tag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post5451872526954607616..comments2024-03-25T21:42:17.759+05:30Comments on साझा संसार: 76. बेज़ुबानों की हत्या डॉ. जेन्नी शबनमhttp://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-5545990224740866052020-07-04T23:39:12.373+05:302020-07-04T23:39:12.373+05:30 Blogger Jyoti Singh said...
सच्चाई को दर्शात... Blogger Jyoti Singh said...<br /><br /> सच्चाई को दर्शाती हुई ,अहम पोस्ट ,एक बात सही है ,मनुष्य अपनी पहचान, परिभाषा बदलते जा रहा है<br /><br /> June 13, 2020 at 10:53 PM Delete<br /><br />___________________________________________________________<br /><br />सहमति के लिए धन्यवाद ज्योति जी.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-60754678038209604712020-07-04T23:38:08.596+05:302020-07-04T23:38:08.596+05:30Blogger डॉ. जेन्नी शबनम said...
इनसे मिलिए ...Blogger डॉ. जेन्नी शबनम said...<br /><br /><br /><br /> इनसे मिलिए Inse miliye (किशोर श्रीवास्तव जी) <br /> 07:41 (10 hours ago)<br /> to me<br /><br /> मेरी प्रतिक्रिया:<br /><br /><br /> आपने इस अमानवीय कृत्य पर बहुत ज़रूरी प्रश्न उठाये हैं। पर जहां मानव ही अपने क्षणिक लाभ, सनक के चलते खुद एक दूसरे का खून बहाने पर आमादा रहता है तो पशु पक्षियों से भी उसे क्यों हमदर्दी हो। बेशक हमें किसी को पीड़ा न पहुंचे इस पर ध्यान देना चाहिए। जान तो सभी की ही कीमती है और दर्द भी सबको एक जैसा ही होता होगा।<br /><br /> June 11, 2020 at 5:48 PM Delete<br />________________________________________________<br /><br />हाँ किशोर जी. यही तो मैं सोचती हूँ, हर जानवर को चोट या पीड़ा हम मनुष्यों सी ही होती है. फिर मनुष्य इस पर सोचता विचारता क्यों नहीं. समर्थन के लिए धन्यवाद. डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-41883270781737387442020-07-04T23:36:08.894+05:302020-07-04T23:36:08.894+05:30Blogger प्रियंका गुप्ता said...
मन विचलित हो ...Blogger प्रियंका गुप्ता said...<br /><br /> मन विचलित हो जाता है सभ्य कहे जाने वाले मानव की ऐसे घृणित कृत्य को जान-सुन कर...| आपके इस आलेख की सार्थकता निश्चय ही आज के समाज में बहुत है | सोचनीय विषय पर कलम चलाने के लिए मेरी बधाई...|<br /><br /> June 11, 2020 at 12:03 AM Delete<br />_______________________________________________________________<br /><br />मेरी सोच को आपने समझा, धन्यवाद प्रियंका जी.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-61314995959349642902020-07-04T23:35:04.005+05:302020-07-04T23:35:04.005+05:30Blogger प्रतिभा सक्सेना said...
सोच कर ही मन ...Blogger प्रतिभा सक्सेना said...<br /><br /> सोच कर ही मन विचलित हो जाता है कि इस वीभत्स घटना ने उस गर्भवती को कितनी पीड़ा पहुँचाई होगी,उस अजन्में शिशु का क्या हाल हुआ होगा.मनुष्य अपनी क्रूरता का एक परिणाम तो भोग ही रहा है ,मनुष्यता का और कितना अधःपतन होगा ,और भविष्य कैसे-कैसे दंडित कर सकता है,इस पर सचैत होना ही पड़ेगा.<br /> ,<br /><br /> June 9, 2020 at 6:35 AM Delete<br />_________________________________________________________________<br /><br />सही कहा प्रतिभा जी. मनुष्य के अधोपतन का ही परिणाम है कि समाज और प्रकृति दोनों प्रभावित है. जाने कहाँ पहुँचेंगे हम? in सब से मन द्रवित हो जाता है.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-13837842789503692282020-07-04T23:32:19.660+05:302020-07-04T23:32:19.660+05:30 Blogger Sudershan Ratnakar said...
