tag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post6307431684389066585..comments2024-03-25T21:42:17.759+05:30Comments on साझा संसार: 51. जीना है तो मरना सीखोडॉ. जेन्नी शबनमhttp://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-66737438543842964242015-04-13T13:03:15.514+05:302015-04-13T13:03:15.514+05:30वाणी गीत said...
सामाजिक परिस्थितियाँ डराती भी हैं...वाणी गीत said...<br />सामाजिक परिस्थितियाँ डराती भी हैं मगर फिर भी उम्मीद बनी रहती है . स्त्री के बिना यह संसार कुछ नहीं .<br />____________________<br /><br />वाणी जी,<br />सच है उम्मीद बनी रहती है… उम्मीद बनी हुई है. आभार!डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-23362157536926781042015-04-11T22:59:33.988+05:302015-04-11T22:59:33.988+05:30Kailash Sharma said...
बहुत सटीक और सारगर्भित आलेख...Kailash Sharma said...<br />बहुत सटीक और सारगर्भित आलेख...जब तक समाज की सोच नहीं बदलती, स्त्रियों की दशा में बदलाव की आशा व्यर्थ है..<br />___________________<br /><br />कैलाश जी,<br />समाज की सोच कब बदलेगी यही तो समझ से परे है. कहीं कुछ नहीं बदल रहा, दिनों दिन स्त्री की स्थिति बदतर होती जा है. मेरे लेख पर टिप्पणी के लिए धन्यवाद. डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-56461451461197711552015-04-11T22:54:00.218+05:302015-04-11T22:54:00.218+05:30दीपक बाबा said...
राम जी, कितना दुःख है इस समाज मे...दीपक बाबा said...<br />राम जी, कितना दुःख है इस समाज में.<br />___________________<br /><br />दीपक जी,<br />राम जी हैं तो देखते होंगे दुःख ही दुःख है स्त्री के जीवन में. टिप्पणी आभार.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-61129849756047763242015-04-11T22:49:33.586+05:302015-04-11T22:49:33.586+05:30 PRAN SHARMA said...
Naari jeewan haay tumhaaree y... PRAN SHARMA said...<br />Naari jeewan haay tumhaaree yahi kahani , aanchal mein hai doodh aur aankhon mein paani . Ek vichaarneey lekh .<br />__________________<br /><br />प्राण शर्मा जी,<br />मेरे लेख पर सार्थक प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद।डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-85150081567740638812015-04-11T22:46:28.230+05:302015-04-11T22:46:28.230+05:30RAMESHWAR KAMBOJ HIMANSHU said...
जेन्नी शबनम जी आ...RAMESHWAR KAMBOJ HIMANSHU said...<br />जेन्नी शबनम जी आपने जो लिखा है वह इस समाज का कड़वा सच है। आपका एक -एक शब्द सड़े हुए समाज की शल्य -क्रिया करता है । बहुत बधाई ।<br />________________________<br /><br />काम्बोज भाई,<br />मेरे लेख को अपना समर्थन देने के लिए आपका हार्दिक आभार. समाज का यह सच मन को आहत कर देता है और लाचारगी का एहसास होता है. स्थिति में ज़रा भी सुधार नहीं दिखता. डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-26285872178982705292015-04-11T22:36:34.889+05:302015-04-11T22:36:34.889+05:30Dr.NISHA MAHARANA said...
मनाव के दानव बन जाने का ...Dr.NISHA MAHARANA said...<br />मनाव के दानव बन जाने का परिणाम है कि दुनिया से कई प्रजातियाँ मिट गईं हैं और अब शायद स्त्री की बारी है । सचमुच स्त्री मानव नहीं है बल्कि एक अलग प्रजाति है जिसका नष्ट होना पुरुषों और परम्पराओं के कारण तय है । कभी-कभी मन चाहता है कि दुनिया से स्त्री नामक प्रजाति का नाम मिट जाए और विज्ञान के चमत्कार से पुरुष ही स्त्री का सभी काम करे । sachmuch ........<br />________________________<br /><br />समर्थन के लिए धन्यवाद.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-30596539691722908482015-04-11T22:34:42.140+05:302015-04-11T22:34:42.140+05:30sadhana vaid said...
