जुलाई 18, 2022 को संध्या 6 बजे 'पृथ्वी ललित कला एवं सांस्कृतिक केंद्र', सफ़दरजंग एन्क्लेव, नई दिल्ली में 'मरजीना' (क्षणिका-संग्रह) जो मेरी तीसरी पुस्तक है, का लोकार्पण हुआ।
आज का दिन मेरे लिए ख़ास महत्व रखता है। 44 वर्ष पूर्व आज के दिन मेरे पिता का देहान्त हुआ था। मेरे पिता की पुस्तक 'Sarvodaya of Gandhi' के नवीन संस्करण का लोकार्पण जुलाई 18, 2014 में हुआ था। मरजीना का लोकार्पण जनवरी 7, 2022 को होना था, क्योंकि मेरी पहली दोनों पुस्तकों का लोकार्पण इस तिथि को हुआ; लेकिन पुस्तक मेला स्थगित हो जाने के कारण हर काम अधूरा रह गया। मेरी इच्छा हुई कि मरजीना जिसे मैंने अपनी माँ को समर्पित किया है, पिता की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि के रूप में लोकार्पित हो।
मेरी पुस्तकें 'लम्हों का सफ़र' से लेकर 'प्रवासी मन' और 'मरजीना' तक की यात्रा में कई लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। आदरणीय श्री रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु', सुश्री संगीता गुप्ता, श्री आदिल रशीद एवं प्रोफ़ेसर डॉ. राजीव रंजन गिरि के हाथों पुस्तक का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर वक्ता के रूप में आप सभी ने बहुमूल्य वक्तव्य दिए; आप सभी का हार्दिक आभार। संगीता दी का हृदय से आभार; जिन्होंने अपनी आर्ट गैलरी में लोकार्पण का सफल आयोजन किया और मुझे अपनी बात कहने और क्षणिकाएँ सुनाने का अवसर दिया।
लोकार्पण के अवसर पर श्री बी. के. वर्मा 'शैदी', श्रीमती वीरबाला काम्बोज, श्री अवधेश कुमार सिंह, सुश्री अर्चना अग्निहोत्री, श्री राजेश कुमार श्रीवास्तव एवं श्रीमती मधुप्रिया, श्रीमती अनुपमा त्रिपाठी, सुश्री सुनीता अग्रवाल, श्रीमती संजु तनेजा एवं श्री राजीव तनेजा, श्रीमती अपराजिता शुभ्रा, डॉ. आरती स्मित, श्री अनिल कुमार एवं श्रीमती अनिता कुमार, श्री मुकेश कुमार सिन्हा, डॉ. उदयन कुमार झा, श्री मनोज कुमार सिंह, श्री हिमांशु भगत, श्री संजीव कुमार सिन्हा, सुश्री माधुरी शर्मा, श्री संकल्प शर्मा, श्री अनुभव मित्तल एवं श्रीमती प्रियंका, सुश्री मनस्विनी गुप्ता, श्री बिष्णु भारद्वाज, श्री कैलाश शर्मा भारद्वाज एवं श्री मनीष कुमार सिन्हा ने उपस्थित होकर मेरा उत्साहवर्धन किया। जिनके नाम छूट रहे हैं, उनसे मैं माफ़ी चाहूँगी। आप सभी ने इस आयोजन को सफल बनाया, वक़्त दिया और मुझे शुभकामनाएँ दीं; आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया।
जब इस क्षणिका-संग्रह के लिए नाम सोच रही थी, तो श्री आवेश तिवारी ने नाम सुझाया - मरजीना। मुझे इसका अर्थ मालूम नहीं था, सिवा इसके कि 'अलीबाबा चालीस चोर' कहानी की मुख्य पात्र मरजीना है। इसका अर्थ उन्होंने बाद में बताया, जो मेरी इस पुस्तक के लिए बहुत सटीक नाम है। 'मरजीना' शब्द अरबी भाषा के मर्जान से उत्पन्न है जिसका अँगरेज़ी अर्थ है लिटिल पर्ल अर्थात् छोटा मोती। मोती, सोना, कोरल, रूबी को मरजीना कहते हैं।
यों नन्हे-नन्हे मोती सागर में पाए जाते हैं; लेकिन मेरा मन किसी सागर से कम तो नहीं! मेरी रचनाओं का सर्जन मेरे मन के सागर की अतल गहराइयों में होता है। अपने अनुभव और अनुभूतियों के छोटे-छोटे मोती इस पुस्तक में बिखेर दी हूँ, ताकि मेरे एहसास मरजीना की तरह चमकते, दमकते, लुढ़कते, फिसलते व पिरोते हुए सभी के मन तक पहुँचे तथा इसे महसूसते हुए मेरे हिस्से का संसार, जो मेरा सरमाया है, दुनिया देखे।