बेज़ुबान ... Blogger Sudershan Ratnakar said...<br /><br /> बेज़ुबान जानवर के साथ क्रूरता का व्यवहार अमानवीय है। प्रकृति के विरुद्ध है लापरवाही हो या जानबूझकर ऐसा करना कितना दुखद है।<br /> आप ने सही लिखा है संवेदनशील हदय ही इस पीड़ा को अनुंभव कर सकता है। बहुत अच्छा लिखा है आपने.<br /><br /> June 7, 2020 at 7:30 PM Delete<br />____________________________________________________________<br /><br />आभार रत्नाकर जी. मानव दूसरे की संवेदना न समझेगा तो कौन समझेगा? कुछ जानवरों से इतना प्रेम, और कुछ के लिए क्यों नहीं? यह प्रश्न मुझे अक्सर बेचैन कर देता है. डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-73086830257764758552020-07-04T23:29:41.859+05:302020-07-04T23:29:41.859+05:30 Blogger डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल said...
अच्छ... Blogger डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल said...<br /><br /> अच्छा और सम्वेदनशील आलेख. बधाई!<br /><br /> June 7, 2020 at 1:12 PM Delete<br /><br />________________________________________________<br /><br />धन्यवाद दुर्गाप्रसाद जी.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-81043516746845553022020-07-04T23:29:01.231+05:302020-07-04T23:29:01.231+05:30Blogger Pallavi saxena said...
बिल्कुल सही लि...Blogger Pallavi saxena said...<br /><br /> बिल्कुल सही लिखा है आपने, जान तो जान ही है फिर चाहे हाथी की हो या किसी भी अन्य पशु पक्षी की इन्हें मार कर खाने का अधिकार हमें कभी था ही नही मानव शरीर सिर्फ शाकाहारी वस्तुओं के हिसाब से बना है। वो कहते है ना "जैसा खाओ अन्न वैसा बने मन" कौन जाने शायद ऐसी क्रूर परवर्ती का ही यह परिणाम हो।<br />_______________________________________________________________________<br /><br />सच है कि मानव का जन्म शाकाहार के लिए हुआ है. लेकिन स्वाद ऐसी चीज़ है कि हम जानवरों की पीड़ा समझते नहीं हैं. मुझे तो हमेशा ही लगता है कि ऐसा भोजन करने का ही परिणाम है कि मानव क्रूर होता जा रहा है. यूँ शाकाहारी भी क्रूर होते हैं, परन्तु अन्य कई परिस्थितियाँ होती हैं ऐसा बनाने में. पर दूसरों का दर्द तो महसूस होना चाहिए न.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-76080022637907095402020-07-04T23:24:37.931+05:302020-07-04T23:24:37.931+05:30 Blogger बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना said...... Blogger बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना said...<br /><br /> गर्भवती हथिनी को मारने वाला अपराधी एक ही नहीं है, हम सब उसमें भागीदार हैं । हम पशुओं के हक़ पर बड़ी निर्दयता के साथ डाका डालते रहे हैं ...इस बात की उपेक्षा करते हुये कि इस धरती पर उनका भी उतना ही हक़ है जितना कि हमारा ।<br /><br /> हमें जंगल चाहिये, हमें धरती चाहिये, हमें जलस्रोत चाहिये ...पशुओं के बारे में हमने कभी ईमानदारी से नहीं सोचा । वे कभी हमारे खेतों में नहीं आते अगर हमने उनके आशियानों पर डाके न डाले होते ।<br /><br /> बेज़ुबानों के लिए क़ानून बनाना ही पर्याप्त नहीं है ..ईमानदारी से उनपर अमल भी हो ...यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये ।<br /><br /> हथिनी की कष्टपूर्वक हुयी मौत की वेदना का अनुमान लगाने के लिए कुछ क्षणों के लिए स्वयं हथिनी बनने की कल्पना करनी होगी... गर्भवती हथिनी की ... भूख और प्यास तड़पती हथिनी की ...और उसके गर्भस्थ भ्रूण की ।<br /><br /> मैं निर्णायक होता तो हत्यारे को दो बार मरने की सज़ा ज़रूर देता ...उसी तरह भूख और प्यास से तड़पते हुये मरने की सज़ा ...ताकि एक नज़ीर बन सके ।<br /><br /> June 6, 2020 at 11:12 PM Delete<br />___________________________________________________________<br /><br />कौशलेन्द्र जी, बिल्कुल सही कहा आपने कि उस हथिनी की पीड़ा को खुद पर महसूस करना होगा. निश्चित ही ऐसे अपराधियों को वैसी ही सजा मिलनी चाहिए जैसी वे दूसरों को देते हैं. परन्तु हमारा कानून और हमारी सोच हर जानवर के लिए एक-सी नहीं है, यही तो दुःख का विषय है. <br />आपकी टिप्पणी प्रकाशित नहीं हो रही थी, मालूम नहीं क्या गड़बड़ हुआ. आपने मेल किया अन्यथा मुझे पता भी नहीं चलता इस समस्या का. काफी दिनों से हमारा समपर्क नहीं हुआ. आपने बार बार सात बार टिप्पणी पोस्ट की, तहेदिल से आपका आभार. डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-82489556853733679992020-07-04T23:16:50.032+05:302020-07-04T23:16:50.032+05:30Blogger कुमारेन्द्र किशोरीमहेन्द्र said...