अत्यंत रोष एवं क्षोभजनित पोस्...sadhana vaid said...<br />अत्यंत रोष एवं क्षोभजनित पोस्ट है यह ! हालात से बहुत खफा नज़र आ रही हैं आप ! वैसे आज के हालात चिंताजनक ही हैं इसे नकारा भी तो नहीं जा सकता ! लेकिन स्त्री प्रजाति के विलुप्त हो जाने से तो सृष्टि का संतुलन ही बिगड जाएगा ! इस वक्त ज़रूरत है कुत्सित मानसिकता के वायरस के समूल नष्ट होने की ! इसके लिये घर-घर अलख जगानी होगी और एक कारगर, शक्तिशाली और प्रभावी एंटी वायरस का आविष्कार करना होगा जिसकी दू बूँदें रुग्ण मानसिकता का इलाज पल भर में कर दें ! सार्थक पोस्ट ! आपकी चिता आपकी संवेदनशीलता की परिचायक है !<br />_____________________________<br /><br />साधना जी,<br />आपने सही कहा स्त्रियों की स्थिति में सुधार के लिए ''घर-घर अलख जगानी होगी और एक कारगर, शक्तिशाली और प्रभावी एंटी वायरस का आविष्कार करना होगा जिसकी दू बूँदें रुग्ण मानसिकता का इलाज पल भर में कर दें''. स्त्री के बिना सृष्टि नहीं बचेगी यह जानते हुए भी स्त्री के साथ असंवेदी व्यवहार हो रहा है. बहुत क्षोभ होता है यह सब देखकर। सार्थक टिप्पणी के लिए धन्यवाद। डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-53293582502744319622015-04-11T18:20:22.974+05:302015-04-11T18:20:22.974+05:30besabab said...
Yathaath ka sajeev chitran kiya ha...besabab said...<br />Yathaath ka sajeev chitran kiya hai aap ney apni is lekhni mein.<br />________________<br /><br />आपका आभार!डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-39170722067419229852015-04-04T20:31:43.563+05:302015-04-04T20:31:43.563+05:30बहुत दिन बाद कमेंट करने निकला हूं। ऊपर की कहानी तो...बहुत दिन बाद कमेंट करने निकला हूं। ऊपर की कहानी तो पढ़ी नहीं मगर आखि़री पंक्तियों का व्यंग्य शॉकिंग है।Sanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-7097750899589175282015-03-24T09:26:37.380+05:302015-03-24T09:26:37.380+05:30वाह , मंगलकामनाएं आपको !वाह , मंगलकामनाएं आपको !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-34912603731962813802015-03-16T04:57:34.859+05:302015-03-16T04:57:34.859+05:30Jenny Bahin.....
thoDa kathin ho gayaa paDhnaa.......Jenny Bahin.....<br />thoDa kathin ho gayaa paDhnaa....<br />aapne to sach Ek Naari ke dard ko poorNtah chitrit kar diya....<br />kash hamare samaaj ka har vyakti isko samajh sakta...rasaayanhttps://www.blogger.com/profile/06074599033435727882noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-76816849158770970332015-03-12T19:37:58.515+05:302015-03-12T19:37:58.515+05:301."उसे पुत्र इस लिए प्रिय है क्योंकि पुत्र न ...1."उसे पुत्र इस लिए प्रिय है क्योंकि पुत्र न सिर्फ उसके बुढापे का सहारा होगा बल्कि मृत्यु के बाद पुत्र के काँधे पर अंतिम यात्रा सौभाग्य सूचक है । "<br />यह सोच हिंदुस्तान की सोच है और हिन्दुस्तानी समाज के लिए सबस बड़ा अभिशाप है l<br />२.अंतिम पैराग्राफ सहमत नहीं हूँ l औरत को समाप्त नहीं और शक्तिशाली बन कर उभरना चाहिए l अपनी बेचैपन से बाहर आना चाहिए l<br />सुन्दर और सार्थक आलेख lकालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-65215429649040342122015-03-11T14:59:20.228+05:302015-03-11T14:59:20.228+05:30आपकी ये रचना मन को व्यतीत करती है शबनम जी . हमारे ...