Sunday, March 5, 2023

102. नवधा : ख़ुद को बचा पाने का संघर्ष - रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

तसलीमा नसरीन जी और मैं (दाहिने)

 

'नवधा' मेरा चौथा काव्य-संग्रह है तथा 'झाँकती खिड़की' पाँचवाँ, जिसका लोकार्पण अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेला, नई दिल्ली में दिनांक 4 मार्च 2023 को हुआ। नवधा की भूमिका आदरणीय रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' जी ने लिखी है। प्रस्तुत है उनकी लिखी संक्षिप्त भूमिका:   

रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'


प्रवाह के आगे आने वाली शिलाओं पर उछलते-कूदतेफलाँगतेघाटियों में गाते-टकराते नदी बहती जाती है। जीवन इसी नदी का नाम है, जो सुख-दुःख के दो किनारों के बीच बहती है। जब ये अनुभूतियाँ शब्दों में उतरती हैंतो साहित्य का रूप ले लेती हैं। डॉ. जेन्नी शबनम का बृहद् काव्य-संग्रह ‘नवधा’ जीवन की उसी यात्रा में नव द्वारों के माध्यम से प्रस्तुत की गई व्याख्या है।

  

यह काव्य-संग्रह एक स्त्री के उस संघर्ष की कथा हैजो अपने वजूद की तलाश में हैजो सिर्फ़ एक स्त्री बनकर जीना चाहती है। ये अनुभूतियाँ: 1. हाइकु, 2. हाइगा, 3. ताँका, 4. सेदोका, 5. चोका, 6. माहिया, 7. अनुबन्ध, 8. क्षणिकाएँ और 9. मुक्तावलि खण्डों में काव्य की विभिन्न शैलियों में अभिव्यक्त हुई हैं। जेन्नी शबनम का रचना-संसार किसी बाध्यता का नहींबल्कि अनुभूति के गहन उद्वेलन का काव्य है। काव्य की भारतीय और  जापानी शैलियों पर आपका पूरा अधिकार है।


हाइकु जैसी आकारगत छोटी-सी विधा में अपने जीवन के अनुभूत सत्य- प्रेम को ‘साँकल’ कहा हैवह भी अदृश्य-

प्रेम बन्धन / न रस्सी न साँकल / पर अटूट 

लेकिन जो मनोरोगी होगा, वह इस प्रेम को कभी नहीं समझेगा, ख़ुद भी रोएगा और दूसरों को भी आजीवन रुलाता रहेगा-

मन का रोगी भेद न समझता रोता-रुलाता।   

जीवन के विभिन्न रंगों की छटा हाइकु-खण्ड में दिखाई देती है। कोई डूब जाएतो नदी निरपराध होने पर भी व्यथित हो जाती है-

डूबा जो कोई / निरपराध नदी फूटके रोई।   


हाइगा तो है ही चित्र और काव्य का संयोग। सूरज के झाँकने का एक बिम्ब देखिए-

सूरज झाँका / सागर की आँखों में रूप सुहाना। 

क्षितिज पर बादल और सागर का एकाकार होनागहन प्रेम का प्रतीक होने के साथ मानवीकरण की उत्कृष्ट प्रस्तुति है-

क्षितिज पर / बादल व सागर / आलिंगन में।

पाँव चूमने। लहरें दौड़ी आईं मैं सकुचाई। 


ताँका के माध्यम से आप शब्द की शक्ति का प्रभाव इंगित करती हैं। सरलसहज शब्दावली यदि अभिव्यक्ति की विशेषता हैतो उत्तेजना में कही बात एक लकीर छोड़ जाती है। कवयित्री कहती है-

सरल शब्द सहज अभिव्यक्ति भाव गम्भीर, / उत्तेजित भाषण खरोंच की लकीर। 

शब्दों के शूल कर देते छलनी कोमल मन, / निरर्थक जतन अपने होते दूर। 


सेदोका 5-7-7 के कतौता की दो अधूरी कविताओं की पूर्णता का नाम है। दो कतौता मिलकर एक सेदोका बनाते हैं। अगस्त 2012 के अलसाई चाँदनी’ सम्पादित सेदोका-संग्रह से जेन्नी शबनम जी ने तब भी और आज भी इस शैली की गरिमा बढ़ाई है। एक उदाहरण-

 दिल बेज़ार रो-रोकर पूछता- / क्यों बनी ये दुनिया? / ऐसी दुनिया- जहाँ नहीं अपना / रोज़ तोड़े सपना। 


चोका 5-7… अन्त में 7-7 के क्रम में विषम पंक्तियों की कविता है। जेन्नी जी की इन कविताओं में जीवन को गुदगुदाते-रुलाते सभी पलों का मार्मिक चित्र मिलता है। सुहाने पलनया घोसलाअतीत के जो पन्नेवक़्त की मर्ज़ी ये सभी चोका भाव-वैविध्य के कारण आकर्षित करते हैं।   


माहिया गेय छन्द हैजिसमें द्विकल (या 1+1=2) की सावधानी और 12-10-12 की मात्राओं का संयोजन करने पर इसकी गेयता खण्डित नहीं होती। ये माहिया मन को गुदगुदा जाते हैं-

तुम सब कुछ जीवन में मिल न सकूँ फिर भी रहते मेरे मन में।   

हर बाट छलावा है चलना ही होगा पग-पग पर लावा है।


अनुबन्ध’ खण्ड की ये पंक्तियाँ गहरा प्रभाव छोड़ती हैं- 

''ज़ख़्म गहरा देते हो हर मुलाक़ात के बाद और फिर भी मिलने की गुज़ारिश करते हो।''