अब...Blogger कुमारेन्द्र किशोरीमहेन्द्र said...<br /><br /> अब हर घटना को राजनीति के अंतर्गत रंग देने का काम किया जाने लगता है. जानवरों के मारे जाने की घटनाएँ देखें, तो ये कोई पहली घटना नहीं है.<br /> बहरहाल, सामायिक विषय पर अच्छा लेख.<br /><br /> June 6, 2020 at 11:01 PM Delete<br />_____________________________________________________________<br /><br />राजनीति का रंग देना तो बहुत गलत है. ऐसी घटना बार बार हो रही है, यही तो सोचने का विषय है कि मानव इतना दानव क्यों बनता जा रहा है. धन्यवाद कुमारेंद्र जी. डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-38208674488656715142020-07-04T23:14:25.351+05:302020-07-04T23:14:25.351+05:30 Blogger Harash Mahajan said...
अति सुंदर सृज... Blogger Harash Mahajan said...<br /><br /> अति सुंदर सृजन । सच कहा जेन्नी जी कमजोर रूहों पर अत्याचार करना मानव का स्वभाव बन चुका है । उनकी ये दलील भी तो समझ नही आती एक रूह के लिए दुनियाँ अत्याचार के लिए उसके सामने खड़ी है दूसरी ओर जो वो प्राणी जिनके लिए लीगों की लार टपकती है । उन रूहों के साथ होती बर्बरता के लिए क्यों कोई नहीं बोलता ।<br /><br /> June 6, 2020 at 10:01 PM Delete<br />___________________________________________________________________<br /><br />मैं भी यही सोचती हूँ कि आखिर जो कमजोर हैं बोल नहीं सकते उसे मार कर खा लेना है, यह कैसी क्षुधा है जो दूसरे को पीड़ा पहुँचा कर तृप्त होती है. कुछ ख़ास जानवरों को मारना अपराध है लेकिन सभी का क्यों नहीं? मेरे विचार से सहमत होने के लिए शुक्रिया हर्ष महाजन जी.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-88004328916397910582020-07-04T23:02:34.320+05:302020-07-04T23:02:34.320+05:30Blogger Jyoti khare said...
मार्मिक त्रासदी क...Blogger Jyoti khare said...<br /><br /> मार्मिक त्रासदी की प्रभावशाली पड़ताल<br /> लोग कब समझेंगे<br /> बहुत खूब<br /><br /> June 6, 2020 at 9:39 PM Delete<br />___________________________________________<br /><br />आभार ज्योति खरे जी.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-52310360801580800052020-07-04T23:01:56.812+05:302020-07-04T23:01:56.812+05:30 Blogger kirti dubey said...
सही कहा आपने
... Blogger kirti dubey said...<br /><br /> सही कहा आपने<br /><br /> June 6, 2020 at 7:43 PM Delete<br />________________________________________________<br /><br />शुक्रिया कीर्ति जी.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-20001167001881865522020-07-04T23:01:17.119+05:302020-07-04T23:01:17.119+05:30Blogger संगीता पुरी said...