आज पुस्तक प्रेमियों को अपनी 'मरजीना' सौंप रही हूँ, इस विश्वास के साथ कि मेरी लेखनी के सफ़र के हमराही बनकर आप मेरा मार्गदर्शन करेंगे, मेरी कमियाँ बताएँगे और मेरे साथ मेरी अनुभूतियों के सफ़र पर चलेंगे।
- जेन्नी शबनम (18.7.2022)
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बहुत बहुत बधाई,यूँही सृजनरत रह कर साहित्य के भण्डार को समृद्ध करती रहें।
ReplyDeleteबहुतबहुत बधाई एवं शुभकामनाएं जेन्नी जी। अपने पिता की स्मृति से आबद्ध आपकी भावनाओं को मैं अनुभव कर सकता हूँ। आपका मन सचमुच ही किसी सागर से कम नहीं। अभी असंख्य मोती और निकलने वाले हैं इससे।
ReplyDelete'मरजीना' के लोकार्पण हेतु बहुत बधाई जेन्नी जी !!आपके जीवन के महत्वपूर्ण पलों में उपस्थित रहने का मौका मुझे मिला | आनंदित हूँ ,ऐसे ही आपकी सृजन यात्रा चलती रहे !!
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ReplyDeleteजेन्नी जी बहुत -बहुत बधाई
पुष्पा मेहरा
आपकी पुस्तक का नाम बहुत सुंदर है। क्षणिकाएँ तो सुंदर होंगी ही। आपके मन-सागर के मोती हैं। बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ जेन्नी जी। सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteबहुत सुंदर कार्यक्रम, हार्दिक बधाई शुभकामनाएं।
ReplyDeleteआपने अपने अनुभव और अनुभूतियों के छोटे-छोटे मोती इस पुस्तक में बिखेर, माँ को समर्पित किया और पिता को श्रद्धांजलि दी .. अत्यंत भावपूर्ण है, स्नेहिल अभिनन्दन है आपका, बधाई सहित अनंत शुभकामनाएं।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ जेन्नी जी।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई बहन
ReplyDeleteआपके मन- सागर के सुंदर मोती 'मरजीना' के लिए आपको हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनाएँ आदरणीया।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteबधाई और हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteखूब बधाई, कार्यक्रम बेहतरीन था ........ !!
ReplyDeleteतुम्हें अपनी पुस्तक 'मरजीना ' के भव्य लोकार्पण के लिए बहुत बधाई।मरजीना मेरे जीवन में एक विशेष पात्र का नाम है पर शब्द की व्याख्या तुमसे जानकर और भी अच्छा लगा।क्षणिकाएँ पढ़कर बताऊंगी बाद में।अभी बहुत बहुत प्यार।
ReplyDeleteBlogger शिवजी श्रीवास्तव said...
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई,यूँही सृजनरत रह कर साहित्य के भण्डार को समृद्ध करती रहें।
July 20, 2022 at 7:35 AM Delete
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आदरणीय शिवजी श्रीवास्तव जी, शुभकामनाओं के लिए आपका हार्दिक आभार!
Blogger जितेन्द्र माथुर said...
ReplyDeleteबहुतबहुत बधाई एवं शुभकामनाएं जेन्नी जी। अपने पिता की स्मृति से आबद्ध आपकी भावनाओं को मैं अनुभव कर सकता हूँ। आपका मन सचमुच ही किसी सागर से कम नहीं। अभी असंख्य मोती और निकलने वाले हैं इससे।
July 20, 2022 at 10:37 AM Delete
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सराहना एवं शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद जितेन्द्र जी.
Blogger Anupama Tripathi said...
ReplyDelete'मरजीना' के लोकार्पण हेतु बहुत बधाई जेन्नी जी !!आपके जीवन के महत्वपूर्ण पलों में उपस्थित रहने का मौका मुझे मिला | आनंदित हूँ ,ऐसे ही आपकी सृजन यात्रा चलती रहे !!
