tag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post4764309490723997804..comments2024-03-25T21:42:17.759+05:30Comments on साझा संसार: 34. स्मृतियों में शान्तिनिकेतन (भाग- 2) डॉ. जेन्नी शबनमhttp://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-50963416184155401502012-03-13T21:59:58.198+05:302012-03-13T21:59:58.198+05:30काम्बोज भाई,
उस समय की बहुत सारी तस्वीर मुझसे खो ग...काम्बोज भाई,<br />उस समय की बहुत सारी तस्वीर मुझसे खो गई. शान्तिनिकेतन जाकर दो बार सभी से मिल आई. परन्तु गौर दा से नहीं मिल सकी, फिर भी उनकी कुछ तस्वीर मेरे पास सुरक्षित रह गई ये मेरा सौभाग्य है. यूँ सभी चित्र सोच कर लिए नहीं गए, इस लिए बहुत सामान्य तस्वीर है पर यादगार तो है. आप पुनः आए ह्रदय से आभार.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-59494361017606509642012-03-13T21:53:53.039+05:302012-03-13T21:53:53.039+05:30राकेश जी,
मेरे लेखन को सदैव आपकी सराहना मिलती है य...राकेश जी,<br />मेरे लेखन को सदैव आपकी सराहना मिलती है ये मेरा सौभाग्य है. उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए दिल से आभारी हूँ. धन्यवाद.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-90293045768491708712012-03-05T22:21:20.560+05:302012-03-05T22:21:20.560+05:30पुनश्च- पहले ये फोटो नहीं लगे थे जेन्नी बहन । आपके...पुनश्च- पहले ये फोटो नहीं लगे थे जेन्नी बहन । आपके उस समय के फोटो-छोटी बच्ची जैसे -बहुत प्यारे लगे , अपनत्व -भरे । संस्मरण का गुण है तटस्थता और सहृदयता । स्मृति आपकी गज़ब की है । पहली टिप्पणी अधूरी लगी , अत: पुन: आत्मिक बधाईसहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-4904584837875154872012-02-29T10:18:38.998+05:302012-02-29T10:18:38.998+05:30आपका भावपूर्ण लेखन बहुत ही प्रभावी ढंग से छाप डालत...आपका भावपूर्ण लेखन बहुत ही प्रभावी ढंग से छाप डालता है मन पर.आपकी स्मृतियों में रचा बसा शान्ति निकेतन हमारे समक्ष मानो संजीव ही हो उठा है.आपको पढ़ना बहुत सुख और शान्ति प्रदान करने वाला है.आपको आभार व्यक्त करना मुझे फोर्मलिटी सा प्रतीत होता है.परन्तु,हृदय से नतमस्तक हूँ जेन्नी जी.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-79875828701930805972012-02-28T17:44:14.035+05:302012-02-28T17:44:14.035+05:30नवीन जी,
प्रशंसा के लिए शुक्रिया. मैं भी सोचती हूँ...नवीन जी,<br />प्रशंसा के लिए शुक्रिया. मैं भी सोचती हूँ कि अपनी स्मृतियों को पुस्तक का रूप दूँ, लेकिन शायद अभी ख़ुद को इस लायक नहीं समझती हूँ. उत्साहवर्धन के लिए मन से आभार.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-80521660247535295642012-02-28T17:39:49.673+05:302012-02-28T17:39:49.673+05:30प्रेम सरोवर जी,
मेरे संस्मरण और मेरी लेखनी से आपके...प्रेम सरोवर जी,<br />मेरे संस्मरण और मेरी लेखनी से आपके जुड़ाव के लिए मन से शुक्रिया.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-89078831998292536892012-02-28T17:37:51.526+05:302012-02-28T17:37:51.526+05:30जयकृष्ण जी,
मेरे ब्लॉग पर आप आये बहुत बहुत स्वागत ...जयकृष्ण जी,<br />मेरे ब्लॉग पर आप आये बहुत बहुत स्वागत और आभार.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-51721733294500070962012-02-28T17:36:41.554+05:302012-02-28T17:36:41.554+05:30कौशलेन्द्र जी,
सभी की ज़िन्दगी में कठिनाइयाँ तो पग...कौशलेन्द्र जी,<br />सभी की ज़िन्दगी में कठिनाइयाँ तो पग पग पर आती हैं, पर शान्तिनिकेतन जाकर दो घड़ी शान्ति से जीवन बीताना सभी के लिए संभव नहीं हो पाता. शान्तिनिकेतन से जुड़ी यादें दो भाग में विभक्त हो गई हैं. एक तब कि यादें जब २० साल पूर्व मैं वहाँ रहने गई थी और दूसरी तब जब २० साल बाद दोबारा गई थी. २० साल पुरानी यादें अभी लिखी हूँ 'स्मृतियों में शान्तिनिकेतन', २० साल बाद की यादें पहले लिखी थी 'स्मृतियों से शान्तिनिकेतन'. दोनों ही यादें एक दूसरे से जुड़ी हैं लेकिन वक़्त बदल गया है. शान्तिनिकेतन सच में बहुत शांत जगह है जहाँ रहना सुकूनदायक है. मुमकिन हो तो कभी वहाँ ज़रूर घूम आइये. <br />मेरी स्मृतियों को पढ़ने के लिए दिल से शुक्रियाडॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-40179591382351418302012-02-28T17:16:19.240+05:302012-02-28T17:16:19.240+05:30शिखा जी,