विचारणीय आलेख ---...Blogger संगीता पुरी said...<br /><br /> विचारणीय आलेख ----<br /><br /> June 6, 2020 at 7:41 PM Delete<br />________________________________________________<br /><br />धन्यवाद संगीता जी.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-28542478570886219512020-06-13T22:53:54.348+05:302020-06-13T22:53:54.348+05:30सच्चाई को दर्शाती हुई ,अहम पोस्ट ,एक बात सही है ,म...सच्चाई को दर्शाती हुई ,अहम पोस्ट ,एक बात सही है ,मनुष्य अपनी पहचान, परिभाषा बदलते जा रहा है Jyoti Singhhttps://www.blogger.com/profile/04419073316265642693noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-66527916043512827232020-06-11T17:48:47.081+05:302020-06-11T17:48:47.081+05:30
इनसे मिलिए Inse miliye (किशोर श्रीवास्तव जी)
07...<br /><br />इनसे मिलिए Inse miliye (किशोर श्रीवास्तव जी) <br />07:41 (10 hours ago)<br />to me<br /><br />मेरी प्रतिक्रिया:<br /><br /><br />आपने इस अमानवीय कृत्य पर बहुत ज़रूरी प्रश्न उठाये हैं। पर जहां मानव ही अपने क्षणिक लाभ, सनक के चलते खुद एक दूसरे का खून बहाने पर आमादा रहता है तो पशु पक्षियों से भी उसे क्यों हमदर्दी हो। बेशक हमें किसी को पीड़ा न पहुंचे इस पर ध्यान देना चाहिए। जान तो सभी की ही कीमती है और दर्द भी सबको एक जैसा ही होता होगा।<br /> डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-27765530875454958552020-06-11T00:03:05.046+05:302020-06-11T00:03:05.046+05:30मन विचलित हो जाता है सभ्य कहे जाने वाले मानव की ऐस...मन विचलित हो जाता है सभ्य कहे जाने वाले मानव की ऐसे घृणित कृत्य को जान-सुन कर...| आपके इस आलेख की सार्थकता निश्चय ही आज के समाज में बहुत है | सोचनीय विषय पर कलम चलाने के लिए मेरी बधाई...|प्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-86623449752668664302020-06-09T06:35:37.179+05:302020-06-09T06:35:37.179+05:30सोच कर ही मन विचलित हो जाता है कि इस वीभत्स घटना न...सोच कर ही मन विचलित हो जाता है कि इस वीभत्स घटना ने उस गर्भवती को कितनी पीड़ा पहुँचाई होगी,उस अजन्में शिशु का क्या हाल हुआ होगा.मनुष्य अपनी क्रूरता का एक परिणाम तो भोग ही रहा है ,मनुष्यता का और कितना अधःपतन होगा ,और भविष्य कैसे-कैसे दंडित कर सकता है,इस पर सचैत होना ही पड़ेगा. <br />,प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-30486180962473053472020-06-07T19:30:40.871+05:302020-06-07T19:30:40.871+05:30बेज़ुबान जानवर के साथ क्रूरता का व्यवहार अमानवीय ह...बेज़ुबान जानवर के साथ क्रूरता का व्यवहार अमानवीय है। प्रकृति के विरुद्ध है लापरवाही हो या जानबूझकर ऐसा करना कितना दुखद है।<br />आप ने सही लिखा है संवेदनशील हदय ही इस पीड़ा को अनुंभव कर सकता है। बहुत अच्छा लिखा है आपने.Sudershan Ratnakarhttps://www.blogger.com/profile/04520376156997893785noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-39166181055562960262020-06-07T13:12:20.501+05:302020-06-07T13:12:20.501+05:30अच्छा और सम्वेदनशील आलेख. बधाई!अच्छा और सम्वेदनशील आलेख. बधाई!डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04367258649357240171noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-51025126821241700282020-06-07T10:23:28.009+05:302020-06-07T10:23:28.009+05:30बिल्कुल सही लिखा है आपने, जान तो जान ही है फिर चाह...