आपकी ये रचना मन को व्यतीत करती है शबनम जी . हमारे आस पास छाये हुए स्त्रीयों के प्रति पुरुषो के व्यवहार और अपराध मन को दुखी करते है . जो सवाल आपने उठाये है वो वाजिब है . और उनके उत्तरों को हमको ही खोजना होंगा . <br />आपको इस सारगर्भित रचना के लिए बधाई <br />विजय vijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-20600996477161619722015-03-11T14:59:14.681+05:302015-03-11T14:59:14.681+05:30आपकी ये रचना मन को व्यतीत करती है शबनम जी . हमारे ...आपकी ये रचना मन को व्यतीत करती है शबनम जी . हमारे आस पास छाये हुए स्त्रीयों के प्रति पुरुषो के व्यवहार और अपराध मन को दुखी करते है . जो सवाल आपने उठाये है वो वाजिब है . और उनके उत्तरों को हमको ही खोजना होंगा . <br />आपको इस सारगर्भित रचना के लिए बधाई <br />विजयvijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-39482357756326470422015-03-11T14:22:16.153+05:302015-03-11T14:22:16.153+05:30स्त्री की सुरक्षा आज भी सबसे बड़ा प्रश्न है । बेटिय...स्त्री की सुरक्षा आज भी सबसे बड़ा प्रश्न है । बेटियों को लेकर उपेक्षा का भाव दीर्घकालिक संघर्षों, असफलताओं और कटु अनुभवों से उपजी विवशता का परिणाम है । इसके केवल पुरुष समाज ही नहीं कम-ओ-बेश पूरा समाज दोषी है । जहाँ तक लड़कियों के पहनावे की बात है तो उद्दीपन को अनदेखा कैसे किया जा सकता है ? यह एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है जो किसी के लिये धारणीय है तो किसी के लिये अधारणीय आवेग । हमें मुकेश सिंह की बात पर भी विचार करना ही होगा । हम किसी अपराधी की मनोदशा के प्रभावों से स्वयं के अप्रभावी रहने की कल्पना कैसे कर साते हैं ? इस सम्बन्ध में कल ही अपने ब्लॉग पर एक कविता पोस्ट की है, उसे पढ़ेंगी तो मेरी बात अधिक स्पष्ट हो सकेगी ।बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-86367020637459625232015-03-10T17:27:20.574+05:302015-03-10T17:27:20.574+05:30आपने ज्वलंत समस्या का यथार्थ वर्णित किया है ,जो दि...आपने ज्वलंत समस्या का यथार्थ वर्णित किया है ,जो दिल को छूता और व्यथित करता है.<br /><br />भावमय प्रस्तुति के लिए आभार Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-58308498385905302912015-03-10T14:17:56.591+05:302015-03-10T14:17:56.591+05:30आपने आज के सबसे बड़े व् ज्वलंत विषय पर एक बेहतरीन आ...आपने आज के सबसे बड़े व् ज्वलंत विषय पर एक बेहतरीन आलेख प्रस्तुत किया है.सदियों से मनुष्य ने अपनी सत्ता को सर्वोपरि रखने में महारत हासिल कर रखी है इसीलिए अपनी लम्बी उम्र की कामना हेतु स्त्री को हूँ भूखा रखता है और चैन की नींद सोता है.<br />मेरा मानना है कि हर स्त्री को उन सभी स्थितियों को नकारना होगा जो उसे,उसके बढ़ने पर तथा अपनी मंजिल पाने में रुकावटें पैदा करती हैं.आशा करता हूँ कि आपका यह लेख सभी को इस दिशा में सोचने के लिया मजबूर करेगा.<br />अशोक आंद्रेashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-17328531727588833212015-03-10T14:17:56.337+05:302015-03-10T14:17:56.337+05:30आपने आज के सबसे बड़े व् ज्वलंत विषय पर एक बेहतरीन आ...आपने आज के सबसे बड़े व् ज्वलंत विषय पर एक बेहतरीन आलेख प्रस्तुत किया है.सदियों से मनुष्य ने अपनी सत्ता को सर्वोपरि रखने में महारत हासिल कर रखी है इसीलिए अपनी लम्बी उम्र की कामना हेतु स्त्री को हूँ भूखा रखता है और चैन की नींद सोता है.<br />मेरा मानना है कि हर स्त्री को उन सभी स्थितियों को नकारना होगा जो उसे,उसके बढ़ने पर तथा अपनी मंजिल पाने में रुकावटें पैदा करती हैं.