िल्में देखी है मैंने और अब भी मक़बूल ही बोलती हूँ, जाने क्यों।
7 जनवरी 1967 को जयपुर, राजस्थान में जन्मे इरफ़ान खान हिन्दी और अँगरेज़ी सिनेमा तथा टेलीविजन के बहुत कुशल अभिनेता थे। बॉलीवुड तथा हॉलीवुड में इरफ़ान एक जाना पहचाना नाम हैं। इरफ़ान को 'हासिल' फ़िल्म के लिए वर्ष 2004 के फ़िल्मफेयर में सर्वश्रेष्ठ खलनायक का पुरस्कार मिला है। वर्ष 2008 में बेस्ट ऐक्टर इन सपोर्टिंग रोल का फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिला है। अभिनय के लिए सन 2011 में इरफ़ान पद्मश्री से सम्मानित हो चुके हैं। राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार 2012 में फिल्म 'पान सिंह तोमर' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला। वर्ष 2017 के फ़िल्मफेयर में फ़िल्म 'हिन्दी मीडियम' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला है।
वर्ष 2018 में जब इरफ़ान को न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर हुआ, तब इरफ़ान ने अपने प्रशंसकों के लिए एक बेहद भावुक नोट लिखा था-
''जीवन में अनपेक्षित बदलाव आपको आगे बढ़ना सिखाते हैं। मेरे बीते कुछ दिनों का लब्बोलुआब यही है। पता चला है कि मुझे न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर हो गया है। इसे स्वीकार कर पाना मुश्किल है; लेकिन आस-पास जो लोग हैं, उनका प्यार और उनकी दुआओं ने मुझे शक्ति दी है। कुछ उम्मीद भी बँधी है। फ़िलहाल बीमारी के इलाज के लिए मुझे देश से दूर जाना पड़ रहा है। लेकिन मैं चाहूँगा कि आप सन्देश भेजते रहें।'' ''न्यूरो सुनकर लोगों को लगता है कि ये समस्या ज़रूर सिर से जुड़ी बीमारी होगी। लेकिन ऐसा नहीं है। इसके बारे में अधिक जानने के लिए आप गूगल कर सकते हैं। जिन लोगों ने मेरे शब्दों की प्रतीक्षा की, इन्तिज़ार किया कि मैं अपनी बीमारी के बारे में कुछ कहूँ, उनके लिए मैं कई और कहानियों के साथ ज़रूर लौटूँगा।''
इरफ़ान अपनी बीमारी के इलाज के लिए लन्दन गए थे। जब वहाँ से लौटे और 'अंग्रेज़ी मीडियम' फ़िल्म किया, तो मुझे लगा कि वे पूर्णतः स्वस्थ हो चुके हैं; क्योंकि मेरा अनुमान था कि कुछ कैंसर ठीक हो जाता है और चिकित्सा के लिए लन्दन के अस्पताल अच्छे माने जाते हैं। 'अंग्रेज़ी मीडियम' उनकी आख़िरी फ़िल्म हो गई। लॉकडाउन के कारण यह फ़िल्म सिनेमा हॉल तक न जा सकी और ऑनलाइन रिलीज हुई। 'हिन्दी मीडियम' की ही तरह 'अंग्रेज़ी मीडियम' हिन्दी और अँगरेज़ी भाषा की विषमताओं पर आधारित बहुत ही संवेदनशील फ़िल्म है। इरफ़ान अपनी इस फ़िल्म की सफलता जो सिनेमा हॉल में मिलती, न देख सके। इरफ़ान की आख़िरी ट्वीट 12 अप्रैल को, जिसे उन्होंने अपनी अन्तिम फ़िल्म 'अंग्रेज़ी मीडियम' के ऑन लाइन रिलीज होने पर किया था- ''मिस्टर चम्पक की मनःस्थिति : अंदर से प्यार, कोशिश करूँगा कि बाहर से दिखा सकूँ।' (''Mr. Champak's state of mind : Love from the inside, making sure to show it outside.'')