क्षणिकाओं मेंऔरतपिछली रोटीस्वाद चख लियामेरा घरस्टैचू बोल देमुक्तावलि की कविताओं में- परवरिशदड़बा और तकरार हृदयस्पर्शी हैं। इनमें जीवन-संघर्ष और अन्तर्द्वन्द्व को सफलतापूर्व अभिव्यक्त किया है।


जेन्नी जी का यह संग्रह पाठकों को उद्वेलित करेगातो रससिक्त भी करेगाऐसी आशा है।

 

14.01.2023                                             -रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

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- जेन्नी शबनम (4.3.2023)
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21 comments:

  1. बहुत सुन्दर समीक्षा और चित्रावली।
    बधाई हो आपको।

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  2. सुंदर,सारगर्भित समीक्षा। आपको पुस्तक प्रकाशन के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ जेन्नी जी। सुदर्शन रत्नाकर।

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  3. नवधा के लिए कोटि-कोटि शुभकामनाएँ बहन जेन्नी जी। आपका काव्य उत्कृष्ट और सहज सम्प्रेषित है। रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

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  4. अरे वाह ...! क्या बात है बहुत बहुत बधाई सहित ढेरों शुभकामनायें आपको :)

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  5. बहुत उम्दा!!
    बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएं ।!!

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  6. डॉ. कुँवर दिनेश सिंहApril 22, 2023 at 6:57 PM

    काव्य-संग्रह 'नवधा' के लोकार्पण के लिए हार्दिक बधाई!

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  7. बहुत सुंदर 🌹🙏बधाई एवं असीम शुभकामनाएँ आदरणीया जेन्नी जी को 🙏

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  8. नवधा संग्रह के लिए-बधाई। सुंदर भूमिका के रुप में आशीर्वचन हेतु आदरणीय काम्बोज जी का साधुवाद।
    शुभकामनाएँ।
    रमेश कुमार सोनी

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  9. जेन्नी जी को बहुत बधाई पुस्तक के लिए।आदरणीय कांबोज जी द्वारा सारगर्भित समीक्षा के लिए भी बधाई बहुत - बहुत

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  10. Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

    बहुत सुन्दर समीक्षा और चित्रावली।
    बधाई हो आपको।

    March 6, 2023 at 6:53 AM Delete
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    आपका बहुत आभार शास्त्री जी.

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  11. Anonymous Anonymous said...

    सुंदर,सारगर्भित समीक्षा। आपको पुस्तक प्रकाशन के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ जेन्नी जी। सुदर्शन रत्नाकर।

    March 6, 2023 at 8:18 PM Delete
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    आपका हार्दिक आभार रत्नाकर जी.

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  12. Blogger सहज साहित्य said...

    नवधा के लिए कोटि-कोटि शुभकामनाएँ बहन जेन्नी जी। आपका काव्य उत्कृष्ट और सहज सम्प्रेषित है। रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

    March 8, 2023 at 10:46 PM Delete
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    हिम्मत बढ़ाने के लिए आपका दिल से आभार काम्बोज भैया.

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  13. Blogger Pallavi saxena said...

    अरे वाह ...! क्या बात है बहुत बहुत बधाई सहित ढेरों शुभकामनायें आपको :)

    March 28, 2023 at 3:05 PM Delete
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    धन्यवाद पल्लवी जी.

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  14. Blogger Harash Mahajan said...

    बहुत उम्दा!!
    बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएं ।!!

    March 28, 2023 at 7:48 PM Delete
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    बहुत धन्यवाद हर्ष जी.

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  15. Anonymous डॉ. कुँवर दिनेश सिंह said...

    काव्य-संग्रह 'नवधा' के लोकार्पण के लिए हार्दिक बधाई!

    April 22, 2023 at 6:57 PM Delete
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    आपका बहुत बहुत धन्यवाद कुँवर दिनेश जी.

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  16. Blogger Anima Das said...

    बहुत सुंदर 🌹🙏बधाई एवं असीम शुभकामनाएँ आदरणीया जेन्नी जी को 🙏

    April 22, 2023 at 6:59 PM Delete
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    बहुत धन्यवाद अणिमा जी.

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  17. Anonymous Anonymous said...

    नवधा संग्रह के लिए-बधाई। सुंदर भूमिका के रुप में आशीर्वचन हेतु आदरणीय काम्बोज जी का साधुवाद।
    शुभकामनाएँ।
    रमेश कुमार सोनी

    April 22, 2023 at 6:59 PM Delete
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    धन्यवाद रमेश जी. काम्बोज भैया ने बहुत सुन्दर आशीर्वचन लिखे हैं, उनकी मैं सदैव आभारी हूँ.

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  18. Blogger nirdesh nidhi said...

    जेन्नी जी को बहुत बधाई पुस्तक के लिए।आदरणीय कांबोज जी द्वारा सारगर्भित समीक्षा के लिए भी बधाई बहुत - बहुत

    April 23, 2023 at 6:54 AM Delete
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    आपका बहुत बहुत धन्यवाद निधि जी.

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  19. Blogger प्रियंका गुप्ता said...

    बहुत बहुत बधाई

    April 28, 2023 at 8:38 AM Delete
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    धन्यवाद प्रियंका जी.

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  20. बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनायें

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