साझा संसार
अंतस की रिसती भावनाएँ जिन्हें शब्दों द्वारा अभिव्यक्त कर संसार से साझा करती हूँ...
Monday, August 25, 2025
127. वृद्धावस्था : अनुभव का पिटारा
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मानव तथा मौसम का स्वभाव एक-सा होता है। कब, क्या, कैसे, कौन, कहाँ, क्यों परिवर्तित हो जाए, पता ही नहीं चलता। यों मानव-जीवन तथा मौसम प्रकृति क...
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Thursday, June 5, 2025
126. युगीन आवश्यकता की परिणति : सन्नाटे के ख़त -दयानन्द जायसवाल
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दयानन्द जायसवाल जी और मैं (भागलपुर) 'सन्नाटे के ख़त' डॉ. जेन्नी शबनम (सर्वप्रिय विहार, नई दिल्ली) का अयन प्रकाशन से प्रकाशित यह काव्य...
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Sunday, May 25, 2025
125. सन्नाटे के ख़तों की आवाज़ -भीकम सिंह
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मेरी छठी पुस्तक 'सन्नाटे के ख़त' की समीक्षा प्रो. डॉ. भीकम सिंह जी ने की है। प्रस्तुत है उनकी लिखी समीक्षा: सन्नाटे के ख़तों की आवाज़ ...
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Tuesday, May 6, 2025
124. मेरी दादी
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दादी ''उठ जाग मुसाफ़िर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है जो जागत है सो पावत है, जो सोवत है वो खोवत है।'' मेरी दादी उपरोक्त कव...
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