आशा करता हूँ कि आपका यह लेख सभी को इस दिशा में सोचने के लिया मजबूर करेगा.<br />अशोक आंद्रेashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-42101100407712229022015-03-10T10:31:38.634+05:302015-03-10T10:31:38.634+05:30सामाजिक परिस्थितियाँ डराती भी हैं मगर फिर भी उम...सामाजिक परिस्थितियाँ डराती भी हैं मगर फिर भी उम्मीद बनी रहती है . स्त्री के बिना यह संसार कुछ नहीं .वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-36183087019952399232015-03-09T20:30:36.652+05:302015-03-09T20:30:36.652+05:30बहुत सटीक और सारगर्भित आलेख...जब तक समाज की सोच नह...बहुत सटीक और सारगर्भित आलेख...जब तक समाज की सोच नहीं बदलती, स्त्रियों की दशा में बदलाव की आशा व्यर्थ है..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-28574524546730965462015-03-09T19:51:41.962+05:302015-03-09T19:51:41.962+05:30राम जी, कितना दुःख है इस समाज में.राम जी, कितना दुःख है इस समाज में.दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-4996254436325531012015-03-09T17:18:21.318+05:302015-03-09T17:18:21.318+05:30Naari jeewan haay tumhaaree yahi kahani , aanchal ...Naari jeewan haay tumhaaree yahi kahani , aanchal mein hai doodh aur aankhon mein paani . Ek vichaarneey lekh .PRAN SHARMAnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-56617229545258413352015-03-09T16:32:13.957+05:302015-03-09T16:32:13.957+05:30जेन्नी शबनम जी आपने जो लिखा है वह इस समाज का कड़वा ...जेन्नी शबनम जी आपने जो लिखा है वह इस समाज का कड़वा सच है। आपका एक -एक शब्द सड़े हुए समाज की शल्य -क्रिया करता है । बहुत बधाई ।rameshwar kambojhttps://www.blogger.com/profile/03515047042323213496noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-50327625771078408252015-03-09T00:23:09.370+05:302015-03-09T00:23:09.370+05:30मनाव के दानव बन जाने का परिणाम है कि दुनिया से कई ...मनाव के दानव बन जाने का परिणाम है कि दुनिया से कई प्रजातियाँ मिट गईं हैं और अब शायद स्त्री की बारी है । सचमुच स्त्री मानव नहीं है बल्कि एक अलग प्रजाति है जिसका नष्ट होना पुरुषों और परम्पराओं के कारण तय है । कभी-कभी मन चाहता है कि दुनिया से स्त्री नामक प्रजाति का नाम मिट जाए और विज्ञान के चमत्कार से पुरुष ही स्त्री का सभी काम करे । sachmuch ........Dr.NISHA MAHARANAhttps://www.blogger.com/profile/16006676794344187761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-55351958764989685082015-03-08T23:27:04.694+05:302015-03-08T23:27:04.694+05:30अत्यंत रोष एवं क्षोभजनित पोस्ट है यह ! हालात से बह...अत्यंत रोष एवं क्षोभजनित पोस्ट है यह ! हालात से बहुत खफा नज़र आ रही हैं आप ! वैसे आज के हालात चिंताजनक ही हैं इसे नकारा भी तो नहीं जा सकता ! लेकिन स्त्री प्रजाति के विलुप्त हो जाने से तो सृष्टि का संतुलन ही बिगड जाएगा ! इस वक्त ज़रूरत है कुत्सित मानसिकता के वायरस के समूल नष्ट होने की ! इसके लिये घर-घर अलख जगानी होगी और एक कारगर, शक्तिशाली और प्रभावी एंटी वायरस का आविष्कार करना होगा जिसकी दू बूँदें रुग्ण मानसिकता का इलाज पल भर में कर दें ! सार्थक पोस्ट ! आपकी चिता आपकी संवेदनशीलता की परिचायक है ! Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.com