इरफ़ान एक कलाकार के रूप में गज़ब का अभिनय करते हैं। आँखों से भाव को अभिव्यक्त करने में उन्हें महारत हासिल है। जिस भी किरदार में होते हैं जीवन्त कर देते हैं, चाहे वह पान सिंह हो या मक़बूल। उनकी सभी फ़िल्में और उनका अभिनय बेहतरीन है। हिन्दी फ़िल्मों में मक़बूल, रोग, पान सिंह तोमर, लंच बॉक्स, हिन्दी मीडियम, अंग्रेज़ी मीडियम आदि बहुत सफल है और मुझे बेहद पसन्द है। टी.वी. पर चाणक्य, भारत एक खोज आदि धारावाहिक में वे काम कर चुके हैं। हिन्दी फ़िल्म, अँगरेज़ी फ़िल्म और टी.वी. धारावाहिक सभी में उनका अभिनय बहुत उत्कृष्ट रहा है और हर जगह अपनी छाप छोड़ी है।
आज इरफ़ान की मृत्यु की ख़बर पढ़कर स्तब्ध हूँ। अभी 4 दिन पहले 25 तारीख़ को उनकी माँ गुज़र गईं, परन्तु कोरोना के कारण देशव्यापी लॉकडाउन की वज़ह से इरफ़ान अपनी माँ की अन्तिम यात्रा में शामिल न हो सके थे। कल उनकी तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया। आज ज़िन्दगी से बिना जंग किए, मौत के साथ वे इस दुनिया से चले गए। सिर्फ़ फ़िल्मी दुनिया या उनके अपनों के लिए नहीं, बल्कि उनके चाहनेवालों और प्रशंसकों के लिए भी बहुत बड़ा सदमा है। ऐसा सदमा जो हमें इरफ़ान को कभी भूलने नहीं देगा। उनकी फ़िल्में, उनके किरदार, उनका अभिनय, उनकी आँखें, उनकी आँखों की भाषा, उनकी हँसी, उनकी अदाकारी सब कुछ यहाँ हमारे लिए वे छोड़ गए हैं। जब चाहे इन फ़िल्मों या धारावाहिक में उन्हें अभिनय करते हुए हम देख सकते हैं, पर इस बात का दुःख हमेशा रहेगा कि अब उनकी कोई नई फ़िल्म नहीं आएगी और कोई उन्हें कभी नहीं देख पाएगा।
अलविदा मक़बूल!
- जेन्नी शबनम (29.4.2020)
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इरफान एक बेहतरीन एक्टर थे, हिंदी फिल्म जगत में उनकी कमीं हमेशा रहेगी।
ReplyDeleteएक काबिल कलाकार सबका प्रिय था । खो देने का सदमा बहुत बड़ा है । ईश्वर उन्हें शांति प्रदान करे
ReplyDeleteबहुत अच्छा और मन से लिखा है आपने.
ReplyDeleteइरफ़ान अपनी अलग पहचान और माँझे हुए अभिनय के कारण हमेशा ज़िंदा रहेंगे हर दिल में ...
ReplyDeleteसिनेमा को अपूर्णीय क्षति
ReplyDeleteबहुत अच्छा और मार्मिक लिखा है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteअद्भुत अभिनेता थे इरफान । अभी तो बहुत अभिनय बाकी था देखने को । जल्दी चले गए । ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे ।
ReplyDeleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरूवार 30 अप्रैल 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जीवन की यही अनिश्चितता हमें संबल देती है. ये कलाकार लोग तो किसी न किसी रूप में जीवित रहते ही हैं. बस इसे एहसास किये जाने की आवश्यकता है.
ReplyDeleteआँसुओं के सैलाब में तैरती और नयनो पर टँकी उस अद्भुत छवि को नमन!!!
ReplyDeleteइरफ़ान वाक़ई एक बेहतरीन कलाकार और इन्सान थे
ReplyDeleteएक बेहतर कलाकार और अपने अभिनय के कीर्तिमान स्थापित करके आगे बढ़ रहे थे । ये कला के क्षेत्र में अपूर्णीय क्षति है । ईश्वर उनके घर वालों को धैर्य दे और उनकी आत्मा को शांति !