बिल्कुल सही लिखा है आपने, जान तो जान ही है फिर चाहे हाथी की हो या किसी भी अन्य पशु पक्षी की इन्हें मार कर खाने का अधिकार हमें कभी था ही नही मानव शरीर सिर्फ शाकाहारी वस्तुओं के हिसाब से बना है। वो कहते है ना "जैसा खाओ अन्न वैसा बने मन" कौन जाने शायद ऐसी क्रूर परवर्ती का ही यह परिणाम हो।Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-54130448524076752482020-06-06T23:15:59.472+05:302020-06-06T23:15:59.472+05:30गर्भवती हथिनी को मारने वाला अपराधी एक ही नहीं है, ...गर्भवती हथिनी को मारने वाला अपराधी एक ही नहीं है, हम सब उसमें भागीदार हैं । हम पशुओं के हक़ पर बड़ी निर्दयता के साथ डाका डालते रहे हैं ...इस बात की उपेक्षा करते हुये कि इस धरती पर उनका भी उतना ही हक़ है जितना कि हमारा । <br /><br />हमें जंगल चाहिये, हमें धरती चाहिये, हमें जलस्रोत चाहिये ...पशुओं के बारे में हमने कभी ईमानदारी से नहीं सोचा । वे कभी हमारे खेतों में नहीं आते अगर हमने उनके आशियानों पर डाके न डाले होते । <br /><br />बेज़ुबानों के लिए क़ानून बनाना ही पर्याप्त नहीं है ..ईमानदारी से उनपर अमल भी हो ...यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये । <br /><br />हथिनी की कष्टपूर्वक हुयी मौत की वेदना का अनुमान लगाने के लिए कुछ क्षणों के लिए स्वयं हथिनी बनने की कल्पना करनी होगी... गर्भवती हथिनी की ... भूख और प्यास तड़पती हथिनी की ...और उसके गर्भस्थ भ्रूण की । <br /><br />मैं निर्णायक होता तो हत्यारे को दो बार मरने की सज़ा ज़रूर देता ...उसी तरह भूख और प्यास से तड़पते हुये मरने की सज़ा ...ताकि एक नज़ीर बन सके । बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-11847462590883561522020-06-06T23:15:43.906+05:302020-06-06T23:15:43.906+05:30गर्भवती हथिनी को मारने वाला अपराधी एक ही नहीं है, ...गर्भवती हथिनी को मारने वाला अपराधी एक ही नहीं है, हम सब उसमें भागीदार हैं । हम पशुओं के हक़ पर बड़ी निर्दयता के साथ डाका डालते रहे हैं ...इस बात की उपेक्षा करते हुये कि इस धरती पर उनका भी उतना ही हक़ है जितना कि हमारा । <br /><br />हमें जंगल चाहिये, हमें धरती चाहिये, हमें जलस्रोत चाहिये ...पशुओं के बारे में हमने कभी ईमानदारी से नहीं सोचा । वे कभी हमारे खेतों में नहीं आते अगर हमने उनके आशियानों पर डाके न डाले होते । <br /><br />बेज़ुबानों के लिए क़ानून बनाना ही पर्याप्त नहीं है ..ईमानदारी से उनपर अमल भी हो ...यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये । <br /><br />हथिनी की कष्टपूर्वक हुयी मौत की वेदना का अनुमान लगाने के लिए कुछ क्षणों के लिए स्वयं हथिनी बनने की कल्पना करनी होगी... गर्भवती हथिनी की ... भूख और प्यास तड़पती हथिनी की ...और उसके गर्भस्थ भ्रूण की । <br /><br />मैं निर्णायक होता तो हत्यारे को दो बार मरने की सज़ा ज़रूर देता ...उसी तरह भूख और प्यास से तड़पते हुये मरने की सज़ा ...ताकि एक नज़ीर बन सके । बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-50301329290314274272020-06-06T23:15:22.497+05:302020-06-06T23:15:22.497+05:30गर्भवती हथिनी को मारने वाला अपराधी एक ही नहीं है, ...गर्भवती हथिनी को मारने वाला अपराधी एक ही नहीं है, हम सब उसमें भागीदार हैं । हम पशुओं के हक़ पर बड़ी निर्दयता के साथ डाका डालते रहे हैं ...इस बात की उपेक्षा करते हुये कि इस धरती पर उनका भी उतना ही हक़ है जितना कि हमारा । <br /><br />हमें जंगल चाहिये, हमें धरती चाहिये, हमें जलस्रोत चाहिये ...