वे दो छोटी लडकियाँ बड़ी-बड़ी आँखों से मुझे एक-टक देख रही थीं। शरीर बिल्कुल शांत जैसे कि मृतप्राय, सिर्फ़ आँखें ही जीवित; लेकिन वह भी स्थिर, मानो पथरा गई हों। जाने क्या था उन ख़ामोश नज़रों में कि मेरी नसों में अजीब-सी सिहरन दौड़ गई, मानो जीवित लाश देख लिया हो मैंने। मेरा सिर चकराने लगा और मैंने जल्दी से दरवाज़े को पकड़ लिया। मेरे मित्र भी घबरा गए कि अचानक क्या हो गया मुझे। वे लोग जल्दी से मुझे लेकर बाहर निकले और मुझे सामने कुर्सी पर बिठाया। फ़रवरी 2010 के होली के समय की यह घटना है, लेकिन मैं उस ठण्ड के दिन में भी पसीने-पसीने हो गई। मेरी आँखें जैसे उन्हीं दोनों पर ठहर गई थीं, या उनकी आँखें मेरा पीछा कर रही थीं, और मैं चारो तरफ़ अजीब-सी भयभीत होकर देखने लगी। मैं होश खो चुकी थी, घबराहट इतनी होने लगी कि एक शब्द भी बोल न पाई, महज़ इशारा कर सकी कि मैं ठीक हूँ।
यह नाथनगर का अनाथालय है, जहाँ दोनों बच्ची कुछ दिन पूर्व लाई गई थी, कोई इन्हें भागलपुर रेलवे स्टेशन की पटरियों पर फेंक गया था। दोनों लड़कियाँ लगभग 3-4 साल की हैं, लेकिन अवस्था के मुताबिक़ महज़ 2 साल की लग रही थीं। जब ये लाई गईं तो बिल्कुल मरणासन्न अवस्था में थीं, और जाने कब से भूखी थीं कि रो भी नहीं पा रही थी। इन्हें देख मैं सोचने लगी कि अगर उस दिन कोई न देखता तो ये दोनों आज यहाँ नहीं होतीं, बल्कि इनका शरीर ट्रेन से कटा हुआ वहाँ पड़ा होता। उफ़! ये सब दिमाग़ में इतनी तेज़ी से आया और साथ ही उस दृश्य की कल्पना कि ये दोनों वहाँ ट्रेन से कटी पड़ी होतीं, मेरा दिमागी संतुलन बिगड़ गया था। सोचती रही कि कैसे कोई माँ 9 महीना कोख में रखकर और 3-4 साल परवरिश कर यों मरने के लिए छोड़ गई। आख़िर क्या मज़बूरी रही होगी? अगर ये दोनों मर जातीं, तो उसकी माँ पर क्या बीता होता? हो सकता है दूर के किसी गाँव से उसकी माँ से छुपाकर बच्ची को यहाँ लाकर मरने के लिए कोई रख गया हो। अगर मार देना नहीं चाहा होता, तो किसी मन्दिर, अस्पताल या सार्वजनिक जगह रख गया होता, जहाँ वे सुरक्षित होतीं? यों पटरी के पास छोड़ दिया, ताकि रात के अँधेरे में कोई ट्रेन इन्हें ख़त्म कर दे। शायद इनकी तक़दीर से ट्रेन लेट थी, सो सुबह तक कोई ट्रेन नहीं गुज़री उस पटरी से, अन्यथा… सोचकर देह सिहर जाता है। ओह!
'हिन्दू अनाथालय', नाथनगर, भागलपुर की स्थापना श्री कैलाश बिहारी लाल (एम.पी.) ने वर्ष 1925 में की थी। पहले इसका नाम 'हिन्दू अनाथालय' था। वर्ष 1930 में भागलपुर के देशभक्त नेता श्री दीपनारायण सिंह ने अपनी स्वर्गीय पत्नी श्रीमती रामानन्दी देवी की स्मृति में अनाथालय को 250 रुपए प्रतिमाह चंदास्वरूप देने का स्थायी प्रबंध किया, इस कारण इसका नाम परिवर्तित कर 'रामानन्दी देवी हिन्दू अनाथालय' कर दिया गया। चंदे की ये राशि आज भी नियमित रूप से उनके स्थायी कोष से अनाथालय को मिल रही है। अब तक यहाँ पर 2200 बच्चों का भरण-पोषण और शिक्षा का प्रबंध हो चुका है। यहाँ से शिक्षित होकर छात्र सेना, वकालत, अध्यापन तथा अन्य नौकरी में जा चुके हैं। यहाँ कम्प्यूटर, गौशाला और खेती का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। अब तक यहाँ से 30 लड़कियों की शादी की जा चुकी है। नौकरी और विवाह के उपरान्त इसे अपना घर मानकर ये सभी कभी-कभी आते रहते हैं। पूर्वी बिहार की यह एकमात्र लाइसेंस प्राप्त संस्था है, जो बच्चों को गोद देने के लिए अधिकृत है। अबतक 20 बच्चों को निःसंतान दंपती को गोद दिया जा चुका है।
अभी यहाँ के सचिव श्री अशोक मेहरा हैं तथा अधीक्षक श्री लखन लाल झा हैं। ऑफ़िस स्टाफ श्री दिवाकर चौधरी और प्रीतम जी हैं। यहाँ 4 सेविका और 3 रसोइया हैं। यहाँ सभी उम्र के 55 लड़के-लड़कियाँ हैं, जिनमें 10 बच्चे स्थानीय कॉलेज में पढ़ रहे हैं, 35 बच्चे स्कूल जाते हैं तथा 10 बच्चे बहुत छोटे हैं। सभी बच्चों का लालन-पालन, भोजन, शिक्षा, आवास, वस्त्र, चिकित्सा इत्यादि की व्यवस्था अनाथालय करता है। अनाथालय के पास 6 बीघा कृषि योग्य भूमि है, जहाँ सब्ज़ी उपजाई जाती है। परिसर में गौशाला है ताकि बच्चों को शुद्ध दूध मुहैया कराया जा सके। अनाथालय की अपनी ज़मीन है और पूरा मकान साफ़-सुथरा पक्के का है, सिर्फ़ खाना जहाँ पकता है उसकी छत फूस की है। यह अनाथालय एक ट्रस्ट के माध्यम से चलता है और इसे कोई सरकारी मदद नहीं मिलती है, धन का एकमात्र स्रोत चंदा है।
जारी...