ReplyDeleteएक प्रतिभासंपन्न कलाकार का असमय क ल कलवित होना बेहद दुखद है।
ReplyDeleteइरफान कलाकार ही ऐसे थे, अपने अभिनय से सबका दिल जीत लेने वाले। आपने उन को याद करते हुए एक अच्छा संस्मरणात्मक लेख लिखा।
ReplyDeleteKal aur aaj Rishi ji aur Irfan bhai Film industry k do bade log aur ek bada loss jiski bharpai ab kabhi nahi ho sakti 😔😔 om shanti🙏🏼😔
ReplyDeleteमार्मिक और जीवंत स्मरण.....अलविदा मकबूल
ReplyDelete-- राजीव रंजन गिरि
कल इरफ़ान के मौत की खबर आयी। आज ऋषि कपूर के मौत की खबर आयी। सिनेमा जगत और दर्शक अपने दोनों ही कलाकारों के देहांत से आहत हैं। इरफ़ान एक मंजे हुए कलाकार थे। उनकी कई फिल्मों की जो चर्चा होती है , उसमें उनकी अभिनय की दृष्टि से एक और कामयाब फिल्म "मदारी" की चर्चा करना लोग भूल जाते हैं। व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार पर पर इस फिल्म ने जिस तरह चोट की है , वैसी फ़िल्में कम बनी हैं। ऋषि कपूर पर चर्चा अगली बार !
ReplyDeleteब्रजेन्द्र नाथ
ऐसे कलाकारों के लिए शब्दों का अभाव सा हो जाता है एक दमदार आवाज़ बोलती आंखें ही बहुत कुछ कह जाती हैं। सदैव अभिनय की आवश्यकता नहीं होती बस नज़र भर देखना ही काफी होता है।
ReplyDeleteमेरे पसंदीदा कलाकारों में इरफ़ान खान थे। एक बेहतरीन कलाकार एक बेहतरीन इन्सान ।खबर सुनते ही आँखों में आंसू उमड़ आए। आपके संस्मरणात्मक आलेख ने भावुक कर दिया।बहुत अच्छा लिखा है।
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteइरफ़ान अनंत संभावनाओं से युक्त बहुत ही क्षमतावान कलाकार थे ! उनके असमय निधन से रिक्त होने वाला यह स्थान कितने समय के बाद भर पायेगा कहना मुश्किल है ! ऋषि कपूर का जाना भी उनके प्रशंसकों को स्तब्ध कर गया ! दोनों लोकप्रिय कलाकारों को हार्दिक श्रद्धांजलि !
ReplyDeleteमेरे पसंदीदा अभिनेता रहे हैं इरफान, बहुत अच्छी प्रस्तुति रही आपकी। इरफान को विनम्र श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteBlogger Shah Nawaz said...
ReplyDeleteइरफान एक बेहतरीन एक्टर थे, हिंदी फिल्म जगत में उनकी कमीं हमेशा रहेगी।
April 29, 2020 at 9:48 PM Delete
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हाँ शाह नवाज़ जी! इरफ़ान की कमी सभी को महसूस होती रहेगी. बहुत उम्दा अभिनेता थे वो.
Blogger रेखा श्रीवास्तव said...
ReplyDeleteएक काबिल कलाकार सबका प्रिय था । खो देने का सदमा बहुत बड़ा है । ईश्वर उन्हें शांति प्रदान करे
April 29, 2020 at 9:48 PM Delete
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इरफ़ान के नाम से फिल्म देखते थे, इतना अच्छा अभिनेता था. अब भी यकीन नहीं होता कि वह अब नहीं रहा.
Blogger डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल said...
ReplyDeleteबहुत अच्छा और मन से लिखा है आपने.
April 29, 2020 at 9:58 PM Delete
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धन्यवाद आपका.
Blogger दिगंबर नासवा said...
ReplyDeleteइरफ़ान अपनी अलग पहचान और माँझे हुए अभिनय के कारण हमेशा ज़िंदा रहेंगे हर दिल में ...