July 20, 2022 at 2:16 PM Delete
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लोकार्पण के अवसर पर आप उपस्थित रहीं, यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है. बहुत धन्यवाद अनुपमा जी.
Blogger Pushpa mehra said...
ReplyDeleteजेन्नी जी बहुत -बहुत बधाई
पुष्पा मेहरा
July 20, 2022 at 2:21 PM Delete
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बहुत बहुत धन्यवाद पुष्पा मेहरा जी.
Anonymous Anonymous said...
ReplyDeleteआपकी पुस्तक का नाम बहुत सुंदर है। क्षणिकाएँ तो सुंदर होंगी ही। आपके मन-सागर के मोती हैं। बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ जेन्नी जी। सुदर्शन रत्नाकर
July 20, 2022 at 3:03 PM Delete
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आदरणीया रत्नाकर दीदी, आपका आशीष मुझे मिलता रहे, यही कामना है. शुभकामनाओं के लिए आभार!
Blogger नीलाम्बरा.com said...
ReplyDeleteबहुत सुंदर कार्यक्रम, हार्दिक बधाई शुभकामनाएं।
July 20, 2022 at 7:27 PM Delete
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बहुत-बहुत शुक्रिया कविता जी.
Blogger सदा said...
ReplyDeleteआपने अपने अनुभव और अनुभूतियों के छोटे-छोटे मोती इस पुस्तक में बिखेर, माँ को समर्पित किया और पिता को श्रद्धांजलि दी .. अत्यंत भावपूर्ण है, स्नेहिल अभिनन्दन है आपका, बधाई सहित अनंत शुभकामनाएं।
July 20, 2022 at 7:39 PM Delete
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बहुत-बहुत धन्यवाद सीमा जी.
Blogger Krishna said...
ReplyDeleteहार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ जेन्नी जी।
July 20, 2022 at 7:52 PM Delete
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हार्दिक आभार कृष्णा वर्मा जी.
Blogger HYPHEN said...
ReplyDeleteहार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!
July 20, 2022 at 10:22 PM Delete
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बहुत-बहुत धन्यवाद.
Anonymous Anonymous said...
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई बहन
July 20, 2022 at 10:48 PM Delete
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बहुत आभार आपका!
Blogger Rashmi Vibha Tripathi said...
ReplyDeleteआपके मन- सागर के सुंदर मोती 'मरजीना' के लिए आपको हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनाएँ आदरणीया।
July 21, 2022 at 12:19 AM Delete
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आपका बहुत-बहुत शुक्रिया रश्मि विभा जी.
Blogger Ramesh Kumar Soni said...
ReplyDeleteहार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
July 21, 2022 at 11:08 AM Delete
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बहुत धन्यवाद रमेश सोनी जी.
Blogger VINOD said...
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ।
July 24, 2022 at 10:15 PM Delete
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बहुत-बहुत धन्यवाद.
Anonymous Anonymous said...
ReplyDeleteबधाई और हार्दिक शुभकामनायें
July 25, 2022 at 10:07 AM Delete
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हार्दिक धन्यवाद.
Blogger मुकेश कुमार सिन्हा said...
ReplyDeleteखूब बधाई, कार्यक्रम बेहतरीन था ........ !!
July 25, 2022 at 4:25 PM Delete
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लोकार्पण के अवसर पर तुम आए, बहुत अच्छा लगा. शुक्रिया मुकेश.
Anonymous मंजु रानी सिंह said...
ReplyDeleteतुम्हें अपनी पुस्तक 'मरजीना ' के भव्य लोकार्पण के लिए बहुत बधाई।मरजीना मेरे जीवन में एक विशेष पात्र का नाम है पर शब्द की व्याख्या तुमसे जानकर और भी अच्छा लगा।क्षणिकाएँ पढ़कर बताऊंगी बाद में।अभी बहुत बहुत प्यार।
July 26, 2022 at 12:16 PM Delete
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मंजु दी, आपकी शुभकामनाएँ एवं आशीष मेरे लिए प्रेरक का काम करती हैं. पुस्तक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी. बहुत आभार!
मरजीना !!!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत नाम चुना आपने पुस्तक हेतु
बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं जेन्नी जी ! आपको तीसरी पुस्तक प्रकाशन हेतु ।
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ReplyDeleteबधाई एवं शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ
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