पशुओं के बारे में हमने कभी ईमानदारी से नहीं सोचा । वे कभी हमारे खेतों में नहीं आते अगर हमने उनके आशियानों पर डाके न डाले होते । <br /><br />बेज़ुबानों के लिए क़ानून बनाना ही पर्याप्त नहीं है ..ईमानदारी से उनपर अमल भी हो ...यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये । <br /><br />हथिनी की कष्टपूर्वक हुयी मौत की वेदना का अनुमान लगाने के लिए कुछ क्षणों के लिए स्वयं हथिनी बनने की कल्पना करनी होगी... गर्भवती हथिनी की ... भूख और प्यास तड़पती हथिनी की ...और उसके गर्भस्थ भ्रूण की । <br /><br />मैं निर्णायक होता तो हत्यारे को दो बार मरने की सज़ा ज़रूर देता ...उसी तरह भूख और प्यास से तड़पते हुये मरने की सज़ा ...ताकि एक नज़ीर बन सके । बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-12248977533929357682020-06-06T23:14:54.585+05:302020-06-06T23:14:54.585+05:30गर्भवती हथिनी को मारने वाला अपराधी एक ही नहीं है, ...गर्भवती हथिनी को मारने वाला अपराधी एक ही नहीं है, हम सब उसमें भागीदार हैं । हम पशुओं के हक़ पर बड़ी निर्दयता के साथ डाका डालते रहे हैं ...इस बात की उपेक्षा करते हुये कि इस धरती पर उनका भी उतना ही हक़ है जितना कि हमारा । <br /><br />हमें जंगल चाहिये, हमें धरती चाहिये, हमें जलस्रोत चाहिये ...पशुओं के बारे में हमने कभी ईमानदारी से नहीं सोचा । वे कभी हमारे खेतों में नहीं आते अगर हमने उनके आशियानों पर डाके न डाले होते । <br /><br />बेज़ुबानों के लिए क़ानून बनाना ही पर्याप्त नहीं है ..ईमानदारी से उनपर अमल भी हो ...यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये । <br /><br />हथिनी की कष्टपूर्वक हुयी मौत की वेदना का अनुमान लगाने के लिए कुछ क्षणों के लिए स्वयं हथिनी बनने की कल्पना करनी होगी... गर्भवती हथिनी की ... भूख और प्यास तड़पती हथिनी की ...और उसके गर्भस्थ भ्रूण की । <br /><br />मैं निर्णायक होता तो हत्यारे को दो बार मरने की सज़ा ज़रूर देता ...उसी तरह भूख और प्यास से तड़पते हुये मरने की सज़ा ...ताकि एक नज़ीर बन सके । बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-30543940268437170922020-06-06T23:14:03.944+05:302020-06-06T23:14:03.944+05:30गर्भवती हथिनी को मारने वाला अपराधी एक ही नहीं है, ...गर्भवती हथिनी को मारने वाला अपराधी एक ही नहीं है, हम सब उसमें भागीदार हैं । हम पशुओं के हक़ पर बड़ी निर्दयता के साथ डाका डालते रहे हैं ...इस बात की उपेक्षा करते हुये कि इस धरती पर उनका भी उतना ही हक़ है जितना कि हमारा । <br /><br />हमें जंगल चाहिये, हमें धरती चाहिये, हमें जलस्रोत चाहिये ...पशुओं के बारे में हमने कभी ईमानदारी से नहीं सोचा । वे कभी हमारे खेतों में नहीं आते अगर हमने उनके आशियानों पर डाके न डाले होते । <br /><br />बेज़ुबानों के लिए क़ानून बनाना ही पर्याप्त नहीं है ..ईमानदारी से उनपर अमल भी हो ...यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये । <br /><br />हथिनी की कष्टपूर्वक हुयी मौत की वेदना का अनुमान लगाने के लिए कुछ क्षणों के लिए स्वयं हथिनी बनने की कल्पना करनी होगी... गर्भवती हथिनी की ... भूख और प्यास तड़पती हथिनी की ...और उसके गर्भस्थ भ्रूण की । <br /><br />मैं निर्णायक होता तो हत्यारे को दो बार मरने की सज़ा ज़रूर देता ...उसी तरह भूख और प्यास से तड़पते हुये मरने की सज़ा ...ताकि एक नज़ीर बन सके । बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.com