April 29, 2020 at 10:20 PM Delete
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हम सभी के दिलों में उनकी एक अलग ही छाप है. वे हम सभी के दिलों में सदा रहेंगे.
Blogger राजीव तनेजा said...
ReplyDeleteसिनेमा को अपूर्णीय क्षति
April 29, 2020 at 10:24 PM Delete
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हाँ राजीव जी.
Blogger Divik Ramesh said...
ReplyDeleteबहुत अच्छा और मार्मिक लिखा है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।
April 29, 2020 at 11:10 PM Delete
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आभार दिविक रमेश जी.
ReplyDeleteBlogger Sunil "Dana" said...
अद्भुत अभिनेता थे इरफान । अभी तो बहुत अभिनय बाकी था देखने को । जल्दी चले गए । ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे ।
April 29, 2020 at 11:29 PM Delete
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मुझे तो अब भी यकीन नहीं होता कि वह अब नहीं रहा. बहुत अद्भुत कलाकार था.
Blogger Ravindra Singh Yadav said...
ReplyDeleteनमस्ते,
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरूवार 30 अप्रैल 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
April 30, 2020 at 12:07 AM Delete
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धन्यवाद.
Blogger राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर = RAJA Kumarendra Singh Sengar said...
ReplyDeleteजीवन की यही अनिश्चितता हमें संबल देती है. ये कलाकार लोग तो किसी न किसी रूप में जीवित रहते ही हैं. बस इसे एहसास किये जाने की आवश्यकता है.
April 30, 2020 at 12:18 AM Delete
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हाँ, जीवन की अनिश्चितता संबल भी देती है और दुःख भी.
Blogger विश्वमोहन said...
ReplyDeleteआँसुओं के सैलाब में तैरती और नयनो पर टँकी उस अद्भुत छवि को नमन!!!
April 30, 2020 at 4:26 AM Delete
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इरफ़ान की बातें उनकी आँखों बोलती थी, अद्भुत था वो.
Blogger Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...
ReplyDeleteइरफ़ान वाक़ई एक बेहतरीन कलाकार और इन्सान थे
April 30, 2020 at 6:15 AM Delete
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जी हाँ, काजल कुमार जी.
Blogger रेखा श्रीवास्तव said...
ReplyDeleteएक बेहतर कलाकार और अपने अभिनय के कीर्तिमान स्थापित करके आगे बढ़ रहे थे । ये कला के क्षेत्र में अपूर्णीय क्षति है । ईश्वर उनके घर वालों को धैर्य दे और उनकी आत्मा को शांति !
April 30, 2020 at 8:24 AM Delete
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हाँ, सचमुच अपूरणीय क्षति है हम जैसे सिनेमाप्रेमियों के लिए. गज़ब का अभिनय था उनका.
Blogger Sweta sinha said...
ReplyDeleteएक प्रतिभासंपन्न कलाकार का असमय क ल कलवित होना बेहद दुखद है।
April 30, 2020 at 9:05 AM Delete
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जैसे हतप्रभ हो गए हम सभी.
Blogger सुभाष नीरव said...
ReplyDeleteइरफान कलाकार ही ऐसे थे, अपने अभिनय से सबका दिल जीत लेने वाले। आपने उन को याद करते हुए एक अच्छा संस्मरणात्मक लेख लिखा।
April 30, 2020 at 9:57 AM Delete
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आभार सुभाष नीरव जी.
Blogger Pallavi saxena said...
ReplyDeleteKal aur aaj Rishi ji aur Irfan bhai Film industry k do bade log aur ek bada loss jiski bharpai ab kabhi nahi ho sakti 😔😔 om shanti🙏🏼😔
April 30, 2020 at 10:09 AM Delete
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दोनों ही अद्भुत अभिनेता थे. अपूरणीय क्षति है यह.
Blogger HINDI AALOCHANA said...
ReplyDeleteमार्मिक और जीवंत स्मरण.....अलविदा मकबूल
-- राजीव रंजन गिरि
April 30, 2020 at 11:14 AM Delete
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धन्यवाद राजीव जी.
Blogger Marmagya - know the inner self said...