- जेन्नी शबनम (4.4.2011)
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chande ke dvaaraa hi gujaaraa hotaa hai
ReplyDeleteanaathaalay kaa .......
hriday ko chhuti huii aapki lekhni ko naman ..sis .....
Jenny, very touching article
ReplyDeleteDi!! aapka ye chehra ek dum alag sa hai...aise lagta hai aap sabki di ho..har chhote bachche ki...:)...amma jaisee di..!!
ReplyDeletebhagwan tumhe aisa bana kar rakhe taaki tum un sabka khayal rakh sako..!!
waise aapko iss anathalaya ka adress bhi post karna chahiye...taaki agar koi ek bhi unko help kar sake to aapka post sabse jayda sarthak hota..!
bahut jarurat hai aaj desh or samaj ko in sab ki ..aapne ek accha anubhav share kiya hai ...
ReplyDeletehridaysparshi article.....
ReplyDeletekamaal he, itne din se ye anthalye chal raha he, lekin sarkar ki aur se koi sahayta rahi uplabdh nhi he,... ho bhi kyun, sarkar pehle hamare gareeb criketers ko to malamaal kar le, uske bad shayd inki sudh le...
ReplyDeleteye he aaj ke bharat ka nanga sach..
shame on Indian Government..... , sharm karo bhrashtacharion, aur kitna khoon choosoge .....
i too agreed with M.KSinha sahib...
ReplyDeleteu must post address or bank accoutn number if any... it will help alot these kind of anathalya... and ur message will be worthyfull... in right direction...
@ shukriya kishor ji.
ReplyDelete@ priti ji aapka bahut aabhar.
@ mukesh,
ye to nahi kah sakti ki mera yeh prayas koi bahut bada badlaao laayega, kyunki mere is post ko padhne wale yun bhi aap jaise bahut samvedansheel log hin hain. fir bhi itna zaroor hai ki iss maadhyam se inki baat aap sabon tak pahunch rahi.
aise anaaathalay har shahar mein hai aur har jagah ki aisi hin sthiti hai, to jo jahan hai wahaan keliye kuchh na kuchh prayas karte rahe yahi bahut hai.
bahut shukriya bhai.
@ Neer ji, bahut achha laga aap yahan tak aaye. shukriya.
ReplyDelete@ vaani, achha laga tumko yahan dekhkar, shukriya.
@ gaurav bhai,
desh ki haalat kya hai ye sabhi jante. koi bhookh se marta to kahin anaaj sadta. ab kya kiya jaaye? hamare samaj mein aise anaath aur anaathaalay har jagah hai, aur inki sthiti bhi aisi hin hai. sabhi anaathalay chanda se hin chalte, lekin agar sarkaar kuchh ati-aawashyak zaruraton keliye kuchh fund de to nishchit hin jivan-star mein aur unnati ho.
waise mukesh bhai ne bhi kaha aur aapne bhi ki inka account numbar ya pata ho to koi chahe to madad kar sakta hai. waise ek tasweer mein inka pura pata bhi dikh raha hai. lekin yahan dilli mein bhi aise anaathalay, vriddhashram, blind home hain, aap chaahe ya koi bhi chaahe to wahan yathaasambhav unhe madad kar sakta hai.
khushi hogi agar aaplog bhi kuchh karen inke liye.
bahut dhanyawaad.
आप पूरी तरह समाज से जुड़ी हैं । आपके हर शब्द में वर्णमाला नहीं आपका हृदय धरकता है । पर्वत जैसी पीड़ा को आप बहुत साधकर उकेरती हैं । इतनी सार्थक प्रस्तुति के लिए आपको मेरा हार्दिक नमन !
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