स्मृतियों में न जाने क्या क्या बसा है, सच...शिखा जी,<br />स्मृतियों में न जाने क्या क्या बसा है, सच है कि शान्तिनिकेतन से जुड़ी मेरी यादें एक पुस्तक का रूप ले सकती है. परन्तु पुस्तक लिखने की क्षमता शायद मुझमें अभी नहीं. कभी संभव हुआ तो ज़रूर लिखूंगी. मेरे संस्मरण पर आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद. आपकी पुस्तक के लिए पुनः आपको बधाई.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-41634276027341294572012-02-28T17:11:42.962+05:302012-02-28T17:11:42.962+05:30आदरणीय काम्बोज भाई,
मेरे लेखन और संस्मरण के साथ आत...आदरणीय काम्बोज भाई,<br />मेरे लेखन और संस्मरण के साथ आत्मीय रूप से ख़ुद को शामिल कर आपने जो सम्मान मुझे दिया है, ह्रदय से आभारी हूँ. धन्यवाद.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-77966119924687547062012-02-26T15:15:03.148+05:302012-02-26T15:15:03.148+05:30shabnam ji behad sundar aur rochak prastuti ke li...shabnam ji behad sundar aur rochak prastuti ke liye sadar abhar...Shikha ji ke kathan se bilkul sahamat hoon ....apko vistar dekar es ghatana krm ko ak pustak ke roop me parivartit karana hi chahiye .Naveen Mani Tripathihttps://www.blogger.com/profile/12695495499891742635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-6054128159113995062012-02-25T20:28:31.750+05:302012-02-25T20:28:31.750+05:30आपकी प्रस्तुति से मन में एक अजीब सा भाव अपना स्थान...आपकी प्रस्तुति से मन में एक अजीब सा भाव अपना स्थान ग्रहण करने लगा । आपके जीवन का संघर्ष ही बहुत कुछ अनुभव दे गया है । शांतिनिकेतन एवं आपसे उस समय जुड़े लोगों के साथ मेरी पूर्ण सहनुभूति है । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-53512365797437734442012-02-25T19:28:29.900+05:302012-02-25T19:28:29.900+05:30बहुत ही उम्दा संस्मरण बहुत -बहुत बधाई डॉ० जेन्नी ज...बहुत ही उम्दा संस्मरण बहुत -बहुत बधाई डॉ० जेन्नी जी |ब्लॉग सुनहरी कलम पर आकर हमारा उत्साहवर्धन करने हेतु आभार |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-69005390149144338142012-02-18T23:24:27.186+05:302012-02-18T23:24:27.186+05:30सन १९७६ में मुझ पर भी शान्ति निकेतन में जाकर पढ़ने...सन १९७६ में मुझ पर भी शान्ति निकेतन में जाकर पढ़ने का भूत सवार था .....पर वह स्वप्न कभी पूरा नहीं हो पाया.<br /><br />आज जाना कि जीनी को भी अपने जीवन में कोई कम मुश्किलों से नहीं गुजरना पड़ा....किन्तु आपने शान्ति निकेतन से जो सीखा वह जीवन की बहुत बड़ी संपत्ति है. यह दूसरी बार है कि मैं शान्तिनिकेतन की आपकी स्मृति गाथा पढ़ा ( देख ) रहा हूँ. सेवा निवृत्ति के बाद वहाँ रहा जा सकता है यह जानकर मन एक बार फिर हिलोर लेने लगा है. अब तो लगता है आपसे मिलना ही पड़ेगा.बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-225085975517994742012-02-17T23:20:47.379+05:302012-02-17T23:20:47.379+05:30वाह ..बेहद खूबसूरत और जानकारी परक.इसे विस्तार देकर...वाह ..बेहद खूबसूरत और जानकारी परक.इसे विस्तार देकर पुस्तक का रूप दे डालिए.ऐसा लेखन मिलता कहाँ है आजकल.अभी हाल में मेरी पुस्तक "स्मृतियों में रूस " आई है .अब आपकी "स्मृतियों में शान्तिनिकेतन " आनी ही चाहिए.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4067321239050594357.post-23932400180517957322012-02-15T08:50:26.631+05:302012-02-15T08:50:26.631+05:30स्मृतियों में शान्तिनिकेतन -संस्मरण पहली पंक्ति से...स्मृतियों में शान्तिनिकेतन -संस्मरण पहली पंक्ति से अन्तिम पंक्ति तक बाँध लेता है ।मैं इसे पढ़ते समय शान्तिनिकेतन का चक्कर लगा आया । जेन्नी शबनम जी आपका जीवन -संघर्ष भी प्रेरक है । आपका यह गद्य भी काव्य जैसी मधुरत लिये हुए है । बहुत बधाईसहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.com