ReplyDeleteकल इरफ़ान के मौत की खबर आयी। आज ऋषि कपूर के मौत की खबर आयी। सिनेमा जगत और दर्शक अपने दोनों ही कलाकारों के देहांत से आहत हैं। इरफ़ान एक मंजे हुए कलाकार थे। उनकी कई फिल्मों की जो चर्चा होती है , उसमें उनकी अभिनय की दृष्टि से एक और कामयाब फिल्म "मदारी" की चर्चा करना लोग भूल जाते हैं। व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार पर पर इस फिल्म ने जिस तरह चोट की है , वैसी फ़िल्में कम बनी हैं। ऋषि कपूर पर चर्चा अगली बार !
ब्रजेन्द्र नाथ
April 30, 2020 at 11:41 AM Delete
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जी ब्रजेन्द्र जी. मदारी बिल्कुल ही अलग तरह के फिल्म है. वैसे इरफ़ान की हर फिल्म कुछ न कुछ वैचारिक सोच की होती थी. उनकी अंतिम फिल्म में हमारे शिक्षा प्रणाली पर एक गंभीर सवाल है जो उन्होंने मजाकिया अंदाज में किया. इन दोनों अभिनेताओं का जाना बहुत दुखद है.
Blogger रचना दीक्षित said...
ReplyDeleteऐसे कलाकारों के लिए शब्दों का अभाव सा हो जाता है एक दमदार आवाज़ बोलती आंखें ही बहुत कुछ कह जाती हैं। सदैव अभिनय की आवश्यकता नहीं होती बस नज़र भर देखना ही काफी होता है।
April 30, 2020 at 12:19 PM Delete
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इरफ़ान की यही तो ख़ासियत थी, बिना बोले आँखें सब कह देती थी. और उनकी संवाद अदायगी तो बस कमाल ही है.
Blogger Sudershan Ratnakar said...
ReplyDeleteमेरे पसंदीदा कलाकारों में इरफ़ान खान थे। एक बेहतरीन कलाकार एक बेहतरीन इन्सान ।खबर सुनते ही आँखों में आंसू उमड़ आए। आपके संस्मरणात्मक आलेख ने भावुक कर दिया।बहुत अच्छा लिखा है।
April 30, 2020 at 12:27 PM Delete
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इरफ़ान की मृत्यु पर मुझे भी बहुत रुलाई आई. किसी की भी असमय मृत्यु बहुत तकलीफ देती है.
Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि।
April 30, 2020 at 5:34 PM Delete
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आभार शास्त्री जी.
Blogger Sadhana Vaid said...
ReplyDeleteइरफ़ान अनंत संभावनाओं से युक्त बहुत ही क्षमतावान कलाकार थे ! उनके असमय निधन से रिक्त होने वाला यह स्थान कितने समय के बाद भर पायेगा कहना मुश्किल है ! ऋषि कपूर का जाना भी उनके प्रशंसकों को स्तब्ध कर गया ! दोनों लोकप्रिय कलाकारों को हार्दिक श्रद्धांजलि !
April 30, 2020 at 7:30 PM Delete
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इरफ़ान का स्थान अब कहाँ भर पाएगा साधना जी. बहुत ही अलग तरह के अभिनेता थे. ऋषि कपूर भी कमाल के अभिनेता थे. एक साथ दोनों का जाना स्तब्ध कर गया.
Blogger रवीन्द्र प्रभात said...
ReplyDeleteमेरे पसंदीदा अभिनेता रहे हैं इरफान, बहुत अच्छी प्रस्तुति रही आपकी। इरफान को विनम्र श्रद्धांजलि।
May 2, 2020 at 1:37 PM Delete
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शुक्रिया रवीन्द्र जी. इरफ़ान मेरे पसंदीदा अभिनेता हैं. इसीलिए उनकी मृत्यु पर खुद को रोक नहीं पाई और उनकी यादों को लिख लिया.
एक महान कलाकार पर लिखे इस आत्मीय से संस्मरणात्मक आलेख पढ़ कर मन एक बार फिर उनकी अदाकारी की यादों में चला गया | बहुत अच्छा लगा इसे पढना |
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